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विदिशा: परमार महल के बाहर काजी ने लटकाया निजी संपत्ति का बोर्ड - udaipur vidisha

विदिशा के गंजबसौदा में सदियों पुराने परमार कालीन महल पर स्थानीय रहवासी ने निजी संपत्ति का बोर्ड लटका दिया है. इस बात को जब सोशल मीडिया में वायरल किया गया तो राज्य सूचना आयुक्त हरकत में आया और मौके पर पहुंचकर बोर्ड को हटवाया.

Parmar Mahal
परमार महल
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Published : Jan 7, 2021, 11:08 PM IST

विदिशा। एमपी अजब है, एमपी गजब है. ये लाइन महज एक टैग लाइन नहीं है. बल्कि इस बात विदिशा की एक घटना ने सही भी साबित कर दिखाया है. जिले के उदयपुर गांव में सदियों पुराने पुरातात्विक महल के बाहर किसी ने निजी संपत्ति का बोर्ड टंगा दिया. इस बात को जब सोशल मीडिया में उछाला गया तो राज्य सूचना आयुक्त हरकत में आया और मौके पर पहुंचकर बोर्ड को हटवाया.

महल के बाहर काजी ने लटकाया निजी संपत्ति का बोर्ड

गंजबासौदा से 16 किलोमीटर दूर ऐतिहासिक कस्बा उदयपुर में 10वीं-11वीं सदी का प्रसिद्ध परमारकालीन नीलकंठेश्वर मंदिर के पास ही परमार कालीन महल भी बना हुआ है. इस महल पर स्थानीय काजी ने निजी संपत्ति का बोर्ड लटका दिया था. इस बात का खुलासा तब हुआ, जब मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी उदयपुर घूमने आए. तब उनकी नजर इस बोर्ड पर पड़ी. उन्होंने इस मामले को फेसबुक पोस्ट के जरिए उजागर किया. साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों को ट्वीट भी किया. जिसके बाद स्थानीय लोगों ने सोशल मीडिया पर एक मुहिम शुरू कर दी. ये सब देख प्रशासन ने आनन-फानन में मौके पर पहुंच कर बोर्ड उतरवाया.

पढ़ें- गुड़ के लड्डू बढ़ाते हैं इम्युनिटी, इस मकर संक्रांति जरूर करें ट्राय

इस मामले पर बोर्ड लगाने वाले काजी का कहना है कि यह महल उन्हें बादशाह जहांगीर ने 400 साल पहले दिया था, जिसकी देखभाल अब तक हम कर रहे हैं. वहीं नायब तहसीलदार ने बताया कि सरकारी दस्तावेजों में यह महल पुरातात्विक धरोहर है.

विदिशा। एमपी अजब है, एमपी गजब है. ये लाइन महज एक टैग लाइन नहीं है. बल्कि इस बात विदिशा की एक घटना ने सही भी साबित कर दिखाया है. जिले के उदयपुर गांव में सदियों पुराने पुरातात्विक महल के बाहर किसी ने निजी संपत्ति का बोर्ड टंगा दिया. इस बात को जब सोशल मीडिया में उछाला गया तो राज्य सूचना आयुक्त हरकत में आया और मौके पर पहुंचकर बोर्ड को हटवाया.

महल के बाहर काजी ने लटकाया निजी संपत्ति का बोर्ड

गंजबासौदा से 16 किलोमीटर दूर ऐतिहासिक कस्बा उदयपुर में 10वीं-11वीं सदी का प्रसिद्ध परमारकालीन नीलकंठेश्वर मंदिर के पास ही परमार कालीन महल भी बना हुआ है. इस महल पर स्थानीय काजी ने निजी संपत्ति का बोर्ड लटका दिया था. इस बात का खुलासा तब हुआ, जब मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी उदयपुर घूमने आए. तब उनकी नजर इस बोर्ड पर पड़ी. उन्होंने इस मामले को फेसबुक पोस्ट के जरिए उजागर किया. साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों को ट्वीट भी किया. जिसके बाद स्थानीय लोगों ने सोशल मीडिया पर एक मुहिम शुरू कर दी. ये सब देख प्रशासन ने आनन-फानन में मौके पर पहुंच कर बोर्ड उतरवाया.

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इस मामले पर बोर्ड लगाने वाले काजी का कहना है कि यह महल उन्हें बादशाह जहांगीर ने 400 साल पहले दिया था, जिसकी देखभाल अब तक हम कर रहे हैं. वहीं नायब तहसीलदार ने बताया कि सरकारी दस्तावेजों में यह महल पुरातात्विक धरोहर है.

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