विदिशा। कमलनाथ सरकार बेशक राज्य के हर गांव को स्वच्छ बनाने के तमाम दावे क्यों न कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. घर- घर जाकर स्वच्छता के लिए लोगों को प्रेरित करने वाले स्वच्छता प्रेरक कर्मचारी खुद वेतन नहीं मिलने से परेशान हैं. जिसके चलते कर्मचारियों को आर्थिक संकट के दौर से गुजरना पड़ रहा है. कर्मचारियों ने राज्य सरकार से वेतन देने की मांग की है.
ग्राम पंचायत इन कर्मचारियों के मुताबिक उनकी नियुक्ति 2017 में हुई थी. तब से लेकर आज तक तमाम कर्मचारी हर ग्राम को स्वच्छ बनाने का काम कर रहे हैं. पिछले चार महीने ने इन कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है. स्वच्छता प्रेरक कर्मचारियों के जिला अध्यक्ष शुभम सिंह ने बताया कि, सभी जगह सूचना देने के बाद भी आज तक हमे मानदेय नहीं मिला है.