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विदिशा के कांच मंदिर का क्या है इतिहास, सिंधिया के पूर्वजों की वजह से बना ये मंदिर, जानें पूरी कहानी

मध्य प्रदेश के विदिशा में शिव भगवान का कांच मंदिर स्थापित है. जहां सावन माह के आते ही भक्तों की भीड़ लग जाती है. विदिशा के कांच मंदिर को क्यों जीजाबाई की छतरी कहा जाता था, और क्या है इस मंदिर का महत्तव जाने यहां.(Vidisha Vishweshwar Mahadev Temple) (Glass temple built by Jijabai in Vidisha)

Glass Temple in Vidisha
विदिशा में कांच मंदिर
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Published : Jul 24, 2022, 5:31 PM IST

Updated : Jul 25, 2022, 1:52 PM IST

विदिशा। शहर के माधवगंज पर स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर को कांच मंदिर के नाम से भी जाना जाता है(Glass Temple in Vidisha). सावन का महीना आते ही कांच मंदिर को लाइट और फूलों से सजाया गया है. मंदिर के बाहर भगवान शिव के दर्शनों के लिए हर दिन लंबी कतारें लगी रहती है. सावन सोमवार के दूसरे दिन शिव भक्त सुबह से ही बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. हर उम्र के लोग भगवान शिव की भक्ति में लीन नजर आए और भगवान शिव का जलाभिषेक किया.

विदिशा में कांच मंदिर

सिंधिया के पूर्वजों की वजह से बना ये मंदिर: आज जहां पर कांच मंदिर स्थित है, वहां पहले एक महिला की प्रतिमा होती थी. वह महिला जीजाबाई थीं. ये माधवराव सिंधिया के पिताजी के पिताजी यानी माधवराव सिंधिया के दादाजी की बहन थीं(Glass Temple built because of Scindia ancestors). उनका नाम जीजाबाई था, और इस जगह का नाम बाईसाहब की छतरी रखा गया था. उनके आराध्य के लिए भगवान शंकर की एक प्रतिमा और शिवलिंग यहां रखी गई थी. इसके बाद 1926 में एडवोकेट विश्वेश्वर नाथ श्रीवास्तव ने यहां एक मंदिर बनवाया, और उस मंदिर के पुजारी पंडित भवानी शंकर आचार्य को ना केवल पुजारी नियुक्त किया, बल्कि इसके दस्तावेज के भी सारे काम दिए. इस दस्तावेज में उन्होंने लिखवाया कि पंडित भवानी शंकर आचार्य के बाद आगे की उनकी पीढ़ियां इस मंदिर की पूजा का कार्य करेगी.(Glass temple built by Jijabai in Vidisha)

Vidisha Vishweshwar Mahadev Temple
विदिशा विश्वेश्वर महादेव मंदिर

मंदिर के दूसरी बार निर्माण में कांच का हुआ इस्तेमाल: जब ग्वालियर राजवंश का राज खत्म हुआ, तो देश आजाद हुआ. उन्हीं दिनों इस मंदिर में किसी बेल या सांड का आतंक के कारण मूर्तियां खंडित हो गई थी, फिर जनभागीदारी से 1966 या 1967 के साल में भगवान शंकर की मूर्ति बनवाई गई, शिवलिंग बना लेकिन जीजाबाई की प्रतिमा फिर नहीं बनाई गई. 1970 के दशक के शुरुआत में इस मंदिर में कांच का कार्य हुआ और इसके बाद यह मंदिर सजीला दिखने लगा. इस मंदिर का ना केवल महत्व धार्मिक है, बल्कि यह सिद्ध स्थान भी माना जाता है और यह स्टेशन के काफी पास है.

Sawan 2022: महाकाल मंदिर में अखिल भारतीय श्रावण महोत्सव का शुभारंभ, कलाकारों ने सुर, संगीत व ताल से बांधा समा

कांच मंदिर शिवालय: वर्तमान में पंडित शशि मोहन आचार्य कांच मंदिर शिवालय के पुजारी हैं. वह बताते हैं कि यह विश्वेश्वर महादेव का मंदिर है(Vidisha Vishweshwar Mahadev Temple), जिसे आजकल कांच मंदिर कहा जाने लगा है. यह मंदिर सन् 1926 में बना है. हमलोग तीसरी पीढ़ी से यहां पूजन करते आए हैं. यहां जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से आता है, उसकी भगवान मनोकामना पूर्ण करते हैं. कई भक्त पुत्र की प्राप्ति की मनोकामना करते हैं. यहां पर भक्तों द्वारा मांगे हर मनोकामना को पूरा करते हैं. यहां तक कि कोर्ट कचहरी के मामले भी यहां सुलझ जाते हैं, और विदिशा की बेतवा नदी से यहां पर कावड़िया भी कावड़ सजा कर लाते हैं और यहां पर भगवान भोले का अभिषेक करते हैं.

विदिशा। शहर के माधवगंज पर स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर को कांच मंदिर के नाम से भी जाना जाता है(Glass Temple in Vidisha). सावन का महीना आते ही कांच मंदिर को लाइट और फूलों से सजाया गया है. मंदिर के बाहर भगवान शिव के दर्शनों के लिए हर दिन लंबी कतारें लगी रहती है. सावन सोमवार के दूसरे दिन शिव भक्त सुबह से ही बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. हर उम्र के लोग भगवान शिव की भक्ति में लीन नजर आए और भगवान शिव का जलाभिषेक किया.

विदिशा में कांच मंदिर

सिंधिया के पूर्वजों की वजह से बना ये मंदिर: आज जहां पर कांच मंदिर स्थित है, वहां पहले एक महिला की प्रतिमा होती थी. वह महिला जीजाबाई थीं. ये माधवराव सिंधिया के पिताजी के पिताजी यानी माधवराव सिंधिया के दादाजी की बहन थीं(Glass Temple built because of Scindia ancestors). उनका नाम जीजाबाई था, और इस जगह का नाम बाईसाहब की छतरी रखा गया था. उनके आराध्य के लिए भगवान शंकर की एक प्रतिमा और शिवलिंग यहां रखी गई थी. इसके बाद 1926 में एडवोकेट विश्वेश्वर नाथ श्रीवास्तव ने यहां एक मंदिर बनवाया, और उस मंदिर के पुजारी पंडित भवानी शंकर आचार्य को ना केवल पुजारी नियुक्त किया, बल्कि इसके दस्तावेज के भी सारे काम दिए. इस दस्तावेज में उन्होंने लिखवाया कि पंडित भवानी शंकर आचार्य के बाद आगे की उनकी पीढ़ियां इस मंदिर की पूजा का कार्य करेगी.(Glass temple built by Jijabai in Vidisha)

Vidisha Vishweshwar Mahadev Temple
विदिशा विश्वेश्वर महादेव मंदिर

मंदिर के दूसरी बार निर्माण में कांच का हुआ इस्तेमाल: जब ग्वालियर राजवंश का राज खत्म हुआ, तो देश आजाद हुआ. उन्हीं दिनों इस मंदिर में किसी बेल या सांड का आतंक के कारण मूर्तियां खंडित हो गई थी, फिर जनभागीदारी से 1966 या 1967 के साल में भगवान शंकर की मूर्ति बनवाई गई, शिवलिंग बना लेकिन जीजाबाई की प्रतिमा फिर नहीं बनाई गई. 1970 के दशक के शुरुआत में इस मंदिर में कांच का कार्य हुआ और इसके बाद यह मंदिर सजीला दिखने लगा. इस मंदिर का ना केवल महत्व धार्मिक है, बल्कि यह सिद्ध स्थान भी माना जाता है और यह स्टेशन के काफी पास है.

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कांच मंदिर शिवालय: वर्तमान में पंडित शशि मोहन आचार्य कांच मंदिर शिवालय के पुजारी हैं. वह बताते हैं कि यह विश्वेश्वर महादेव का मंदिर है(Vidisha Vishweshwar Mahadev Temple), जिसे आजकल कांच मंदिर कहा जाने लगा है. यह मंदिर सन् 1926 में बना है. हमलोग तीसरी पीढ़ी से यहां पूजन करते आए हैं. यहां जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से आता है, उसकी भगवान मनोकामना पूर्ण करते हैं. कई भक्त पुत्र की प्राप्ति की मनोकामना करते हैं. यहां पर भक्तों द्वारा मांगे हर मनोकामना को पूरा करते हैं. यहां तक कि कोर्ट कचहरी के मामले भी यहां सुलझ जाते हैं, और विदिशा की बेतवा नदी से यहां पर कावड़िया भी कावड़ सजा कर लाते हैं और यहां पर भगवान भोले का अभिषेक करते हैं.

Last Updated : Jul 25, 2022, 1:52 PM IST
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