उमरिया। दूसरों को सुरक्षा की गारण्टी देने सड़क पर खड़े होने वाले आरक्षकों के बच्चे कहीं शिक्षा दीक्षा की मुख्य धारा में पिछड़ न जाएं, इसी मंशा से पुलिस लाइन उमरिया में हर रोज शाम को पुलिस अधीक्षक की पाठशाला लग रही है. खासबात यह है कि कक्षा में न सिर्फ कोर्स के संबंध में अध्यापन होता है बल्कि प्रतियोगी परीक्षा, अभिव्यक्ति विकास और सामान्य ज्ञान का विशेष ख्याल रखा जा रहा है. पुलिस लाइन में पिछले कुछ महीने से ये कक्षा चर्चा का विषय बनी हुई है. छात्र भी इससे लाभ मिलने की बात कह रहे हैं.
एसपी की पाठशाला: उमरिया शहर से करीब पांच किलोमीटर दूर NH43 के किनारे पुलिस लाइन में जिला पुलिस बल में तैनात सैकड़ों कर्मचारी व अधिकारियों का परिवार रहता है. लाइन में हर रोज पुलिस अधीक्षक प्रमोद कुमार सिन्हा बच्चों के एक समूह की कक्षा लेते हैं. दो-चार बच्चों से प्रारंभ हुआ कारवां अब दो दर्जन तक बढ़ चुका है. शाम होते ही वाट्सअप ग्रुप में एसपी सर का मैसेज आ जाता है सभी बच्चे कक्षा में पहुंच जाते हैं. करीब दो घंटे तक एसपी प्रमोद सिन्हा पुलिस अधीक्षक की बजाए मात्र शिक्षक बनकर इन बच्चों का अध्यापन करते हैं. माहौल इतना दोस्ताना रहता है कि बच्चे खुलकर अपनी बातें व समस्या भी उनसे साझा कर लेते हैं. एसपी की व्यस्तता में अतिरिक्त शिक्षक भी बागडोर संभालते हैं. चंदिया टीआई अरूणा द्विवेदी, आरआई रेखा सिंह परिहार व दो अन्य विशेषज्ञ और ट्रेनी आरक्षक भी यहां बच्चों को पढ़ाते हैं.
ऐसे आया आइडिया: पुलिस अधीक्षक प्रमोद सिन्हा ने बताया वे एक दिन पुलिस लाइन के आवासीय क्षेत्र के निरीक्षण में थे. इसके पूर्व भी कुछ बच्चे उन्हें घूमते हुए मिले थे. उस दिन भी वहीं बच्चे दोबारा दिखे उन्होंने यूं ही आगे भविष्य को लेकर पूछा. साथ ही शिक्षा का स्तर भांपने पर पता चला उन्हें अतिरिक्त कक्षा की जरूरत थी. इसके लिए बाकायदा अभिभावकों की मीटिंग भी की. एसपी ने बताया कि मीटिंग में यह तय किया कि नर्सरी से प्राथमिक स्तर के बच्चों को घरों में महिलाएं पढ़ाएंगी. मिडिल से हाई स्कूल के छात्रों को वे स्वयं पढ़ाएंगे. इसमे ऐसे बच्चों को शामिल किया गया जो कॉलोनी से बाहर जाकर कोचिंग करने में अक्षम हों, आर्थिक अक्षमता भी आड़े आ रही हो इसके बाद जब रिस्पॉंस मिला तो पढ़ाई का दौर लगातार चल रहा है.
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बच्चों ने कहा हो रहा लाभ: छात्र शौर्य सिंह ने बताया कि कक्षा प्रारंभ होने पर सर से बातचीत करने में थोड़ा हिचकिचाहट रहती थी डर लगता था लेकिन सर बिल्कुल सामान्य शिक्षकों की भांति हमें छोटी सी छोटी चीजें बताते हैं. प्रिंस मिश्रा का कहना है मैं तो पढ़ाई के साथ ही पुलिस बनना चाहता हूं. सर से ट्रेनिंग से लेकर तैयारियों को लेकर भी खूब बातें होती है. मेरे साथ अन्य कई बच्चे भी क्लास में आने के लिए बोल रहे थे नैना परस्ते, अभिराज व वासू ने बताया मेरी अंग्रेजी व गणित सामान्य विषयों की तुलना में थोड़ा कमजोर थी अब मैं अपनी शंकाओं को एसपी सर की क्लास में दूर कर लाभ ले रहा हूं.