हैदराबाद : जर्मन वैज्ञानिकों की एक टीम ने दावा किया है कि कोरोना वायरस से लड़ने में माउथवॉश मददगार साबित हो सकता है. माउथवॉश के उपयोग से वायरस मुंह के द्वारा गले में पहुंचने से पहले ही और कोशिका को संक्रमित करने से पहले ही खत्म हो जाएगा.
संक्रामक रोगों के जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, कोरोना वायरस मुंह के द्वारा मरीज के गले में पहुंच रहा है. कोरोना मरीज के गले और मुंह में वायरस के कण पाए गए हैं.
शोधकर्ताओं का कहना है कि माउथवॉश का उपयोग वायरस के खिलाफ प्रभावी है, जो वायरल लोड को कम करने में मदद करता है और संभवत: कोरोना वायरस ट्रांसमिशन के जोखिम को कम कर सकता है.
अध्ययन शोधकर्ता टोनी मीस्टर ने बताया कि 'शोध के अनुसार माउथवॉश से कुल्ला करने से कोशिकाओं में वायरस के उत्पादन को रोक नहीं जा सकता है, लेकिन यह कम समय में मुंह और गले में वायरल लोड को कम कर सकता है.'
निष्कर्षों के लिए, शोधकर्ताओं के एक दल ने जर्मनी में अलग-अलग फार्मेसी और ड्रगस्टोर्स में उपलब्ध आठ विभिन्न प्रकार के माउथवॉश का परीक्षण किया है.
उन्होंने प्रत्येक माउथवॉश को वायरस के कणों और एक पदार्थ के साथ मिलाया, जिसका उद्देश्य मुंह में लार को फिर से बनाना था.
इस मिश्रण को 30 सेकंड तक गरारे करने के प्रभाव का अनुकरण करने के लिए हिलाया गया.
इसके बाद शोधकर्ताओं ने वेरो ई 6 कोशिकाओं का इस्तेमाल किया.
अध्ययन में कहा गया है कि इसे सब से यह पता चला कि इससे प्रारंभिक वायरल लोड कम हो रहा है. वहीं तीन प्रकार के माउथवॉश ने वायरल लोड को इस हद तक कम कर दिया कि 30 सेकंड के बाद किसी भी वायरस के होने का पता नहीं लगाया जा सका.
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हालांकि, माउथवॉश कोविड -19 का पूर्ण इलाज नहीं कर सकता है, लेकिन कम समय में वायरल लोड को कम कर सकता है.
अध्ययन में कहा गया कि नैदानिक अभ्यास में इसके प्रभाव की पुष्टि होती है या नहीं और इसका प्रभाव कितने समय तक रहता है, इसकी जांच होनी चाहिए.