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इलाज के अभाव में मासूम की मौत, पैदल शव लेकर घर गए परिजन - lack of treatment

विदिशा के गुलाबगंज के प्रथामिक स्वास्थ केंद्र में एक दो साल के बच्चे ने इलाज के अभाव में अस्पताल में ही दम तोड़ दिया, इतना ही नहीं अस्पताल में बच्चे की मौत के बाद शव भी मां-बाप को पैदल ही लेकर जाना पड़ा.

innocent life lost due to lack of treatment
इलाज के अभाव में गई मासूम की जान
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Published : Apr 18, 2020, 4:44 PM IST

विदिशा। गुलाबगंज तहसील में दिल दहला देने वाला एक मामला सामने आया है, जहां इलाज के अभाव में 2 साल के मासूम को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा, बच्चे की मौत पर स्थानीय नागरिकों ने अस्पताल के स्टाफ को जिम्मेदार ठहराया है और आरोप लगाया है कि जब बच्चे के माता-पिता अस्पताल में बच्चे का इलाज कराने पहुंचे तो अस्पताल में न तो कोई डॉक्टर मिला, न ही अस्पताल का कोई स्टाफ. इतना ही नहीं अस्पताल में बच्चे की मौत के बाद उसके शव को भी माता-पिता को पैदल ही ले जाना पड़ा.

जिले के गुलाबगंज निवासी बट्टू लाल मजदूरी करता है और जब उसके बच्चे की अचानक तबियत खराब हुई तो वो उसे उपचार के लिए प्रथामिक स्वास्थ केंद्र ले गया, जहां कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते बच्चे के इलाज के लिए अस्पताल में एक भी डॉक्टर नहीं मिले, जहां इलाज के अभाव में बच्चे ने अस्पताल में ही दम तोड़ दिया.

अस्पताल में डॉक्टरों के नहीं पहुंचने का मामला इतना गंभीर हो गया कि कलेक्टर को डॉक्टरों के लिए आदेश जारी करना पड़ा कि डॉक्टरों को हर मरीज का इलाज करना होगा. स्थानीय नागरिक शेरा मालवीय ने बताया कि गुलाबगंज अस्पताल का ये पहला मामला नहीं है, जब किसी की इलाज के अभाव में मौत हुई हो, बल्कि इस तरह की घटना आम है और डॉक्टर अस्पताल से हमेशा नदारद रहते हैं.

इस बारे में जिला चिकित्सा अधिकारी को बताया तो वे खुद इस घटना से बेखबर नजर आये, जिसके बाद वे सीएमएचओ से जांच करा कर कार्रवाई कराने की बात कर रहे हैं.

विदिशा। गुलाबगंज तहसील में दिल दहला देने वाला एक मामला सामने आया है, जहां इलाज के अभाव में 2 साल के मासूम को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा, बच्चे की मौत पर स्थानीय नागरिकों ने अस्पताल के स्टाफ को जिम्मेदार ठहराया है और आरोप लगाया है कि जब बच्चे के माता-पिता अस्पताल में बच्चे का इलाज कराने पहुंचे तो अस्पताल में न तो कोई डॉक्टर मिला, न ही अस्पताल का कोई स्टाफ. इतना ही नहीं अस्पताल में बच्चे की मौत के बाद उसके शव को भी माता-पिता को पैदल ही ले जाना पड़ा.

जिले के गुलाबगंज निवासी बट्टू लाल मजदूरी करता है और जब उसके बच्चे की अचानक तबियत खराब हुई तो वो उसे उपचार के लिए प्रथामिक स्वास्थ केंद्र ले गया, जहां कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते बच्चे के इलाज के लिए अस्पताल में एक भी डॉक्टर नहीं मिले, जहां इलाज के अभाव में बच्चे ने अस्पताल में ही दम तोड़ दिया.

अस्पताल में डॉक्टरों के नहीं पहुंचने का मामला इतना गंभीर हो गया कि कलेक्टर को डॉक्टरों के लिए आदेश जारी करना पड़ा कि डॉक्टरों को हर मरीज का इलाज करना होगा. स्थानीय नागरिक शेरा मालवीय ने बताया कि गुलाबगंज अस्पताल का ये पहला मामला नहीं है, जब किसी की इलाज के अभाव में मौत हुई हो, बल्कि इस तरह की घटना आम है और डॉक्टर अस्पताल से हमेशा नदारद रहते हैं.

इस बारे में जिला चिकित्सा अधिकारी को बताया तो वे खुद इस घटना से बेखबर नजर आये, जिसके बाद वे सीएमएचओ से जांच करा कर कार्रवाई कराने की बात कर रहे हैं.

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