नई दिल्ली : राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के खिलाफ वर्ष 2020 में भी अपराध के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई. इस अवधि में इन समुदायों के खिलाफ सबसे अधिक अपराध उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए.
आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल अनुसूचित जाति के लोगों के खिलाफ हुए अपराधों के संबंध में 50,291 मामले दर्ज किए गए जोकि 2019 (45,961 मामले) में दर्ज मामलों से 9.4 फीसदी अधिक रहा.
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2020 के दौरान एससी के खिलाफ हुए अपराध या अत्याचार में सबसे अधिक हिस्सा 'मामूली रूप से चोट पहुंचाने' का रहा और ऐसे 16,543 मामले दर्ज किए गए. इसके बाद अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम के तहत 4,273 मामले जबकि 'आपराधिक धमकी' के 3,788 मामले सामने आए.
आंकड़ों के मुताबिक, 3,372 अन्य मामले बलात्कार के लिए, शील भंग करने के इरादे से महिलाओं पर हमले के 3,373, हत्या के 855 और हत्या के प्रयास के 1,119 मामले दर्ज किए गए.
एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट मुताबिक, अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अपराध करने के लिए कुल 8,272 मामले दर्ज किए गए जोकि 2019 (7,570 मामले) की तुलना में 9.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत कार्यरत एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2020 के दौरान अनुसूचित जनजाति के खिलाफ हुए अपराध या अत्याचार में सबसे अधिक हिस्सा 'मामूली रूप से चोट पहुंचाने' का रहा और ऐसे 2,247 मामले दर्ज किए गए. इसके बाद बलात्कार के 1,137 मामलों के अलावा महिलाओं पर शील भंग करने के इरादे से हमले के 885 मामले सामने आए.
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राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2020 में एससी समुदाय के खिलाफ अपराध के सबसे अधिक 12,714 मामले उत्तर प्रदेश से और इसके बाद बिहार से 7,368 मामले जबकि राजस्थान से 7,017 तथा मध्य प्रदेश से 6,899 मामले सामने आए.
वहीं, वर्ष 2020 में एसटी समुदाय के खिलाफ सबसे अधिक अपराध के 2,401 मामले मध्य प्रदेश में जबकि 1,878 मामले राजस्थान में दर्ज किए गए.
(पीटीआई-भाषा)