नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को रात 10 बजे श्रीहरिकोटा से PSLV-C60 रॉकेट की सहायता से अपने Spadex मिशन (स्पेश डॉकिंग एक्सपेरिमेंट) को लॉन्च कर दिया है. पीएसएलवी-सी60 रॉकेट दो अंतरिक्षयान लेकर प्रक्षेपित हुआ जो हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा. इस मिशन के साथ ही भारत अंतरिक्ष डॉकिंग टेक्नोलॉजी में महारत हासिल करने वाले देशों की चुनिंदा क्लब में शामिल हो गया है.
ये अंतरिक्षयान भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीक, अंतरिक्ष डॉकिंग के प्रदर्शन में सहायता करेंगे. 2035 तक इसरो द्वारा अपना स्वयं का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की प्रस्तावना के रूप में प्रस्तुत, 44.5 मीटर लंबा ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) अंतरिक्षयान ए और बी लेकर गया है, जिनमें से प्रत्येक का वजन 220 किलोग्राम था, जो अंतरिक्ष डॉकिंग, उपग्रह सेवा और अंतरग्रहीय मिशनों में सहायता करेगा.
25 घंटे की उल्टी गिनती के समापन पर, पीएसएलवी-सी60 अपनी 62वीं उड़ान में इस अंतरिक्ष बंदरगाह के पहले लॉन्च पैड से शानदार ढंग से प्रक्षेपित हुआ, जिसमें से गाढ़ा नारंगी रंग का धुआं निकल रहा था. प्रक्षेपण की योजना मूल रूप से सोमवार को रात 9.58 बजे बनाई गई थी, लेकिन बाद में इसरो अधिकारियों ने इसे रात 10 बजे के लिए पुनर्निर्धारित कर दिया. हालांकि, पुनर्निर्धारण के पीछे कोई आधिकारिक जानकारी नहीं थी.
अंतरिक्ष डॉकिंग प्रौद्योगिकियों में महारत हासिल करके, इसरो अपने मिशन क्षितिज का विस्तार करने के अलावा अपने परिचालन लचीलेपन को बढ़ाने के लिए तैयार है. स्पाडेक्स मिशन के अलावा, इसरो के वैज्ञानिकों ने रॉकेट (पीएस-4) के चौथे चरण को पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरीमेंटल मॉड्यूल-4 (पीओईएम-4) के रूप में कॉन्फ़िगर किया है, जिसमें 24 छोटे पेलोड शामिल हैं, जिनमें से 14 इसरो से और 10 अकादमिक से हैं, जिन्हें प्रक्षेपण के 90 मिनट बाद विभिन्न कक्षाओं में स्थापित किया जाएगा.
दोनों उपग्रहों का मकसद अंतरिक्ष में जोड़ने और अलग करने डॉकिंग और अनडॉकिंग की तकनीक का परीक्षण करना है. इस मिशन में अंतरिक्ष में बुलेट की स्पीड से दस गुना ज्यादा तेजी से ट्रैवल कर रहे दो स्पेसक्राफ्ट को मिलाया जाएगा.
#WATCH | Andhra Pradesh | PSLV-C60 successfully launches SpaDeX and 24 payloads | ISRO Chairman Dr. S Somanath says, " i announce the successful launch of the pslv-c60 for the spadex mission...the rocket has placed the satellites in the right orbit....congratulations to the entire… pic.twitter.com/dh9SUp7CXm
— ANI (@ANI) December 30, 2024
क्या बोले इसरो के चेयरमैन
बता दें कि, PSLV-C60 ने सफलतापूर्वक स्पैडेक्स और 24 पेलोड लॉन्च किए. इसरो के चेयरमैन डॉ. एस सोमनाथ ने कहा, "मैं स्पैडेक्स मिशन के लिए PSLV-C60 के सफल लॉन्च की घोषणा करता हूं... रॉकेट ने उपग्रहों को सही कक्षा में स्थापित कर दिया है... PSLV परियोजना की पूरी टीम को बधाई जिन्होंने उपग्रहों को सही कक्षा में स्थापित किया. साथ ही स्पैडेक्स टीम को भी बधाई, जिसने दो छोटे सैटेलाइट बस आर्किटेक्चर का उपयोग करके एक बहुत ही अभिनव, नए, लागत प्रभावी डॉकिंग प्रदर्शन मिशन में काम किया..."
SpaDeX क्या है?
SpaDeX को स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (Space Docking Experiment) के नाम से भी जाना जाता है. यह एक ऐसा प्रयोग है, जिसमें दो छोटे उपग्रहों (सैटेलाइट्स) को अंतरिक्ष (low Earth orbit) में एक दूसरे से जोड़ने और अलग करने का परीक्षण किया जाएगा। इसे सरल भाषा में ऐसे समझा जा सकता है:
डॉकिंग: जब एक सैटेलाइट (चेजर) अंतरिक्ष में दूसरे सैटेलाइट (टारगेट) से जुड़ता है, तो उसे डॉकिंग कहते हैं. यह जुड़ाव ऐसे होता है जैसे दो गाड़ियों को जोड़कर एक ट्रेन बनाई जा रही हो.
अनडॉकिंग: जब ये दोनों उपग्रह अलग होते हैं, तो उसे अनडॉकिंग कहते हैं, जैसे ट्रेन के दो डब्बों को अलग कर दिया जाए.
इस टेक्नोलॉजी की मदद से हम भविष्य में अंतरिक्ष स्टेशन, चंद्रमा मिशन और अन्य बड़े अंतरिक्ष प्रोजेक्ट्स में सफल हो सकते हैं. यह दिखाता है कि भारत अब इतनी एडवांस टेक्नोलॉजी भी अपने दम पर बना सकता है. इन सुविधाओं का इस्तेमाल स्पेस में घूमने वाले सैटेलाइट्स को रिसोर्सेज़ पहुंचाने या ट्रांसफर करने जैसे इन-ऑर्बिट में फ्यूल भरने आदि. ऐसी सुविधाएं लंबे समय तक स्पेस में जाने वाले मिशन के दौरान काफी उपयोगी होती हैं.
SpaDeX में दो छोटे सैटेलाइट्स शामिल हैं, SDX01 (Chaser) और SDX02 (Target), जिनका वजन लगभग 220 किलोग्राम है. इन सैटेलाइट्स को 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक सर्कुलर ऑर्बिट में प्लेस किया जाएगा. उसके बाद ये सैटेलाइट्स इनमें मौजूद अत्याधुनिक सेंसर और एल्गोरिदम का उपयोग करके एक-दूसरे सैटेलाइट्स की पहचान करेंगे, एलाइंग करेंगे और डॉक करेंगे. यह एक ऐसी उपलब्धि होगी, जिसे अभी तक सिर्फ कुछ चुनिंदा देशों ने ही हासिल किया है.
मिशन में दो छोटे स्पेसक्राफ्ट टारगेट और चेजर शामिल है. इन्हें PSLV-C60 रॉकेट से 470 किमी की ऊंचाई पर अलग कक्षाओं में लॉन्च किया जाएगा. खबर के मुताबिक, डिप्लॉयमेंट के बाद, स्पेसक्राफ्ट्स की रफ्तार करीब 28 हजार 800 किलोमीटर प्रति घंटे होगा.
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