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अधिकारियों को पहाड़ी पर कलेक्टर ने दौड़ाया, तब ग्रामीणों को प्यास बुझने की जगी उम्मीद

आकाशकोट इलाके में पीने के पानी के लिए ग्रामीणों को कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है. आकाशकोट क्षेत्र के करीब 25 गांव भीषण जल संकट से जूझ रहे हैं. इसी के चलते कलेक्टर सहित कई अधिकारियों ने AC रूम छोड़कर भीषण गर्मी में पहाड़ी पर बसे गांव में बैठक की.

अधिकारियों के साथ पहाड़ी पर बैठक लेते कलेक्टर
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Published : May 15, 2019, 12:20 AM IST

उमरिया। आकाशकोट इलाके में पीने के पानी के लिए ग्रामीणों को कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है. आकाशकोट क्षेत्र के करीब 25 गांव भीषण जल संकट से जूझ रहे हैं और प्यास बुझाने के लिए दो किलोमीटर दूर पहाड़ी घाट पर चढ़ते हैं. इस संकट से निपटने और उसका समाधान करने के लिए कलेक्टर सहित कई अधिकारियों ने AC रूम छोड़कर भीषण गर्मी में पहाड़ी पर बसे गांव में बैठक की.

अधिकारियों के साथ पहाड़ी पर बैठक लेते कलेक्टर

आकाशकोट क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि सालों से चली आ रही पानी की समस्या निपटाने के लिए अफसरों ने मन से प्रयास किया होता तो ये क्षेत्र खुशहाल होता. इनका कहना है कि मार्च से जुलाई तक गर्मी के मौसम पानी के लिए भटकना पड़ता है, यहां तक वे गड्ढा खोदकर कटोरे में पानी भरते हैं और दूसरे गांव से पानी लाने जाते हैं. वहीं बरसात के समय यहां के लोग बर्षा के पानी से गुजर-बसर करते हैं.

कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी एसी रूम से निकलकर अफसरों को भीषण गर्मी में पहाड़ी पर बसे गांव ले गए, जहां श्रमदान में पसीना बहाया और फिर पठारी गांव में ही ग्रामीणों के साथ टाइम लिमिट की बैठक ली. जिससे ग्रामीणों में पानी मिलने की आस जागी है. साथ ही उन्हें सालों पुरानी समस्या से निजात मिलने की उम्मीद भी है.

उमरिया। आकाशकोट इलाके में पीने के पानी के लिए ग्रामीणों को कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है. आकाशकोट क्षेत्र के करीब 25 गांव भीषण जल संकट से जूझ रहे हैं और प्यास बुझाने के लिए दो किलोमीटर दूर पहाड़ी घाट पर चढ़ते हैं. इस संकट से निपटने और उसका समाधान करने के लिए कलेक्टर सहित कई अधिकारियों ने AC रूम छोड़कर भीषण गर्मी में पहाड़ी पर बसे गांव में बैठक की.

अधिकारियों के साथ पहाड़ी पर बैठक लेते कलेक्टर

आकाशकोट क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि सालों से चली आ रही पानी की समस्या निपटाने के लिए अफसरों ने मन से प्रयास किया होता तो ये क्षेत्र खुशहाल होता. इनका कहना है कि मार्च से जुलाई तक गर्मी के मौसम पानी के लिए भटकना पड़ता है, यहां तक वे गड्ढा खोदकर कटोरे में पानी भरते हैं और दूसरे गांव से पानी लाने जाते हैं. वहीं बरसात के समय यहां के लोग बर्षा के पानी से गुजर-बसर करते हैं.

कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी एसी रूम से निकलकर अफसरों को भीषण गर्मी में पहाड़ी पर बसे गांव ले गए, जहां श्रमदान में पसीना बहाया और फिर पठारी गांव में ही ग्रामीणों के साथ टाइम लिमिट की बैठक ली. जिससे ग्रामीणों में पानी मिलने की आस जागी है. साथ ही उन्हें सालों पुरानी समस्या से निजात मिलने की उम्मीद भी है.

Intro:एंकर - उमरिया जिले में कलेक्ट्रेट के एसी रूम से निकलकर अफसरों ने भीषण गर्मी में पहाड़ी पर बसे गांव में बैठक करके ग्रामीणों में पानी की जगाई आस, पारंपरिक जल स्रोतों में श्रमदान कर बहाया पसीना फिर शामिल हुए बैठक में.


नोट :- विसुअल और कुछ बाइट FTP से भेजी गई है चेक करें_ (14m19_etv_mp_umr_village_10030) फ़ाइल.


Body:वीओ - पानी नहीं तबाही है अकाशकोट गवाही है का नारा क्या इस साल भी वर्षों से जल संकट से जूझ रहे उमरिया जिले के पहाड़ी पर बसे 25 गांव के समूह में सुनाई देगा या फिर उन्हें राहत मिलने वाली है इसका जवाब तो फिलहाल किसी के पास नहीं, लेकिन जिले के कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी ने कलेक्ट्रेट के एसी रूम से निकालकर अफसरों को भीषण गर्मी में पहाड़ी पर बसे गांव ले जाकर श्रमदान में पसीना बहाना और फिर पठारी गांव में ही टाइम लिमिट की बैठक लेने से जो मंसूबे नजर आए उससे आस तो जरूर जागी है कि इलाके की वर्षों पुरानी समस्या से निजात मिल सकती है.

बाइट 01 - दिनेश मौर्य (अपर कलेक्टर, उमरिया)

वीओ - ग्रामीणों की माने तो पुष्तों से चली आ रही समस्याओं को निपटाने अफसरों ने मन से प्रयास किया होता तो शायद आज इलाका खुशहाल होता लेकिन विकास के दौर में भी ग्रामीणों की दुर्दशा क्षेत्र के दुर्भाग्य से जोड़ते हुए ग्रामीण जन प्रतिनिधियों को कोसते हैं.

बाइट 02 - मान सिंह (स्थानीय निवासी, आकाशकोट)


Conclusion:वीओ - बहरहाल जिले के कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी के मंसूबे साफ है और वह इलाके के लिए कोढ़ बन चुकी पानी की समस्या को दूर करने जमीनी स्तर पर काम करना चाहते हैं जिससे ना सिर्फ ग्रामीणों को तत्काल पानी मिल सके बल्कि इसका स्थाई समाधान हो देखना होगा एक कलेक्टर की मुहीम कोई रंग ला पाती है या नहीं.
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