पद्मश्री भूरी बाई: कैसा रहा मजदूर से कला तक का सफर ?

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Published : Feb 13, 2021, 2:23 PM IST

Updated : Feb 13, 2021, 2:32 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले की रहने वाली भूरी बाई को हाल ही में पद्मश्री सम्मान के लिए नामित किया गया है. भूरी बाई का जन्म मध्यप्रदेश में झाबुआ जिले के पिटोल गांव में हुआ, लेकिन शादी के बाद 17 साल की उम्र में वे भोपाल आ गईं और भारत भवन से मजदूरी के साथ चित्रकला की शुरुआत की. आज उनकी कला के लिए उन्हें देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी जाना जाता है. कला प्रेमी भूरी बाई ने ईटीवी भारत से अपने जीवन के संघर्ष को साझा किया. भूरी बाई ने बताया कि वे 17 साल की थीं जब उनकी शादी हुई. शादी के बाद वे पति के साथ भोपाल आईं. जहां से उनकी जिंदगी में चित्रकारी को लेकर एक नया सफर शुरू हुआ. पद्मश्री भूरी बाई कला के क्षेत्र में उन्हें पहला शिखर सम्मान 1986 में मिला. उसके बाद 1998 में मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें देवी अहिल्या सम्मान दिया और यह सम्मान मिलने के बाद उन्हें विदेश में पेंटिंग बनाने का मौका मिला. भूरी बाई 2018 में अपने चित्र कला का प्रदर्शन करने अमेरिका गई उसके बाद कई सम्मान जिला स्तर और राज्य स्तर पर मिलते रहे, लेकिन पद्मश्री मिलेगा इसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी.
Last Updated : Feb 13, 2021, 2:32 PM IST

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