उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय में मंगलवार को कृषि विज्ञान अध्ययनशाला के प्रथम वर्ष व द्वितीय वर्ष के 500 करीब छात्र-छात्राओं ने 4सूत्रीय मांगों को लिए जमकर हंगामा किया. अलग-अलग राज्य से यहां पढ़ने आए स्टूडेंट्स ने विश्वविद्यालय के मुख्य प्रवेश द्वार पर धरना दिया. इस छात्राओं ने कहा कि लिखित में आश्वासन चाहिए, वरना हटेंगे नहीं. छात्राओं ने कई गंभीर आरोप प्रबंधन पर लगाए हैं. उनका कहना है कि हमारी समय पर क्लास नहीं लगती, जिससे कोर्स पूरा नहीं हो पाता. ना टीचर पढ़ाने आते हैं. प्रैक्टिकल के नाम पर पत्थर और कचरा बिनवाया जाता है.
ये हैं स्टूडेंट्स की व्यथा : छात्राओं का आरोप है कि वाशरूम की सुविधा नहीं है. क्लास में सफाई नहीं है. माइक की सुविधा नहीं होने से पीछे तक बैठे छात्रों को सुनाई नहीं पड़ता. लाइब्रेरी है लेकिन किताबे नहीं हैं और फीस सालभर की 60 हजार ले ली गई. इस मामले में कुलपति का कहना है कि इनकी समस्याएं सुनी हैं. कृषि विज्ञान नया डिपार्मेंट है. धीरे-धीरे सारी सुविधाएं हम जुटा रहे हैं. वहीं, कुलपति को 3 दिन का समय जवाब देने के लिए छात्र-छात्राओं ने दिया है. वरना आंदोलन की चेतावनी दी गई है.
कुलपति ने ये जवाब दिया : कुलपति अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि हमारे पास बोटनी है, माइक्रो बायोलॉजी है. हमारे पास जियोलॉजी, बायोलॉजी डिपार्टमेंट हैं. ये जरूरी नहीं कि जितने भी कोर्स हैं, सबके लिए अलग से सुविधाएं दी जाएं. अगर पहले से सुविधाएं हैं तो कोर्स के अनुसार हम छात्र छात्राओं को वहां व्यवस्थाएं करवाते हैं. कार्यपरिषद में 12करोड़ की लागत से बिल्डिंग का कार्य होने का प्रस्ताव पास हुआ है. बिल्डिंग बनना शुरू हो जाएगी. कुलपति ने पत्थर व कचरा बीनने व मजदूरी करवाने के सवाल पर कहा कि वास्तव में एग्रीकल्चर में करियर बनाना है तो वह मजदूरी नहीं है, काम है आपका.
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स्टूडेंट्स ने रखी 4 मांगें : कुलपति ने कहा कि अगर नहीं करवाएंगे तो क्या एसी रूम में बैठाकर एग्रीकल्चर का प्रैक्टिकल करवाएं. लाइब्रेरी में किताबे नहीं होने को लेकर बोले कि थोड़ा सर्च करेंगे तो सब मिलेगा. सामने एग्रीकल्चर टॉपिक लिखा हो, इन्हें यह चाहिए. ऐसा नहीं होता. वहीं स्टूडेंट्स ने अपनी 4 सूत्रीय मांगें रखी हैं. ये हैं. सालभर का कुल शुल्क कृषि विज्ञान अध्यनशाला का 58700 (लगभग 60000) लेकिन सुविधाएं सिर्फ शिक्षण शुल्क योग्य अनुसार दी जा रही हैं, अगर सुविधाएं नहीं दी जा रही तो सिर्फ 20 हजार ही शिक्षण शुल्क लिया जाए. छात्रों की संख्या अधिक और भवन छोटा हैं, अलग एक भवन उपलब्ध करवाया जाए. प्रैक्टिकल लैब इक्विपमेंट टूल के साथ प्रायोगिक कृषि भूमि उपलब्ध करवाई जाए. छात्रवृत्ति, नियमित कक्षाओं, परीक्षा परिणामों में समस्या का निराकरण किया जाए.