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पेड़ों को दोस्ती का सूत्र बांधकर मनाया अनूठा फ्रेंडशिप डे, लिया रक्षा का संकल्प

विदिशा के मुक्तिधाम में पर्यावरण प्रेमियों ने फ्रेंडशिप डे के मौके पर अपने दोस्त वृक्षों को दोस्ती का सूत्र बांधकर उन्हें बचाने का संकल्प लिया है.

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Published : Aug 5, 2019, 1:01 PM IST

पेड़ों को फ्रेंडशिप बैंड बांधकर मनाया फ्रेंडशिप डे

विदिशा। अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे देशभर में धूमधाम से मनाया गया. विदिशा के मुक्तिधाम में भी अनूठा फ्रेंडशिप डे सेलिब्रेट किया गया. यहां सुबह से ही पर्यावरणप्रेमियों ने इकट्ठा होकर मानव जीवन को बचाने वाले वृक्षों को फ्रेंडशिप बैंड बांधकर उनसे दोस्ती पक्की कर ली है और उनकी रक्षा करने का संकल्प भी लिया है.

पेड़ों को फ्रेंडशिप बैंड बांधकर मनाया फ्रेंडशिप डे


जिले में सामाजिक और पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्था मुक्तिधाम सेवा समिति ने फ्रेंडशिप डे पर बड़ी संख्या में बेतवा नदी तट पर बने मुक्तिधाम में सैकड़ों की तादाद में वृक्षों को दोस्ती का सूत्र बांधा. साथ ही यहां पौधारोपण भी किया. कार्यक्रम के दौरान शहर के विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोग और स्थानीय निवासी मौजूद थे.


पर्यावरण प्रेमियों ने कहा कि हम सब फ्रेंडशिप डे पर दोस्तों को फ्रेंडशिप बैंड बांधते हैं, लेकिन मुक्ति धाम सेवा समिति की ये अनूठी पहल अनुकरणनीय है. उन्होंने कहा कि यहां लोगों ने पेड़ों की रक्षा करने का संकल्प लिया है.

विदिशा। अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे देशभर में धूमधाम से मनाया गया. विदिशा के मुक्तिधाम में भी अनूठा फ्रेंडशिप डे सेलिब्रेट किया गया. यहां सुबह से ही पर्यावरणप्रेमियों ने इकट्ठा होकर मानव जीवन को बचाने वाले वृक्षों को फ्रेंडशिप बैंड बांधकर उनसे दोस्ती पक्की कर ली है और उनकी रक्षा करने का संकल्प भी लिया है.

पेड़ों को फ्रेंडशिप बैंड बांधकर मनाया फ्रेंडशिप डे


जिले में सामाजिक और पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्था मुक्तिधाम सेवा समिति ने फ्रेंडशिप डे पर बड़ी संख्या में बेतवा नदी तट पर बने मुक्तिधाम में सैकड़ों की तादाद में वृक्षों को दोस्ती का सूत्र बांधा. साथ ही यहां पौधारोपण भी किया. कार्यक्रम के दौरान शहर के विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोग और स्थानीय निवासी मौजूद थे.


पर्यावरण प्रेमियों ने कहा कि हम सब फ्रेंडशिप डे पर दोस्तों को फ्रेंडशिप बैंड बांधते हैं, लेकिन मुक्ति धाम सेवा समिति की ये अनूठी पहल अनुकरणनीय है. उन्होंने कहा कि यहां लोगों ने पेड़ों की रक्षा करने का संकल्प लिया है.

Intro:पूरा देश जहां आज मित्रता दिवस मना रहा है वही विदिशा के मुक्तिधाम में अनूठा फ्रेंडशिप डे सेलिब्रेट किया गया यहां सुबह से ही पर्यावरण प्रेमियों ने इकट्ठा होकर जीवन मूल्य बचाने वाले अपने दोस्त वृक्षों को मित्रता का सूत्र बांधकर उनसे दोस्ती पक्की कर ली है और उन्हें बचाने का संकल्प भी ले लिया है।

Body:पाश्चात्य संस्कृति से निकला आज का दिन फ्रेंडशिप डे यानी मित्रता दिवस को विदिशा की सामाजिक और पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्था मुक्ति धाम सेवा समिति ने आज फ्रेंडशिप डे पर अनूठा प्रयोग करते हुए वृक्षों को मित्र बना कर सैकड़ों की तादाद में पौधों को वृक्षों को मित्रता का सूत्र बांध दिया है और उनसे मित्रता बनाते हुए संकल्प भी लिया कि दोस्त तो हमें कभी धोखा भी दे देता है लेकिन वृक्ष हमें जीवन मूल्य देते हैं शुद्ध ऑक्सीजन देते हैं तो क्यों ना ऐसा मित्र हमारे जीवन का सच्चा साथी हो। और इसी को लेकर आज बड़ी संख्या में बेतवा नदी तट पर बने मुक्तिधाम में पहुंचकर सैकड़ों की तादाद में वृक्षों को मित्रता के सूत्र बांधे ना केवल मित्रता के सूत्र बांधे बल्कि यहां पौधारोपण कर भी पर्यावरण के प्रति दोस्ती का इजहार किया है। कार्यक्रम के दौरान शहर के गणमान्य नागरिक विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोग आदि सभी मौजूद थे।


Conclusion:. पर्यावरण प्रेमियों ने कहा कि हम सब फ्रेंडशिप डे खूब मनाते हैं लड़के लड़कियां एक दूसरे को फ्रेंडशिप बेल्ट बांधते हैं और दोस्ती की कसमें खाते हैं लेकिन मुक्ति धाम सेवा समिति के बैनर तले आज अनूठी पहल की गई जिसके तहत हम सभी लोगों ने अपने जीवन बचाने वाले वृक्षों को अपना सच्चा मित्र बताते हुए उन्हें मित्रता के सूत्र में बांधकर उनसे दोस्ती पक्की कर ली।
-मंजरी जैन,सदस्य रेलवे सलाहकार बोर्ड( मैं समझती हूं पश्चात संस्कृति मैं फ्रेंडशिप डे मनाते हैं लेकिन हमारे भारत में तो हर दिन दोस्ती का दिन होता है कृष्ण और सुदामा की दोस्ती की मिसाल दी जाती है लेकिन मुक्तिधाम सेवा समिति के सचिव और उनकी टीम को बधाई देती हूं कि वह हर अंग्रेजी दिवस को हिंदू दिवस में बना देते हैं और आज फ्रेंडशिप डे पर भी उन्होंने एक मिसाल कायम की है उन्होंने वृक्षों को जो 365 दिन उनकी सेवा करते हैं उनको मित्र बनाया और उनके साथ हमको भी जुड़ा है हम भी आज से उन वृक्षों के मित्र बन गए हैं वास्तव में यह एक संदेश है दुनिया के लिए की वृक्ष से बड़ा कोई मित्र हो नहीं सकता क्योंकि जब तक हम जीवित रहते हैं तब तक वह हमको ऑक्सीजन देकर हमें जीवित रखते हैं और मरने के बाद भी उसी वृक्ष की लकड़ी काम में आती है यह बड़ा संदेश है)


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