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विदिशा: मंडी में नीलामी शुरू, धान के कम दाम मिलने से किसान मायूस - विदिशा व्यापारी

विदिशा में 12 दिन से चल रही हम्मालों की हड़ताल के चलते बंद कृषि उपज मंडी की शुरुआत हुई. लेकिन धान के दाम नहीं मिलने से एक बार फिर किसान मायूस दिखे.

Farmers became disillusioned
किसान हुए मायूस
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Published : Nov 9, 2020, 7:04 PM IST

विदिशा। 12 दिन से चल रही हम्मालों की हड़ताल के चलते बंद कृषि उपज मंडी की शुरुआत हुई. लेकिन धान के दाम नहीं मिलने से एक बार फिर किसान मायूस दिखे. मंडी बंद रहने से कृषि उपज मंडी समिति को करीब 60 लाख रुपये के राजस्व का नुकसान बताया जा रहा है. हालांकि पहले दिन करीब दो हजार बोरों की आवक रही.

पिछले दिनों हम्मालों और व्यापारियों में दर वृद्धि को लेकर विवाद की स्थिति बनी थी. लगातार बैठकों के बाद इसका हल निकला गया और हम्मालों व व्यापारियों में सुलह की गई. मंडी खोलने की जानकारी के अभाव में किसान अपनी उपज लेकर मंडी पहुंचे. लेकिन जो किसान अपनी उपज लेकर मंडी पहुंचे. कम भाव मिलने से काफी मायूस दिखे. किसान बताते हैं 1121 क्वालिटी कि धान पिछले साल करीब 2800 रुपये कुंटल में नीलाम हुई थी. जो आज 1900 रुपये प्रति कुंटल में खरीदी गई.

किसानों का कहना है अगर इतने कम भाव मिलेंगे, तो लागत निकालना भी मुश्किल होगा, क्योंकि धान की खेती में दूसरी फसलों की अपेक्षा लागत अधिक आती है. दूसरी ओर व्यापारी मानते हैं, कि लंबे समय से हड़ताल चलने के कारण किसानों को इस बात की जानकारी नहीं मिल सकी है, कि मंडी में नीलामी शुरू हो गई है. इसलिए किसानों की संख्या भी मंडी में कम देखी जा रही है. समय रहते किसानों की संख्या मंडी में बढ़ जाएगी. मंडी समिति का मानना है कि हर दिन 5 से छह लाख रुपए का नुकसान हुआ है.

विदिशा। 12 दिन से चल रही हम्मालों की हड़ताल के चलते बंद कृषि उपज मंडी की शुरुआत हुई. लेकिन धान के दाम नहीं मिलने से एक बार फिर किसान मायूस दिखे. मंडी बंद रहने से कृषि उपज मंडी समिति को करीब 60 लाख रुपये के राजस्व का नुकसान बताया जा रहा है. हालांकि पहले दिन करीब दो हजार बोरों की आवक रही.

पिछले दिनों हम्मालों और व्यापारियों में दर वृद्धि को लेकर विवाद की स्थिति बनी थी. लगातार बैठकों के बाद इसका हल निकला गया और हम्मालों व व्यापारियों में सुलह की गई. मंडी खोलने की जानकारी के अभाव में किसान अपनी उपज लेकर मंडी पहुंचे. लेकिन जो किसान अपनी उपज लेकर मंडी पहुंचे. कम भाव मिलने से काफी मायूस दिखे. किसान बताते हैं 1121 क्वालिटी कि धान पिछले साल करीब 2800 रुपये कुंटल में नीलाम हुई थी. जो आज 1900 रुपये प्रति कुंटल में खरीदी गई.

किसानों का कहना है अगर इतने कम भाव मिलेंगे, तो लागत निकालना भी मुश्किल होगा, क्योंकि धान की खेती में दूसरी फसलों की अपेक्षा लागत अधिक आती है. दूसरी ओर व्यापारी मानते हैं, कि लंबे समय से हड़ताल चलने के कारण किसानों को इस बात की जानकारी नहीं मिल सकी है, कि मंडी में नीलामी शुरू हो गई है. इसलिए किसानों की संख्या भी मंडी में कम देखी जा रही है. समय रहते किसानों की संख्या मंडी में बढ़ जाएगी. मंडी समिति का मानना है कि हर दिन 5 से छह लाख रुपए का नुकसान हुआ है.

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