बूंदी. छात्रपुरा इलाके में वर्ष 2010-11 में संचालित हो रहे अंकित सोनोग्राफी सेंटर में सोनोग्राफी का रिकॉर्ड मेंटेन नहीं करने पर बूंदी पीसीपीएनडीटी द्वारा कार्रवाई की गई थी. मामला सही पाए जाने पर संचालिका माया गुप्ता और डॉ. राजीव गुप्ता को विभाग ने आरोपी बनाया और मामले की जांच शुरू की. इसी कड़ी में आज पीसीपीएनडीटी कोर्ट ने दोनों आरोपियों को सजा सुनाई है.
गौरतलब है कि बूंदी शहर के छात्र पूरा रोड पर स्थित माया अस्पताल में अंकित सोनोग्राफी सेंटर वर्ष 2010-11 में चला करता था. यहां एक मरीज द्वारा यह शिकायत की गई थी कि अंकित सोनोग्राफी सेंटर में सोनोग्राफी करते समय विभिन्न लापरवाही व रिकॉर्ड को मेंटेन नहीं किया जा रहा है और गलत तरीके से काम किया जा रहा है. इस शिकायत पर तत्कालीन सीएमएचओ हेमराज व उनकी टीम ने कार्रवाई की और रिकॉर्ड आंकड़ों के अनुसार गलत पाया गया. वहीं, गलत तरीके से सोनोग्राफी सेंटर चलाना पाया गया.
इस कार्रवाई में पीसीपीएनडीटी ने उक्त मामले को कोटा पीसीपीएनडीटी कोर्ट में पेश किया. जहां दोनों पर आरोप सिद्ध हुए. इस पर पीसीपीएनडीटी कोर्ट ने वर्ष 2016 में एसीजेएम कोर्ट को यह पूरा मामला सौंप दिया और दोनों के मामले लंबीत चले. ऐसे में बुधवार को अंडरट्रायल पूरा हो गया और दोनों आरोपी कोर्ट में पेश हुए. जहां कोर्ट ने संचालिका माया गुप्ता व चिकित्सक राजीव गुप्ता को 3 साल की सजा सुनाई है और 10 हजार का आर्थिक दंड लगाया. इस दौरान आरोपी मीडिया को देखकर छुपते हुए नजर आए और अपने आरोपों को झूठा बताया.