जोधपुर. शहर के नारी निकेतन में गुरुवार को अलग ही दृश्य देखने को मिला. यहां शाम को शहनाई बजी. चारों तरफ खुशी का माहौल था, क्योंकि अनाथ इंदु यहां से शादी करके विदा हो रही थी. उसे आशीर्वाद देने के लिए मानवाधिकार आयेाग के अध्यक्ष जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास भी पहुंचे थे. उनके अलावा सामाजिक न्याय अधिकारिकता विभाग के संयुक्त निदेशक अनिल व्यास, निकेतन की अधीक्षक रेखा शेखावत सहित पूरा स्टाफ ऐसे सजधज कर आया था, जैसे उनके घर के किसी सदस्य की शादी हो. वहीं, ओसियां के डाबडी गांव से जब इंदु के वर मघाराम की बारात आई तो उसका स्वागत किया गया. इसके बाद हिंदु शादी परंपरा के अनुसार सारी रस्में निभाई गई. भोजन के बाद बारात इंदु को लेकर विदा हुई.
वहीं, इंदु ने कहा, ''मैं बहुत खुश हूं कि मेरा नया परिवार बन रहा हैं, लेकिन इस परिवार को मैं कभी नहीं भूल पाऊंगी, क्योंकि यहां आने के बाद मुझे कभी कोई कमी नहीं हुई. साथ ही नारी निकेतन के कार्मिकों को यशोदा मां बताया.''
जस्टिस व्यास ने कही ये बात : राज्य मानवाधिकार आयेाग के अध्यक्ष जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास ने कहा, ''यह बहुत पुनीत कार्य हैं. एक बालिका जो अनाथ के रूप में आई थी आज नारी निकेतन से विवाह करके विदा हो रही है. एनजीओ और संस्थाएं तो काम करती हैं, लेकिन पहली बार सरकारी विभाग भी ऐसे सुकार्य में सरीक नजर आया.'' आगे उन्होंने इस शादी में सहयोग करने वाले सभी भामाशाहों के प्रति भी आभार जताया.
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उपहारों की लगी झड़ी : संयुक्त निदेशक ने बताया, ''इंदु को उपहार और स्त्रीधन देने के लिए लोग बढ़ चढ़कर आगे आए. न्यायिक अधिकारियों ने 71 हजार, भामाशाह पप्पुराम डारा ने एक लाख, लवकुश आश्रम ने पचास हजार रुपए की एफडी दी है. इसके अलावा हमने सहयोग से दहेज रूपी उपहार में गृहस्थी का पूरा सामान दिया, जिससे उसके घर में किसी चीज की कमी न हो.
पालने से डोली का सफर : इंदु की उम्र 25 साल हो चुकी है. वो लवकुश आश्रम के पालने में मिली थी. जब बड़ी हुई तो उसे गायत्री संस्थान में शिफ्ट किया गया. वहीं, जब 18 साल की हुई तो उसे नारी निकेतन भेजा गया. यहां रहते हुए उसने अपनी स्नातक की डिग्री पूरी की. उसके बाद उसे कई कोर्स करवाए गए, जिससे वो आगे का जीवन आसानी से यापन कर सके. जब विवाह के लिए तैयार हुई तो सरकार की अनुमति के बाद दूल्हे मघाराम का इंटरव्यू से चयन किया गया था.