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सरकार बनाम चिकित्सक: इलाज के अभाव में 3 वर्षीय बच्चे की मौत, जयपुर से लेकर धौलपुर तक डगमगाया हेल्थ सिस्टम

राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में प्राइवेट के बाद सरकारी डॉक्टर भी विरोध में उतर आए हैं. हड़ताल पर उतरे सरकारी डॉक्टरों ने बुधवार को सामूहिक अवकाश पर हैं. प्रदेश के सभी सेवारत डॉक्टर काम नहीं कर रहे हैं.

Doctors protest against Right to Health Bill
Doctors protest against Right to Health Bill
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Published : Mar 29, 2023, 2:37 PM IST

जयपुर से लेकर धौलपुर तक डगमगाया हेल्थ सिस्टम

धौलपुर. प्रदेश में इन दिनों हर तरफ राइट टू हेल्थ बिल की चर्चा हो रही है. इस बिल के विरोध में डॉक्टर्स प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं, गहलोत सरकार इनको समझने की कोशिश कर रही है. डॉक्टर्स के हड़ताल से मरीजों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. इस बीच चिकित्सा और हेल्थ मिनिस्टर परसादी लाल मीणा ने हड़ताल कर रहे डॉक्टरों को सीधे चेतावनी दी हैं. उन्होंने कहा कि चिकित्सकों को कोई अधिकार नहीं है कि वह बिल को वापस लेने की मांग करें. दूसरी, तरफ चिकित्सकों और सरकार के बीच हुई वार्ता सफल नहीं हो सकी. वार्ता का सकारात्मक निष्कर्ष नहीं निकलने पर चिकित्सक और सरकार आमने-सामने हैं. जिसका खामियाजा सूबे की जनता को भुगतना पड़ रहा है. चलिए जानते हैं जयपुर से लेकर धौलपुर तक चिकित्सकों की हड़ताल का क्या रहा असर.

भगवान भरोसे चिकित्सकीय व्यवस्था : धौलपुर जिले के सबसे बड़े अस्पताल मंगल सिंह राजकीय चिकित्सालय में हड़ताल का असर देखने को मिला. बुधवार को पीएमओ ऑफिस के सामने सरकारी चिकित्सकों ने चिकित्सा मंत्री एवं सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन किया. चिकित्सा व्यवस्था बदहाल होने की वजह से जिला अस्पताल के अधिकांश बोर्ड खाली पड़े हैं. मजबूरी और लाचारी में मरीज मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश उपचार लेने के लिए पलायन कर रहे हैं. सरकार और चिकित्सकों की असफल वार्ता के बाद मरीजों के लिए मुसीबत और बड़ी हो गई है.

ऐसे में सरकार और चिकित्सकों के बीच की बगावत मरीज और उनके तीमारदारों पर भारी पड़ रही है. राज्य सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में आमजन को निशुल्क मेडिसन की सुविधा दे रही है. हालांकि, जिला अस्पताल में प्रमुख चिकित्सा अधिकारी ने राज्य सरकार के आदेश पर आयुर्वेदिक चिकित्सकों को ओपीडी में बिठाया है, लेकिन अधिकांश मरीज आयुर्वेदिक चिकित्सकों को बिना दिखाएं वापस लौट रहे हैं.

मरीजों का कहना है कि चिकित्सक हड़ताल कर रहे हैं. ऐसे में सरकारी अस्पताल में उपचार होना असंभव है. शहर निवासी एक तीमारदार ने बताया उसके भतीजे के फ्रैक्चर हुआ है. 5 दिन से जिला अस्पताल के चक्कर लगा रहा है, लेकिन अभी तक उपचार की व्यवस्था नहीं हो सकी है. मेडिकल एवं ट्रॉमा सेंटर खालीचिकित्सकों की हड़ताल की बदौलत जिला अस्पताल का इमरजेंसी एवं मेल सर्जिकल वार्ड खाली पड़ा हुआ है. मेल सर्जिकल वार्ड में महज चार मरीज भर्ती पाए गए है. वहीं, अधिकांश वार्ड पूरी तरह से खाली पड़े हुए है. पीएमओ समरवीर सिंह सिकरवार ने बताया वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर आयुर्वेद चिकित्सकों को ओपीडी में तैनात किया है. इमरजेंसी वार्ड में चार चिकित्सकों को तैनात किया है. जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं बनाने की कोशिश की जा रही है.

RTH के विरोध में मेडिकल बंद मरीज परेशान : सिरोही जिले में बुधवार को निजी अस्पतालों के डॉक्टरों के समर्थन में केमिस्ट एसोसिएशन भी उतर आई और जिले में सभी मेडिकल स्टोर बंद रहे. मेडिकल स्टोर और निजी अस्पताल बंद रहने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आबूरोड निवासी सतीश अग्रवाल ने कहा कि निजी अस्पताल के डॉक्टर के हड़ताल के साथ मेडिकल स्टोर बंद होने से शहरवासियो की समस्या बढ़ गई है आमतौर पर छोटी बड़ी बीमारियों की दवाइयां मेडिकल स्टोर से ले लेते थे वह भी बन्द होने से लोगों की मुश्किल और बढ़ गई है. उपचार स्टेट वर्किंग कमेटी मेंबर डॉ. अजय सिंघला ने बताया की सरकार राइट टू हेल्थ बिल बिल ला रही है जो न तो चिकित्सकों हित में है और न ही आमजन के हित में है. सरकार को चिकित्सकों की मांग का सम्मान करते हुए यह बिलकुल वापस लेना चाहिए.

पढ़ें : Protest against Right to Health Bill : जालोर में इलाज के अभाव में 3 वर्षीय बच्चे की मौत, परिजनों का सरकारी डाक्टरों पर लापरवाही का आरोप

भीलवाड़ा में व्यापक असर : भीलवाड़ा के महात्मा गांधी अस्पताल में विशेष व्यवस्था की है, जहां बुधवार को जिले के तमाम चिकित्सा कर्मियों के भीलवाड़ा की राजमाता विजय राजे सिंधिया मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने अवकाश निरस्त कर दिए गए हैं. वहीं, अस्पताल में ओपीडी में पीएमओ डॉ. अरुण गौड ने कहा कि आउटडोर में 2-2 डॉक्टर बैठाए गए हैं. अस्पताल में अंदर और बाहर पुलिस का जाब्ता भी तैनात किया है. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी अस्पताल में आए मरीज को उपचार के अभाव में खाली हाथ वापस नहीं जाना पड़े इसके लिए आउटडोर में एक कमरे में दो- दो डॉक्टर बिठाए हैं. वर्तमान में डॉक्टरों की हड़ताल के चलते महात्मा गांधी अस्पताल में वर्क लोड बढ़ा है हमने आईसीयू में बेड बढ़ाए हैं ओर एक नए आईसीयू वार्ड की शुरुआत की है जिसमें 12 बेड लगाये है. वर्तमान में सीटी स्कैन, एमआरआई, सोनोग्राफी और डिलीवरी की संख्या बढी है. हमारा पूरा प्रयास है कि इन परिस्थितियों में गंभीर मरीज किसी भी हालत में परेशान नहीं हो.

करौली का जानिए हाल: डॉक्टरों के बुधवार को सामुहिक अवकाश पर चले जाने के बाद करौली जिला अस्पताल में मरीज बेबस और लाचार नजर आए. हालांकि, अस्पताल प्रबंधक की तरफ से वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर चिकित्सक नियुक्त किए गए है, फिर भी मरीजों को कोई राहत नहीं मिल पाई. वहीं, चिकित्सकों ने मरीजों को घर पर देखना भी बंद कर रखा है. जिससे मरीजों में भी चिकित्सकों के प्रति आक्रोश नजर आ रहा है. डॉक्टर्स ने सामूहिक अवकाश कर सरकार से राइट टू हेल्थ बिल में आवश्यक सुधार करने, डॉक्टर्स पर हुए लाठीचार्ज और बिल का विरोध जताया. करौली हॉस्पिटल के सभी डॉक्टर्स इससे पूर्व 2 घंटे का कार्य बहिष्कार कर विरोध प्रकट कर रहे थे.

पढ़ें : Protest against Right to Health Bill : राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में आज बंद, जानिए कौन सी सेवाओं पर सरकार सख्त

राजधानी जयपुर में विरोध जारी : जयपुर में राइट टू हेल्थ का विरोध कर रहे निजी चिकित्सालयों के साथ ही रेजिडेंट पिछले कई दिनों से हड़ताल पर चल रहे हैं. आज चिकित्सा शिक्षकों ने भी महाबंद को समर्थन देते हुए एक दिन के कार्य बहिष्कार का ऐलान किया था. उन्होंने आउटडोर सहित अन्य कामकाज का बहिष्कार किया है. ऐसे में आउटडोर में आने वाले मरीजों की सुविधा को लेकर सरकार ने खास एहतियात बरतने के निर्देश जारी किए थे. ऐसे में एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजीव बगरहट्टा से लेकर एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अचल शर्मा और अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. प्रदीप शर्मा, अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. मनोज शर्मा, अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. एसएस राणावत, अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. राशिम कटारिया ने आउटडोर में और इमरजेंसी में डॉ. बीपी मीणा ने मोर्चा संभाला और मरीजों को उपचार मुहैया करवाया. दूसरी तरफ बच्चों के सबसे बड़े अस्पताल जेके लोन में भी आउटडोर, इमरजेंसी और ओटी में प्रशासनिक व्यवस्थाओं से जुड़े डॉक्टर्स को ड्यूटी पर लगाया गया है.

थोड़ा समय लग सकता है लेकिन सभी का करेंगे उपचार : एसएमएस अस्पताल की ओपीडी में हृदय रोग विशेषज्ञों के चैंबर के बाहर सबसे ज्यादा भीड़ रही. एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजीव बगरहट्टा ने बताया कि आज चिकित्सा शिक्षकों ने ओपीडी का कार्य बहिष्कार करने की घोषणा की थी. ओपीडी में भीड़ ज्यादा होने के कारण यह काफी चैलेंजिंग है. लेकिन मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में प्रशासनिक व्यवस्था में लगे डॉक्टर्स की आउटडोर में ड्यूटी लगाई गई है. इससे मरीजों को उपचार मिल रहा है. हालांकि, चिकित्सा शिक्षकों ने इमरजेंसी का बहिष्कार नहीं किया है. उनका कहना है कि मरीजों की भीड़ और कार्य बहिष्कार के कारण थोड़ा समय लग सकता है लेकिन सभी का उपचार किया जा रहा है.

450 जूनियर रेजिडेंट की भर्ती की प्रक्रिया शुरू : डॉ. राजीव बगरहट्टा ने बताया कि मौजूदा हालात की चुनौती से निपटने के लिए सरकार ने 450 नए जूनियर रेजिडेंट की भर्ती की अनुमति दी है. ऐसे में 450 नए जूनियर रेजिडेंट की भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी है. जल्दी ही उनके काम पर आने से हालात कंट्रोल में होंगे. इसके साथ ही हड़ताल पर चल रहे रेजिडेंट पर कार्रवाई के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस संबंध में रेजिडेंट्स का डाटा जुटाया जा रहा है. हड़ताल को लेकर उनका पिछले रिकॉर्ड भी खंगाला जा रहा है. इन सभी बातों का एनालिसिस कर आगे कार्रवाई की जाएगी.

जालोर में 3 साल के बच्चे की मौत: जालोर में मंगलवार को इलाज के अभाव में जालोर के एमसीएच में एक तीन साल के मासूम की मौत हो गई. जिसके बाद परिजनों ने चिकित्सकों पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है. जानकारी के अनुसार, मंगलवार सुबह मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की हड़ताल के कारण प्रॉपर इलाज नहीं होने से सिंह 3 साल के मासूम जालोर जिले का काम्बा गांव के धनपत पुत्र विक्रम सिंह की मौत हो गई.

जयपुर से लेकर धौलपुर तक डगमगाया हेल्थ सिस्टम

धौलपुर. प्रदेश में इन दिनों हर तरफ राइट टू हेल्थ बिल की चर्चा हो रही है. इस बिल के विरोध में डॉक्टर्स प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं, गहलोत सरकार इनको समझने की कोशिश कर रही है. डॉक्टर्स के हड़ताल से मरीजों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. इस बीच चिकित्सा और हेल्थ मिनिस्टर परसादी लाल मीणा ने हड़ताल कर रहे डॉक्टरों को सीधे चेतावनी दी हैं. उन्होंने कहा कि चिकित्सकों को कोई अधिकार नहीं है कि वह बिल को वापस लेने की मांग करें. दूसरी, तरफ चिकित्सकों और सरकार के बीच हुई वार्ता सफल नहीं हो सकी. वार्ता का सकारात्मक निष्कर्ष नहीं निकलने पर चिकित्सक और सरकार आमने-सामने हैं. जिसका खामियाजा सूबे की जनता को भुगतना पड़ रहा है. चलिए जानते हैं जयपुर से लेकर धौलपुर तक चिकित्सकों की हड़ताल का क्या रहा असर.

भगवान भरोसे चिकित्सकीय व्यवस्था : धौलपुर जिले के सबसे बड़े अस्पताल मंगल सिंह राजकीय चिकित्सालय में हड़ताल का असर देखने को मिला. बुधवार को पीएमओ ऑफिस के सामने सरकारी चिकित्सकों ने चिकित्सा मंत्री एवं सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन किया. चिकित्सा व्यवस्था बदहाल होने की वजह से जिला अस्पताल के अधिकांश बोर्ड खाली पड़े हैं. मजबूरी और लाचारी में मरीज मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश उपचार लेने के लिए पलायन कर रहे हैं. सरकार और चिकित्सकों की असफल वार्ता के बाद मरीजों के लिए मुसीबत और बड़ी हो गई है.

ऐसे में सरकार और चिकित्सकों के बीच की बगावत मरीज और उनके तीमारदारों पर भारी पड़ रही है. राज्य सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में आमजन को निशुल्क मेडिसन की सुविधा दे रही है. हालांकि, जिला अस्पताल में प्रमुख चिकित्सा अधिकारी ने राज्य सरकार के आदेश पर आयुर्वेदिक चिकित्सकों को ओपीडी में बिठाया है, लेकिन अधिकांश मरीज आयुर्वेदिक चिकित्सकों को बिना दिखाएं वापस लौट रहे हैं.

मरीजों का कहना है कि चिकित्सक हड़ताल कर रहे हैं. ऐसे में सरकारी अस्पताल में उपचार होना असंभव है. शहर निवासी एक तीमारदार ने बताया उसके भतीजे के फ्रैक्चर हुआ है. 5 दिन से जिला अस्पताल के चक्कर लगा रहा है, लेकिन अभी तक उपचार की व्यवस्था नहीं हो सकी है. मेडिकल एवं ट्रॉमा सेंटर खालीचिकित्सकों की हड़ताल की बदौलत जिला अस्पताल का इमरजेंसी एवं मेल सर्जिकल वार्ड खाली पड़ा हुआ है. मेल सर्जिकल वार्ड में महज चार मरीज भर्ती पाए गए है. वहीं, अधिकांश वार्ड पूरी तरह से खाली पड़े हुए है. पीएमओ समरवीर सिंह सिकरवार ने बताया वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर आयुर्वेद चिकित्सकों को ओपीडी में तैनात किया है. इमरजेंसी वार्ड में चार चिकित्सकों को तैनात किया है. जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं बनाने की कोशिश की जा रही है.

RTH के विरोध में मेडिकल बंद मरीज परेशान : सिरोही जिले में बुधवार को निजी अस्पतालों के डॉक्टरों के समर्थन में केमिस्ट एसोसिएशन भी उतर आई और जिले में सभी मेडिकल स्टोर बंद रहे. मेडिकल स्टोर और निजी अस्पताल बंद रहने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आबूरोड निवासी सतीश अग्रवाल ने कहा कि निजी अस्पताल के डॉक्टर के हड़ताल के साथ मेडिकल स्टोर बंद होने से शहरवासियो की समस्या बढ़ गई है आमतौर पर छोटी बड़ी बीमारियों की दवाइयां मेडिकल स्टोर से ले लेते थे वह भी बन्द होने से लोगों की मुश्किल और बढ़ गई है. उपचार स्टेट वर्किंग कमेटी मेंबर डॉ. अजय सिंघला ने बताया की सरकार राइट टू हेल्थ बिल बिल ला रही है जो न तो चिकित्सकों हित में है और न ही आमजन के हित में है. सरकार को चिकित्सकों की मांग का सम्मान करते हुए यह बिलकुल वापस लेना चाहिए.

पढ़ें : Protest against Right to Health Bill : जालोर में इलाज के अभाव में 3 वर्षीय बच्चे की मौत, परिजनों का सरकारी डाक्टरों पर लापरवाही का आरोप

भीलवाड़ा में व्यापक असर : भीलवाड़ा के महात्मा गांधी अस्पताल में विशेष व्यवस्था की है, जहां बुधवार को जिले के तमाम चिकित्सा कर्मियों के भीलवाड़ा की राजमाता विजय राजे सिंधिया मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने अवकाश निरस्त कर दिए गए हैं. वहीं, अस्पताल में ओपीडी में पीएमओ डॉ. अरुण गौड ने कहा कि आउटडोर में 2-2 डॉक्टर बैठाए गए हैं. अस्पताल में अंदर और बाहर पुलिस का जाब्ता भी तैनात किया है. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी अस्पताल में आए मरीज को उपचार के अभाव में खाली हाथ वापस नहीं जाना पड़े इसके लिए आउटडोर में एक कमरे में दो- दो डॉक्टर बिठाए हैं. वर्तमान में डॉक्टरों की हड़ताल के चलते महात्मा गांधी अस्पताल में वर्क लोड बढ़ा है हमने आईसीयू में बेड बढ़ाए हैं ओर एक नए आईसीयू वार्ड की शुरुआत की है जिसमें 12 बेड लगाये है. वर्तमान में सीटी स्कैन, एमआरआई, सोनोग्राफी और डिलीवरी की संख्या बढी है. हमारा पूरा प्रयास है कि इन परिस्थितियों में गंभीर मरीज किसी भी हालत में परेशान नहीं हो.

करौली का जानिए हाल: डॉक्टरों के बुधवार को सामुहिक अवकाश पर चले जाने के बाद करौली जिला अस्पताल में मरीज बेबस और लाचार नजर आए. हालांकि, अस्पताल प्रबंधक की तरफ से वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर चिकित्सक नियुक्त किए गए है, फिर भी मरीजों को कोई राहत नहीं मिल पाई. वहीं, चिकित्सकों ने मरीजों को घर पर देखना भी बंद कर रखा है. जिससे मरीजों में भी चिकित्सकों के प्रति आक्रोश नजर आ रहा है. डॉक्टर्स ने सामूहिक अवकाश कर सरकार से राइट टू हेल्थ बिल में आवश्यक सुधार करने, डॉक्टर्स पर हुए लाठीचार्ज और बिल का विरोध जताया. करौली हॉस्पिटल के सभी डॉक्टर्स इससे पूर्व 2 घंटे का कार्य बहिष्कार कर विरोध प्रकट कर रहे थे.

पढ़ें : Protest against Right to Health Bill : राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में आज बंद, जानिए कौन सी सेवाओं पर सरकार सख्त

राजधानी जयपुर में विरोध जारी : जयपुर में राइट टू हेल्थ का विरोध कर रहे निजी चिकित्सालयों के साथ ही रेजिडेंट पिछले कई दिनों से हड़ताल पर चल रहे हैं. आज चिकित्सा शिक्षकों ने भी महाबंद को समर्थन देते हुए एक दिन के कार्य बहिष्कार का ऐलान किया था. उन्होंने आउटडोर सहित अन्य कामकाज का बहिष्कार किया है. ऐसे में आउटडोर में आने वाले मरीजों की सुविधा को लेकर सरकार ने खास एहतियात बरतने के निर्देश जारी किए थे. ऐसे में एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजीव बगरहट्टा से लेकर एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अचल शर्मा और अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. प्रदीप शर्मा, अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. मनोज शर्मा, अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. एसएस राणावत, अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. राशिम कटारिया ने आउटडोर में और इमरजेंसी में डॉ. बीपी मीणा ने मोर्चा संभाला और मरीजों को उपचार मुहैया करवाया. दूसरी तरफ बच्चों के सबसे बड़े अस्पताल जेके लोन में भी आउटडोर, इमरजेंसी और ओटी में प्रशासनिक व्यवस्थाओं से जुड़े डॉक्टर्स को ड्यूटी पर लगाया गया है.

थोड़ा समय लग सकता है लेकिन सभी का करेंगे उपचार : एसएमएस अस्पताल की ओपीडी में हृदय रोग विशेषज्ञों के चैंबर के बाहर सबसे ज्यादा भीड़ रही. एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजीव बगरहट्टा ने बताया कि आज चिकित्सा शिक्षकों ने ओपीडी का कार्य बहिष्कार करने की घोषणा की थी. ओपीडी में भीड़ ज्यादा होने के कारण यह काफी चैलेंजिंग है. लेकिन मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में प्रशासनिक व्यवस्था में लगे डॉक्टर्स की आउटडोर में ड्यूटी लगाई गई है. इससे मरीजों को उपचार मिल रहा है. हालांकि, चिकित्सा शिक्षकों ने इमरजेंसी का बहिष्कार नहीं किया है. उनका कहना है कि मरीजों की भीड़ और कार्य बहिष्कार के कारण थोड़ा समय लग सकता है लेकिन सभी का उपचार किया जा रहा है.

450 जूनियर रेजिडेंट की भर्ती की प्रक्रिया शुरू : डॉ. राजीव बगरहट्टा ने बताया कि मौजूदा हालात की चुनौती से निपटने के लिए सरकार ने 450 नए जूनियर रेजिडेंट की भर्ती की अनुमति दी है. ऐसे में 450 नए जूनियर रेजिडेंट की भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी है. जल्दी ही उनके काम पर आने से हालात कंट्रोल में होंगे. इसके साथ ही हड़ताल पर चल रहे रेजिडेंट पर कार्रवाई के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस संबंध में रेजिडेंट्स का डाटा जुटाया जा रहा है. हड़ताल को लेकर उनका पिछले रिकॉर्ड भी खंगाला जा रहा है. इन सभी बातों का एनालिसिस कर आगे कार्रवाई की जाएगी.

जालोर में 3 साल के बच्चे की मौत: जालोर में मंगलवार को इलाज के अभाव में जालोर के एमसीएच में एक तीन साल के मासूम की मौत हो गई. जिसके बाद परिजनों ने चिकित्सकों पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है. जानकारी के अनुसार, मंगलवार सुबह मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की हड़ताल के कारण प्रॉपर इलाज नहीं होने से सिंह 3 साल के मासूम जालोर जिले का काम्बा गांव के धनपत पुत्र विक्रम सिंह की मौत हो गई.

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