विदिशा। मध्यप्रदेश का कुरवाई विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 146 विदिशा जिला और सागर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है. यह क्षेत्र 1977 से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. यहां के मतदाताओं की संख्या 2,34,759 है जिनमें महिला मतदाताओं की संख्या 1,12177 एवं पुरुषों की संख्या 1,22581 है. जबकि अन्य मतदाता की संख्या 1 है. कुरवाई विधानसभा क्षेत्र 1957 से अस्तित्व में है. यहां पर दलित और मुस्लिम वोटर्स की संख्या सबसे ज्यादा है. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला होता आया है.
विदिशा के कुरवाई सीट से कांग्रेस ने रानी अहिरवार को उम्मीदवार बनाया है. जबकि बीजेपी ने हरि सिंह सप्रे को प्रत्याशी बनाया है. वहीं कुरवाई में बसपा भी तीसरी पार्टी के तौर पर चुनाव लड़ रही है. बसपा ने जानकी प्रसाद अहिरवार को टिकट दिया है. जबकि राज कुमार ठेकेदार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
6 बार जीती बीजेपी: 1957 में हुए चुनाव में कांग्रेस के तख्तमल ने जीत हासिल की थी. इस सीट पर 13 बार चुनाव हुआ है, जिसमें से 4 बार कांग्रेस को, 6 बार बीजेपी को, जबकि 2 बार भारतीय जनसंघ को और 1 बार जनसंघ पार्टी को जीत मिली है. पिछली 3 बार से इस सीट पर बीजेपी ही जीतती आई है. कांग्रेस को आखिरी बार 1998 में जीत मिली थी.
2008 में 11 हजार वोटों से हारी थीं कांग्रेस की माया: 2013 के चुनाव में बीजेपी के वीर सिंह पंवार ने जीत हासिल की थी. उन्होंने कांग्रेस की पानबाई को हराया था. वीरसिंह को जहां 65003 वोट मिले थे तो वहीं कांग्रेस की पानबाई को 60922 वोट मिले थे. 2008 के चुनाव की बात करें तो इस बार बीजेपी के हरि सिंह सप्रे ने जीत हासिल की थी. उन्होंने कांग्रेस की माया देवी को 11 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था. इसके बाद भाजपा ने जीते हुए उम्मीदवार का टिकट काटा नए प्रत्याशी वीर सिंह पवार को टिकट दिया और जिसमें वह जीते.
16695 मतों से जीते हरि सिंह सप्रे: इस सीट पर सन 2018 में भाजपा ने विधायक वीर सिंह पवार का टिकिट काटकर दोबारा पूर्व विधायक हरि सिंह सप्रे को मैदान में उतारा. जिन्होंने कांग्रेस के सुभाष बोहत को 16695 मतों से पराजित किया था. वर्तमान में इस कुरवाई विधानसभा सीट पर भाजपा के हरि सिंह सप्रे विधायक हैं. वही इस बार भाजपा एवं कांग्रेस दोनों ही दलों से टिकिट किसे मिलेगा? यह काफी महत्वपूर्ण रहेगा.
प्रमुख समस्याऐं: विदिशा जिले का सबसे पिछड़ा क्षेत्र है कुरवाई विधानसभा क्षेत्र. यहां के लोग पूरी तरह कृषि पर निर्भर हैं. लेकिन यहां सिंचाई के कोई साधन उपलब्ध नहीं हैं, न ही कृषि आधारित कोई उद्योग और न ही उपज बेचने कोई बड़ी मंडी हैं. इस क्षेत्र में न कोई रेलवे लाइन निकली है न कोई बड़ा हाईवे. यहां के लोगों को अपनी छोटी-छोटी जरूरतों, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार जैसी बुनियादी आवश्यकताओं के लिए भी आसपास के क्षेत्रों पर निर्भर रहना पड़ता है. यहां के पिछड़ेपन के कारण यहां तेजी से पलायन हो रहा है.
कई दावेदारों के नाम चर्चा में: भाजपा से वर्तमान विधायक हरिसिंह सप्रे, पूर्व विधायक वीर सिंह पवार, युवा नेता अनिल सोनकर के साथ ही कई नेता दावेदारी जता रहे हैं. तो वहीं कांग्रेस से प्रदीप अहिरवार, जिला पंचायत सदस्य रानी अहिरवार सहित कई अन्य दावेदारों के नामों की चर्चा है.
अभी तक के चुनाव में कौन जीता, कौन हारा -
सन 1957 में कांग्रेस के तखतमल निकटतम हिंदू महासभा के निरंजन वर्मा से 8526 मतों से जीते.
सन 1962 में कांग्रेस के तखतमल निकटतम हिंदू महासभा के जमना प्रसाद से 6578 मतों से जीते.
सन 1967 में भारतीय जनसंघ के के. कुमार निकटतम कांग्रेस के एच. सिंह से 18914 मतों से जीते.
सन 1972 में भारतीय जनसंघ के अवध नारायण कांग्रेस के तम सिंह से 6515 मतों से जीते.
सन 1977 में जनता पार्टी के रामचरण लाल निकटतम कांग्रेस के जीवन से 5162 मतों से जीते.
सन 1980 में कांग्रेस की पानबाई निकटतम भाजपा के परमानंद पंथी से 2402 मतों से जीती.
सन 1985 में भाजपा के श्यामलाल निकटतम कांग्रेस के पंचम लाल सप्रे से 1894 मतों से जीते.
सन 1990 में भाजपा के श्यामलाल निकटतम कांग्रेस के हीरालाल से 10040 मतों से जीते.
सन 1993 में भाजपा के चिरोंजी लाल सोनकर निकटतम कांग्रेस की पान बाई से 7626 मतों से जीते.
सन 1998 में कांग्रेस के रघुवीर सिंह भाजपा के चिरोंजी लाल सोनकर से 2826 मतों से जीते.
सन 2003 में भाजपा के श्यामलाल पंथी कांग्रेस के रघुवीर सिंह से 14202 मतों से जीते.
सन 2008 में भाजपा के हरि सिंह सप्रे कांग्रेस की माया देवी सप्रे से 11189 मतों से जीते.
सन 2013 में भाजपा के वीरसिंह पवार कांग्रेस की पान बाई पंथी से 4081 मतों से जीते.
सन 2018 में भाजपा के हरि सिंह सप्रे कांग्रेस के सुभाष बोहत से 16695 मतों से जीते.