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गर्मी आने के बाद भी नहीं बिक रहे मटके, कुम्हारों के सामने आया आर्थिक संकट

बड़े-बड़े शो रुम पर फ्रिज कूलरों की भीड़ जमा होने लगी है, वहीं दूसरी ओर गरीबो का फ्रिज कहे जाने वाले मटके पर आर्थिक संकट मंडराता नजर आ रहा है.

Economic crisis on potter due to lockdown
मटके पर मंडराता आर्थिक संकट
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Published : May 13, 2020, 2:59 PM IST

Updated : May 14, 2020, 7:39 PM IST

विदिशा। कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन जारी है. वहीं इस लॉकडाउन के चलते बड़े से बड़े और छोटे से छोटे व्यवसाय में इसका असर देखने को मिल रहा है. जहां एक ओर बड़े संस्थान बंद हैं तो छोटे-मोटे व्यवसाय भी प्रभावित हो रहे हैं. गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है और इस मौसम में सबसे ज्यादा घड़ों का व्यापार होता है. लेकिन लॉकडाउन के चलते घड़े का व्यापार करने वालों को घरों में खाली बैठना पड़ रहा है. दो वक्त की रोटी खाने का संकट भी सामने आ खड़ा हुआ है.

मटके पर मंडराता आर्थिक संकट

45 साल के माल चंद प्रजापति सालों से विदिशा में मटके का व्यापार कर रहे हैं. उन्होंने ऐसा मंजर कभी नहीं देखा कि उन्हें बिक्री के लिए कई दिनों का इंतजार करना पडे़. मालचंद बताते हैं हर साल विदिशा शहर में मटकों की दस गाड़ी बिक जाती थीं इस बार मात्र तीन गाड़ी आईं वो भी नहीं बिक पा रही हैं. मालचंद को अपने परिवार की चिंता सता रही है अगर मटके नहीं बिके तो वो अपने परिवार का पालन पोषण कैसे करेंगे. प्रशासन ने दुकान खुलने के आदेश दिए हैं थोड़ी उम्मीद है पर ग्राहक नहीं आ रहे हैं.

प्रशासन ने गर्मियों को देखते फ्रिज कूलर की दुकान खोलने के निर्देश दे दिए हैं, जिससे गर्मियों के दिनों में लोगों को कुछ राहत मिल सके. बड़े-बड़े शोरुम पर फ्रिज कूलरों की भीड़ जमा होने लगी है, वहीं दूसरी ओर गरीबों का फ्रिज कहे जाने वाले मटके पर आर्थिक संकट मंडराता नजर आ रहा है. छोटे मटका व्यापारियों को दुकान खोलने की परिमिशन तो मिल गई पर लॉकडाउन में गरीबों के पास पैसे नहीं तो मटके की मांग घट गई. अब छोटे व्यापारियों की बिक्री तक नहीं हो रही है. गरीब आदमी तो पहले खाने का इंतजाम करेगा फिर मटका खरीदेगा.

विदिशा। कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन जारी है. वहीं इस लॉकडाउन के चलते बड़े से बड़े और छोटे से छोटे व्यवसाय में इसका असर देखने को मिल रहा है. जहां एक ओर बड़े संस्थान बंद हैं तो छोटे-मोटे व्यवसाय भी प्रभावित हो रहे हैं. गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है और इस मौसम में सबसे ज्यादा घड़ों का व्यापार होता है. लेकिन लॉकडाउन के चलते घड़े का व्यापार करने वालों को घरों में खाली बैठना पड़ रहा है. दो वक्त की रोटी खाने का संकट भी सामने आ खड़ा हुआ है.

मटके पर मंडराता आर्थिक संकट

45 साल के माल चंद प्रजापति सालों से विदिशा में मटके का व्यापार कर रहे हैं. उन्होंने ऐसा मंजर कभी नहीं देखा कि उन्हें बिक्री के लिए कई दिनों का इंतजार करना पडे़. मालचंद बताते हैं हर साल विदिशा शहर में मटकों की दस गाड़ी बिक जाती थीं इस बार मात्र तीन गाड़ी आईं वो भी नहीं बिक पा रही हैं. मालचंद को अपने परिवार की चिंता सता रही है अगर मटके नहीं बिके तो वो अपने परिवार का पालन पोषण कैसे करेंगे. प्रशासन ने दुकान खुलने के आदेश दिए हैं थोड़ी उम्मीद है पर ग्राहक नहीं आ रहे हैं.

प्रशासन ने गर्मियों को देखते फ्रिज कूलर की दुकान खोलने के निर्देश दे दिए हैं, जिससे गर्मियों के दिनों में लोगों को कुछ राहत मिल सके. बड़े-बड़े शोरुम पर फ्रिज कूलरों की भीड़ जमा होने लगी है, वहीं दूसरी ओर गरीबों का फ्रिज कहे जाने वाले मटके पर आर्थिक संकट मंडराता नजर आ रहा है. छोटे मटका व्यापारियों को दुकान खोलने की परिमिशन तो मिल गई पर लॉकडाउन में गरीबों के पास पैसे नहीं तो मटके की मांग घट गई. अब छोटे व्यापारियों की बिक्री तक नहीं हो रही है. गरीब आदमी तो पहले खाने का इंतजाम करेगा फिर मटका खरीदेगा.

Last Updated : May 14, 2020, 7:39 PM IST
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