विदिशा। गुरु पूर्णिमा के अवसर सोमवार शाम को लुहांगी मेले आयोजित किया जा रहा है. वराह मिहिर ईसा की पांचवीं-छठी शताब्दी के भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलज्ञ थे. वराह मिहिर ने ही अपने पंचसिद्धान्तिका में सबसे पहले बताया कि अयनांश का मान 50.32 सेकेण्ड के बराबर है. कापित्थक (उज्जैन) में उनके द्वारा विकसित गणितीय विज्ञान का गुरुकुल सात सौ वर्षों तक अद्वितीय रहा. वराह मिहिर बचपन से ही अत्यन्त मेधावी और तेजस्वी थे. अपने पिता आदित्यदास से परम्परागत गणित एवं ज्योतिष सीखकर इन क्षेत्रों में व्यापक शोध कार्य किया.
106 वर्षों से वायु परीक्षण : इन्द्रप्रस्थ में लौहस्तम्भ के निर्माण और ईरान के शहंशाह नौशेरवाँ के आमंत्रण पर जुन्दीशापुर नामक स्थान पर वैधशाला की स्थापना हुई. वराह मिहिर का मुख्य उद्देश्य गणित एवं विज्ञान को जनहित से जोड़ना था. वस्तुतः ऋग्वेद काल से ही भारत की यह परम्परा रही है. वराह मिहिर ने पूर्णतः इसका परिपालन किया. धर्माधिकारी के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन विदिशा के सर्वोच्च स्थान राजेन्द्र गिरी लोहांगी की पहाड़ी पर गिरधर गोविंद प्रसाद शास्त्री के पूर्वजों द्वारा लगभग 106 वर्षों से वायु परीक्षण किया जा रहा है.
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भविष्यवाणी का इंतजार : इसी क्रम में फिर से वायु परीक्षण किया जा रहा है. पूरे मध्यप्रदेश में किस प्रकार की वर्षा होगी, किस प्रकार की फसलें होंगी, इसकी भविष्यवाणी ज्योतिष शास्त्र के वराह मिहिर के ग्रंथ के अनुसार फलादेश किया जाता है. बता दें कि आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की गुरु पूर्णिमा के दिन शाम के वक्त गोधूलि बेला में सूर्यास्त के पहले राजेंद्र गिरी लोहंगी पहाड़ी पर खड़े होकर के 106 वर्ष पूर्ण उमाशंकर शास्त्री ज्योतिष आचार्य करते थे और वह भविष्यवाणी सटीक होती थी. लगभग 25 वर्षों तक उन्होंने यह भविष्यवाणी की. उ,तके बाद वरिष्ठ धर्माधिकारी पंडित गोविंद प्रसाद शास्त्री द्वारा 70 वर्षों तक वायु परीक्षण किया गया.