विदिशा। इस बार घर में ही ईद की नमाज अदा करेंगे,
कई मुसीबतों के बाद भी, शुक्र हम खुदा का अदा करेंगे
बहुत रंजो-गम में है यह दुनिया
इन गमों में शहरलासी यह ईद सादगी से मनाएंगे
इन्ही चंद लाइन और पैगाम को लेकर आई है 2020 की ईद. पहली बार ईद का त्योहार और इबादत का महीना लॉकडाउन और कोरोना के खौफ में निकल गया. मस्जिदे सूनी और बाजार वीरान रह गए. जो दिन एक दूसरे को गले मिलाकर सारे गिले शिकवे दूर करता था, इस बार वो दिन बिना हाथ मिलाए ही निकल गया. ईद की मिठास फीकी हो गई, शहर का शोर गुल कहीं गुम हो गया फिर भी ईद सादगी से मनाई जाएगी. साथ ही घरों में ही ईद की नमाज और इबादत की जाएगी.
यह पहला मौका है जब मस्जिदों के साथ ईदगाह में ताले होंगे. इस बार बच्चों को ईदी नहीं मिलेगी. एक-दूसरे के घर लोग ईद मिलने, सेवईं खाने नहीं जा सकेंगे. बाजार इस ईद पर गुलजार नहीं बल्कि बे रौनक नजर आएंगे. शहर के लोगों ने तय किया है कि इस बार वे घरों पर ही ईद मनाएंगे और न ही नए कपड़े पहनेंगे. वहीं विदिशा मुस्लिम त्योहार कमेटी के महमूद कामिल का कहना है कि पूरी दुनिया कोरोना से परेशान हैं. देश का मजदूर सड़कों पर है और ऐसे में हम खुशी की ईद नहीं मना सकते हैं. उन्होंने कहा कि असल ईद, दिवाली हमारे देश में तब होगी जब हम सभी लोग कोरोना से जंग जीतेंगे.
इबादत के बदले मिलता है ईद का इनाम
ईद का मतलब खुशी का दिन कहा जाता है. 30 दिन इबादत करने के बाद उन नेक बंदों को भी इनाम मिलता है जिन्होंने भूखे-प्यासे रहकर एक महीने खुदा की इबादत की है, गरीब बेहसहरा लोगों को दान दक्षिणा यानी सतका जकात अदा की है. एक मुसलमान खुदा से इनाम के बदले बस यही दुआ मांग रहा है कि यह मुल्क कोराना से आजाद हो जाए.
सावधानी बरतने की अपील
फरहद चौधरी भी कोरोना महामारी से बचने के लिए बताते हैं कि इस बार सादगी भरी ईद है. 30 दिन जो मस्जिदों में इबादत की जाती थी वो लोगों ने घरों में ही इबादत की है. जो खुशी हर साल होती थी वो खुशी नहीं है. देश कोरोना संकट से जूझ रहा है. लोगों ने मिलकर फैसला लिया है, शहर का कोई भी शख्स ईद पर नए कपड़े नहीं पहनेगा. लोग अपने घरों में रहकर ईद मनाएंगे और एक दूसरे से दूरी बनाए रखेंगे. बाजारों में खरीदारी की जगह गरीबों की मदद लगातार की जा रही है.