विदिशा। बदलते दौर के साथ शहर में त्योहारों का स्वरूप भले ही बदल गया हो पर ग्रामीण अंचलों में आज भी अपने पुरखों द्वारा बताए हुए अंदाज़ में होली मनाई जाती है. आज भी कई गांव में गोबर के कंडों की होली दहन की जाती है. गांवों में होली के त्योहार के लिए हर घर में गोबर से मलरिया बनाई जाती हैं.
होली के त्योहार में मलरिया का महत्त्व
दरअसल शहर से सटे गांवों में होली का त्योहार भी पुराने ही अंदाज़ में मनाया जाता है. गांवों के घरों में गाय के गोबर से चांद तारे चक्र बनाये जाते है. हर घर के आगे रखकर इन्हें गुलाल लगाया जाता है. फिर गेहूं की बालों को जलाया जाता है, फिर इनकी पूजा की जाती है. ये रीति रिवाज होलिका दहन वाले दिन किया जाता है .
वहीं गांव में रहने वाली महिलाएं बताती है कि होलिका दहन के दिन गाय के गोबर का बहुत महत्व होता हैं. आज के दिन घर को भी गोबर से पोता जाता है. मलरिया कि पूजा की जाती है. गोबर से बनी मलरिया को साल भर घरों की छतों पर रखा जाता है. इसे छत पर रखने से भूत प्रेत के संकट से घर दूर रहता है.