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एक होली ऐसी भी : अंगारों पर चलने की परंपरा निभा रहे लोग, बुजुर्ग और बच्चे भी शामिल - अंगारों पर चलने की परंपरा

भारत की संस्कृति में होली का विशेष स्थान है. होली का पर्व राजस्थान के वागड़वासियों के लिए एक महत्वपूर्ण त्यौहार (Holi 2022) माना जाता है. होली के रंग में वागड़वासी एक महीने तक रंगे रहते हैं, साथ ही सदियों से चली आ रही कुछ खास परंपराओं का भी निर्वहन करते हैं. इसी के तहत होलिका दहन के बाद कोकापुर गांव में ग्रामीणों ने दहकते अंगारों पर चलने की परम्परा (villagers holika fire bare foot walk) का निर्वहन किया.

Dungarpur Holika fire bare foot walk
अंगारों पर चलने की परंपरा
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Published : Mar 18, 2022, 2:15 PM IST

डूंगरपुर : राजस्थान समेत पूरे भारत में होली के मौके पर अलग-अलग रंग देखने के साथ अनूठी परम्पराओं का निर्वहन किया जाता है. प्रदेश के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में भी होली पर अलग-अलग परम्पराओं का निर्वहन सदियों से लोग करते आ रहे हैं. उन्ही परंपराओं में से एक परंपरा है दहकते अंगारों पर चहलकदमी (Holi 2022 dungarpur holika fire walk) करना. यह सुनकर और देखकर आश्चर्य जरूर होगा. लेकिन डूंगरपुर जिले के कोकापुर गांव में आज भी होली के अवसर पर जलती होलिका पर चलने की परंपरा (Villagers walk on burning embers) है, जो अपने आप में क्षेत्र का अनोखा आयोजन है.

एक होली ऐसी भी : राजस्थान के डूंगरपुर में दहकते अंगारों पर चलने की परम्परा

परंपरानुसार सैकड़ों ग्रामीणों की मौजूदगी में होलिका दहन के दूसरे दिन सुबह-सुबह काफी संख्या में लोग होलिका स्थल पर पहुचंते हैं और जलती होली के दहकते अंगारों पर नंगे पांव चलकर प्राचीन मान्यताओं और लोक परंपराओं का निर्वहन कर श्रद्धा का इजहार करते हैं. इसी के तहत देर रात को होलिका दहन के बाद आज अल सुबह कोकापुर सहित आसपास के गांवो के लोग होलिका दहन स्थल पर पहुंचे. इस दौरान ढोल की थाप पर गैर खेलते हुए एक दूसरे को होली की शुभकामनाएं दी.

बुजुर्ग हो या युवा सभी अंगारों पर चलते हैं
लोगों ने गांव के हनुमान मंदिर और शिव मंदिर में पूजा-अर्चना किया. इसके बाद होली के जलते अंगारों पर चलने की परंपरा का निर्वहन (Villagers walk on burning embers) किया गया. इस दौरान बुजुर्ग हो या युवा सभी ने दहकते अंगारों में चहलकदमी करते हुए सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन किया. साथ ही गांव में खुशहाली की कामना की.

पढ़ें- होली की अनोखी परंपरा, लड़की पर रंग डाला तो करनी पड़ेगी शादी

गांव में मान्यता है कि होलिका दहन से बाद दहकते अंगारों पर चहलकदमी करने से गांव पर कोई विपदा नहीं आती और गांववासियों का स्वस्थ्य भी ठीक रहता है. इस परंपरा को देखने हाजारों की संख्या में आस पास के क्षेत्र से लोग कोकापुर गांव आते हैं. हजारों साल से ग्रामीण इस परम्परा को निभाते आ रहे हैं ओर कोई भी अनहोनी नहीं हुई है.

डूंगरपुर : राजस्थान समेत पूरे भारत में होली के मौके पर अलग-अलग रंग देखने के साथ अनूठी परम्पराओं का निर्वहन किया जाता है. प्रदेश के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में भी होली पर अलग-अलग परम्पराओं का निर्वहन सदियों से लोग करते आ रहे हैं. उन्ही परंपराओं में से एक परंपरा है दहकते अंगारों पर चहलकदमी (Holi 2022 dungarpur holika fire walk) करना. यह सुनकर और देखकर आश्चर्य जरूर होगा. लेकिन डूंगरपुर जिले के कोकापुर गांव में आज भी होली के अवसर पर जलती होलिका पर चलने की परंपरा (Villagers walk on burning embers) है, जो अपने आप में क्षेत्र का अनोखा आयोजन है.

एक होली ऐसी भी : राजस्थान के डूंगरपुर में दहकते अंगारों पर चलने की परम्परा

परंपरानुसार सैकड़ों ग्रामीणों की मौजूदगी में होलिका दहन के दूसरे दिन सुबह-सुबह काफी संख्या में लोग होलिका स्थल पर पहुचंते हैं और जलती होली के दहकते अंगारों पर नंगे पांव चलकर प्राचीन मान्यताओं और लोक परंपराओं का निर्वहन कर श्रद्धा का इजहार करते हैं. इसी के तहत देर रात को होलिका दहन के बाद आज अल सुबह कोकापुर सहित आसपास के गांवो के लोग होलिका दहन स्थल पर पहुंचे. इस दौरान ढोल की थाप पर गैर खेलते हुए एक दूसरे को होली की शुभकामनाएं दी.

बुजुर्ग हो या युवा सभी अंगारों पर चलते हैं
लोगों ने गांव के हनुमान मंदिर और शिव मंदिर में पूजा-अर्चना किया. इसके बाद होली के जलते अंगारों पर चलने की परंपरा का निर्वहन (Villagers walk on burning embers) किया गया. इस दौरान बुजुर्ग हो या युवा सभी ने दहकते अंगारों में चहलकदमी करते हुए सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन किया. साथ ही गांव में खुशहाली की कामना की.

पढ़ें- होली की अनोखी परंपरा, लड़की पर रंग डाला तो करनी पड़ेगी शादी

गांव में मान्यता है कि होलिका दहन से बाद दहकते अंगारों पर चहलकदमी करने से गांव पर कोई विपदा नहीं आती और गांववासियों का स्वस्थ्य भी ठीक रहता है. इस परंपरा को देखने हाजारों की संख्या में आस पास के क्षेत्र से लोग कोकापुर गांव आते हैं. हजारों साल से ग्रामीण इस परम्परा को निभाते आ रहे हैं ओर कोई भी अनहोनी नहीं हुई है.

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