Gwalior Dog Show: BSF के श्वानों ने दिखाए हैरतअंगेज कारनामे, एक्सप्लोसिव और ड्रग्स ढूंढने में भी ट्रेंड हैं ये डॉग्स
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ग्वालियर। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इस बार भी बीएसएफ अकादमी टेकनपुर के ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट के डॉग्स ने एसएएफ ग्राउंड में अपने प्रदर्शन से लोगों को दांतो तले उंगली दबाने के लिए मजबूर कर दिया. कई देशी और विदेशी नस्ल के कुत्तों ने मुख्य कार्यक्रम में अपने प्रदर्शन में लोगों को एहसास कराया कि वह किसी भी रूप में काम कर सकते हैं. देश की सुरक्षा व्यवस्था, नशे के सौदागरों के खिलाफ कार्रवाई, आतंकी ऑपरेशन में डॉग्स इंसानों के सबसे बेहतर साथी हैं. कई बार डॉग्स ने अपनी जान देकर कई जिंदगियां बचाई हैं. डॉग अब देश की सीमाओं की सुरक्षा के साथ ही अन्य सुरक्षा, कानून व्यवस्था से जुड़ी संस्थाओं में अपनी दक्षता को भी प्रदर्शित कर दिखाया है. सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों के अनुसार अलग-अलग फील्ड्स में सन 1970 से डॉग को ट्रेनिंग दी जा रही है. इस केंद्र ने अब तक करीब पांच हजार से ज्यादा श्वानों को प्रशिक्षित किया है. जो नारकोटिक्स, एक्सपिलोजिव, ट्रैकर, वाइल्ड लाइफ, ड्रोन कोर्स, माइंड्स डिटेक्शन सहित कई अन्य विधाओं में उन्हें पारंगत किया गया है. वोकल फॉर लोकल के तहत 100 में से 20 प्रतिशत श्वान देसी नस्ल के होते हैं. इनमें रामपुर हाउंड, मुधोल हाउंड जैसी अलग-अलग देसी नस्लें शामिल होती हैं. देशी नस्ल के श्वानों के प्रशिक्षण में छह से नौ महीने का समय लगता है. कुछ श्वान समय से पहले भी प्रशिक्षित हो जाते हैं. बीएसएफ ट्रेनिंग सेंटर से प्रशिक्षित कोबरा श्वान ऑल इंडिया पुलिस ड्यूटी मीट में गोल्ड मेडल हासिल कर चुकी है. उसने भी अपने कौशल का प्रदर्शन किया.