उमरिया। दुनिया भर में बाघों के आस्तित्व को बचाए रखने के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं, इसी कड़ी में भारत सरकार केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय देश के 51 टाइगर रिजर्व में टाइगर कॉरीडोर विकसित करने का काम कर रहा है, जिसकी शुरुआत मध्यप्रदेश के दो बड़े टाइगर रिजर्व बांधवगढ़ और संजय के बीच की गई है.
टाइगर कॉरीडोर के तहत बिगड़े वनों को सुधारकर और पौधरोपण कर वनों को सघन बनाने का काम किया जा रहा है, जिसके लिए शहडोल वन वृत्त के उत्तर-दक्षिण अनूपपुर और उमरिया वनमंडल को शामिल किया गया है. इस योजना की खास बात यह है कि टाइगर कॉरीडोर बनने से बाघों का आवागमन दूसरे वन क्षेत्रों में हो सकेगा और जीन एक्सचेंज से बाघों का अस्तित्व लंबे समय तक बचाया जा सकेगा. हालांकि इस पहल को लेकर वन्य जीव विशेषज्ञों ने बाघों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े किए हैं.
आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2014 की गणना में देश में 2 हजार 226 बाघ थे, जिनमें से कुल 308 बाघ मध्यप्रदेश में मौजूद हैं. प्रदेश में टाइगर कॉरीडोर विकसित करने की पहल वन विभाग और कार्बेट फाउंडेशन की तरफ से की गई है. पार्क प्रबंधन का दावा है कि जंगलों के बीच बढ़ते मानव जनित समस्याओं के कारण वन्यजीवों का विचरण बाधित हुआ है टाइगर कॉरीडोर बनने से वन्यजीवों का विचरण क्षेत्र बढ़ेगा और उनके अस्तित्व को लंबे समय तक बचाए रखने में मदद मिलेगी.
बाघों का आवास बढ़ाने और अस्तित्व बचाने के लिये बांधवगढ़ से शुरू किया गया यह प्रयास कितना कारगर साबित होगा यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के लिए यह शुरुआत अच्छी मानी जा रही है, क्योंकि यहां बाघों का घनत्व दुनिया भर में सबसे ज्यादा है और प्रजनन की दर भी.