आदिवासी लोकधुनों पर कोरोना का साया, गली-मोहल्लों में पसरा सन्नाटा - मंडला कोरोना
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मंडला। भले ही देश कितना आधुनिक क्यों न हो जाए, पर आज भी अपनी संस्कृति को आदिवासी बड़ी शिद्दत से संजो रहे हैं, कोरोना की चेन तोड़ने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन है तो इस खामोशी में आदिवासी लोकधुन भी खामोश है, जबकि और दिनों में बिना लोकधुनों के इनका कोई काम पूरा नहीं होता था और इन्हीं परंपराओं में इनकी खुशियां बसती हैं,मुश्किल दौर को भी आदिवासी इन्हीं धुनों की तान में शामिल कर आसान कर लेते हैं. इनकी खासियत है कि ये दिखावे पर नहीं जाते, बल्कि ढोल-नगाड़े की धुन पर लोकगीतों के जरिए खुशियां ढूंढ़ लेते हैं.