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जैगुआ सफारी पार्क में बूढ़े बाघों को मिलेगा नया ठिकाना, पर्यटक भी आसानी से कर सकेंगे दीदार

जैगुआ सफारी पार्क प्रबंधन के लिए आम के आम गुठलियां के दाम साबित होगा. बूढ़े, बीमार और कमजोर बाघों का नया ठिकाना अब जगुआ सफारी होगा. उमरिया और कटनी जिले की सीमा पर जंगल के बीस हेक्टेयर में बनने वाली इस सफारी में न सिर्फ बूढ़े और कमजोर बाघ बेफ्रिक होकर रह सकेंगे, बल्कि पर्यटकों को भी यहां बाघ बेहद आसानी के साथ देखने को मिल सकेगा.

bandhavgarh reserv
बांधवगढ़ रिजर्व
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Published : Oct 28, 2020, 9:55 AM IST

उमरिया। मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के कुशल प्रबंधन के कारण पार्क में बाघों का कुनबा बढ़ने के साथ-साथ उनमें आपसी संघर्ष के मामले भी बढ़ रहे हैं. इसी साल क्षेत्र की लड़ाई में 6 बाघों की मौत हो चुकी है. युवा बाघ कमजोर और बीमार बाघों को आसानी से अपना निशाना बना लेते हैं. इसे देखते हुए एमपी टूरिज्म और टाइगर रिजर्व द्वारा बाघों को रखने के लिए जंगल में बीस हेक्टयर के एक बड़े में बाड़ा बनाया जाएगा, जिसके अंदर बाघ रखे जाएंगे.


पहले हुआ था विरोध

चार साल पहले तो बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के खितौली रेंज में बाकायदा टाइगर सफारी का काम शुरू कर दिया गया था, जिसे बाद में विरोध के कारण बंद करना पड़ा. फिलहाल बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पनपथा बफर रेंज के गांव में बीस करोड़ की लागत से टाइगर सफारी बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है. साथ ही नेशनल जू अथॉरिटी को भी प्रस्ताव भेजा गया है.


ये है बांधवगढ़ की स्थिति

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 124 है. यहां ज्यादातर बाघ युवा अवस्था वाले हैं. बांधवगढ़ में आठ साल से दस साल वाले बाघों की संख्या लगभग 20 है. जबकि एक साल से तीन साल और तीन से छह साल वाले बाघों की संख्या यहां सबसे ज्यादा है.

बढ़ रही है टेरिटोरियल फाइट

बांधवगढ़ में टेरिटोरियल फाइट लगातार बढ़ रही है. बाघों को लगभग बीस किलोमीटर का क्षेत्र टेरिटरी के लिए चाहिए होता है जबकि बाघों की संख्या बढ़ने के कारण कोर क्षेत्र अब कम पड़ने लगा है. बांधवगढ़ में कोर और बफर जोन मिलाकर कुल क्षेत्रफल 1,602 वर्ग किलोमीटर है.

पहले वाली भूल अब नहीं

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में चार साल पहले भी खितौली में टाइगर सफारी बनाने का काम शुरू किया गया था, लेकिन उस समय बिना एनटीसीए और ऑल इंडिया जू अथॉरिटी की अनुमति के काम शुरू कर दिया गया था. इस मामले में जब आरटीआइ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने शिकायत की, तो एनटीसीए ने टाइगर सफारी का काम रुकवा दिया था. प्रबंधन ने बाद में अनुमति के लिए आवेदन किया, तो मामला हाईकोर्ट में चला गया. अभी भी इसमें फैसला नहीं हुआ है. इस बार बांधवगढ़ प्रबंधन ने पहले वाली भूल नहीं दोहराई और पहले प्रस्ताव भेजकर अनुमति मांगी है.

उमरिया। मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के कुशल प्रबंधन के कारण पार्क में बाघों का कुनबा बढ़ने के साथ-साथ उनमें आपसी संघर्ष के मामले भी बढ़ रहे हैं. इसी साल क्षेत्र की लड़ाई में 6 बाघों की मौत हो चुकी है. युवा बाघ कमजोर और बीमार बाघों को आसानी से अपना निशाना बना लेते हैं. इसे देखते हुए एमपी टूरिज्म और टाइगर रिजर्व द्वारा बाघों को रखने के लिए जंगल में बीस हेक्टयर के एक बड़े में बाड़ा बनाया जाएगा, जिसके अंदर बाघ रखे जाएंगे.


पहले हुआ था विरोध

चार साल पहले तो बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के खितौली रेंज में बाकायदा टाइगर सफारी का काम शुरू कर दिया गया था, जिसे बाद में विरोध के कारण बंद करना पड़ा. फिलहाल बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पनपथा बफर रेंज के गांव में बीस करोड़ की लागत से टाइगर सफारी बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है. साथ ही नेशनल जू अथॉरिटी को भी प्रस्ताव भेजा गया है.


ये है बांधवगढ़ की स्थिति

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 124 है. यहां ज्यादातर बाघ युवा अवस्था वाले हैं. बांधवगढ़ में आठ साल से दस साल वाले बाघों की संख्या लगभग 20 है. जबकि एक साल से तीन साल और तीन से छह साल वाले बाघों की संख्या यहां सबसे ज्यादा है.

बढ़ रही है टेरिटोरियल फाइट

बांधवगढ़ में टेरिटोरियल फाइट लगातार बढ़ रही है. बाघों को लगभग बीस किलोमीटर का क्षेत्र टेरिटरी के लिए चाहिए होता है जबकि बाघों की संख्या बढ़ने के कारण कोर क्षेत्र अब कम पड़ने लगा है. बांधवगढ़ में कोर और बफर जोन मिलाकर कुल क्षेत्रफल 1,602 वर्ग किलोमीटर है.

पहले वाली भूल अब नहीं

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में चार साल पहले भी खितौली में टाइगर सफारी बनाने का काम शुरू किया गया था, लेकिन उस समय बिना एनटीसीए और ऑल इंडिया जू अथॉरिटी की अनुमति के काम शुरू कर दिया गया था. इस मामले में जब आरटीआइ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने शिकायत की, तो एनटीसीए ने टाइगर सफारी का काम रुकवा दिया था. प्रबंधन ने बाद में अनुमति के लिए आवेदन किया, तो मामला हाईकोर्ट में चला गया. अभी भी इसमें फैसला नहीं हुआ है. इस बार बांधवगढ़ प्रबंधन ने पहले वाली भूल नहीं दोहराई और पहले प्रस्ताव भेजकर अनुमति मांगी है.

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