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कोरोना दे गया दर्द, उठा नौ बेटियों के सिर से पिता का साया

विदिशा में कोरोना से 9 बेटियाें के पिता की मौत हो गई. जिसके बाद घर में खुशी का माहौल मातम में बदल गया. अब परिवार आर्थिक सहायता के लिए दर- दर भटक रहा है.

gyarsilal ahirwar
ग्यारसीलाल अहिरवार
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Published : Jun 15, 2021, 8:27 PM IST

Updated : Jun 15, 2021, 10:38 PM IST

विदिशा। कोविड की दूसरी लहर ने कई लोगों की जिंदगी तबाह कर दी है. कोरोना ऐसा दर्द दे गया जो जिंदगी भर तक नहीं भुलाया जा सकता. ऐसी ही दर्द भरी कहानी गंजबासौदा से महज 15 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम करौंदा कला से सामने आई है. यहां कोरोना के चलते अहिरवार परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पडा. 9 बेटियों के सिर से पिता का साया हमेशा- हमेशा के लिए उठ गया. ग्यारसीलाल अहिरवार अपनी पांचवी बेटी का रिश्ता पक्का होने के बाद शादी की तैयारियां कर रहे थे. 14 मई को उनके घर बारात आना थी, लेकिन ठीक 11 मई को ग्यारसीलाल, कोविड की चपेट में आ गए और उनकी मौत हो गई. जिसके बाद खुशियां मातम में बदल गई और इस परिवार के यहां अब कोई कमाने वाला भी नहीं है. शादी को भी अब आगे के लिए बढ़ा दिया है, भाई भी नहीं है. ऐसे में बच्चियां अब सरकारी मदद की दरकार देख रही है.

उठा नौ बेटियों के सिर से पिता का साया

कोरोना ने छीनी खुशियां

विदिशा जिले के ग्राम करौंदा कला में रहने वाला यह परिवार दुखों से जूझ रहा है. पिता की मौत के बाद परिवार पूरी तरह टूट गया है. 58 साल के ग्यारसीलाल अहिरवार की 11 मई को कोरोना संक्रमण की चपेट के आने के बाद विदिशा के मेडिकल हॉस्पिटल में मौत हो गई थी. जबकि 3 दिन बाद ही अक्षय तृतीया के दिन पांचवी नंबर की बेटी संगीता की बारात उनके घर आना थी. घर में खुशियों का माहौल था, महीने भर पहले से ही ग्यारसीलाल और उनकी 9 बेटियां शादी की तैयारियां कर रही थी. घर में मंगल गीत गाए जा रहे थे, घर के मुखिया ग्यारसीलाल सामान खरीदने के लिए हर दिन बाजार और शहर के बाहर जा रहे थे. उसी बीच ग्यारसीलाल संक्रमित हो गए और शादी की तैयारी के बीच ही उन्हें बहुत तेज बुखार आ गया.

अस्पताल का कारनामा! बिना बताए मरीजों को किया भर्ती, पुलिस को सूचना दिए बगैर सौंपा शव

नहीं सुधरी हालात और तोड़ दिया दम

उन्हें गले में दर्द भी शुरू हुआ. सांस लेने में दिक्कत भी होने लगी. जिसके बाद आनन-फानन में उन्हें डॉक्टर को दिखाया गया, जहां उनकी जांच कराई गई. डॉक्टरों ने जांच में ग्यारसीलाल को कोरोना पॉजिटिव बताया. इसके बाद उन्हें विदिशा के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया. लेकिन उनकी हालत और गिरती गई. आखिरकार 11 मई को डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

आजीविका पर संकट

ग्यारसीलाल की 9 बेटियां हैं. जिनमें एक शादीशुदा बेटी पिता के घर ही रहती हैं. घर पर अब बेटी और मां जिनमें एक बेटी दिव्यांग है. इनकी देखभाल करने वाला उस घर में कोई नहीं है. ग्यारसीलाल की बेटी दिव्यांग हेमलता बताती हैं कि हमारे पास अब कुछ नहीं है, जमीन है तो वह भी थोड़ी सी है उसमें गुजारा नहीं हो पाता है. बहन की शादी भी टल गई, परिवार में कोई भाई भी नहीं है. दिव्यांग हेमलता कहती है अगर सरकार उन्हें छोटी सी नौकरी दे दे, तो उनके परिवार का भरण पोषण हो सकेगा. मां आए दिन बीमार रहती हैं. इनकी दवाइयां भी भोपाल से लाना पड़ती है, पिता होते तो हमें इतनी चिंता नहीं होती थी पर हम बहनों और मां का क्या होगा.

पिता के जाने के बाद टूटे सपने

वहीं इन दुखी बच्चियों की सुध लेने क्षेत्रीय विधायक लीना जैन इनके घर खाद्य सामग्री और कुछ मदद करने के लिए पहुंची थी. वहीं सरकारी मदद दिलाने का आश्वासन भी दिया. इसी के चलते ग्राम के सरपंच ने भी इन बच्चियों को खाद्य सामग्री के साथ आर्थिक सहायता राशि भी मुहैया कराई. लेकिन अब देखना होगा कि सरकारी मदद इन बच्चियों को कब तक मिलेंगी.

विदिशा। कोविड की दूसरी लहर ने कई लोगों की जिंदगी तबाह कर दी है. कोरोना ऐसा दर्द दे गया जो जिंदगी भर तक नहीं भुलाया जा सकता. ऐसी ही दर्द भरी कहानी गंजबासौदा से महज 15 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम करौंदा कला से सामने आई है. यहां कोरोना के चलते अहिरवार परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पडा. 9 बेटियों के सिर से पिता का साया हमेशा- हमेशा के लिए उठ गया. ग्यारसीलाल अहिरवार अपनी पांचवी बेटी का रिश्ता पक्का होने के बाद शादी की तैयारियां कर रहे थे. 14 मई को उनके घर बारात आना थी, लेकिन ठीक 11 मई को ग्यारसीलाल, कोविड की चपेट में आ गए और उनकी मौत हो गई. जिसके बाद खुशियां मातम में बदल गई और इस परिवार के यहां अब कोई कमाने वाला भी नहीं है. शादी को भी अब आगे के लिए बढ़ा दिया है, भाई भी नहीं है. ऐसे में बच्चियां अब सरकारी मदद की दरकार देख रही है.

उठा नौ बेटियों के सिर से पिता का साया

कोरोना ने छीनी खुशियां

विदिशा जिले के ग्राम करौंदा कला में रहने वाला यह परिवार दुखों से जूझ रहा है. पिता की मौत के बाद परिवार पूरी तरह टूट गया है. 58 साल के ग्यारसीलाल अहिरवार की 11 मई को कोरोना संक्रमण की चपेट के आने के बाद विदिशा के मेडिकल हॉस्पिटल में मौत हो गई थी. जबकि 3 दिन बाद ही अक्षय तृतीया के दिन पांचवी नंबर की बेटी संगीता की बारात उनके घर आना थी. घर में खुशियों का माहौल था, महीने भर पहले से ही ग्यारसीलाल और उनकी 9 बेटियां शादी की तैयारियां कर रही थी. घर में मंगल गीत गाए जा रहे थे, घर के मुखिया ग्यारसीलाल सामान खरीदने के लिए हर दिन बाजार और शहर के बाहर जा रहे थे. उसी बीच ग्यारसीलाल संक्रमित हो गए और शादी की तैयारी के बीच ही उन्हें बहुत तेज बुखार आ गया.

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नहीं सुधरी हालात और तोड़ दिया दम

उन्हें गले में दर्द भी शुरू हुआ. सांस लेने में दिक्कत भी होने लगी. जिसके बाद आनन-फानन में उन्हें डॉक्टर को दिखाया गया, जहां उनकी जांच कराई गई. डॉक्टरों ने जांच में ग्यारसीलाल को कोरोना पॉजिटिव बताया. इसके बाद उन्हें विदिशा के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया. लेकिन उनकी हालत और गिरती गई. आखिरकार 11 मई को डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

आजीविका पर संकट

ग्यारसीलाल की 9 बेटियां हैं. जिनमें एक शादीशुदा बेटी पिता के घर ही रहती हैं. घर पर अब बेटी और मां जिनमें एक बेटी दिव्यांग है. इनकी देखभाल करने वाला उस घर में कोई नहीं है. ग्यारसीलाल की बेटी दिव्यांग हेमलता बताती हैं कि हमारे पास अब कुछ नहीं है, जमीन है तो वह भी थोड़ी सी है उसमें गुजारा नहीं हो पाता है. बहन की शादी भी टल गई, परिवार में कोई भाई भी नहीं है. दिव्यांग हेमलता कहती है अगर सरकार उन्हें छोटी सी नौकरी दे दे, तो उनके परिवार का भरण पोषण हो सकेगा. मां आए दिन बीमार रहती हैं. इनकी दवाइयां भी भोपाल से लाना पड़ती है, पिता होते तो हमें इतनी चिंता नहीं होती थी पर हम बहनों और मां का क्या होगा.

पिता के जाने के बाद टूटे सपने

वहीं इन दुखी बच्चियों की सुध लेने क्षेत्रीय विधायक लीना जैन इनके घर खाद्य सामग्री और कुछ मदद करने के लिए पहुंची थी. वहीं सरकारी मदद दिलाने का आश्वासन भी दिया. इसी के चलते ग्राम के सरपंच ने भी इन बच्चियों को खाद्य सामग्री के साथ आर्थिक सहायता राशि भी मुहैया कराई. लेकिन अब देखना होगा कि सरकारी मदद इन बच्चियों को कब तक मिलेंगी.

Last Updated : Jun 15, 2021, 10:38 PM IST
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