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Mahakaleshwar Bhasmarti: उज्जैन में बाबा महाकाल के भाल पर शेषनाग का श्रृंगार, नागेश्वर रूप में दिए भक्तों को दर्शन - उज्जैन भस्मारती

पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव को सोमवार अति प्रिय है. उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में सोमवार को बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार किया गया. भोलेनाथ के माथे पर शेषनाग और चांदी का चंद्र सजाया गया.

mahakal bhasmarti
महाकाल की भस्मारती
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Published : Mar 27, 2023, 10:50 AM IST

उज्जैन। भगवान महाकालेश्वर मंदिर में सोमवार को बाबा महाकाल ने भक्तों को नागेश्वर रूप में दर्शन दिए. सोमवार तड़के भस्मारती में चन्दन का लेप करने के बाद महाकाल का भांग से राजा के रूप में श्रृंगार किया गया. उनके मस्तक पर शेषनाग, चांदी का चंद्र और आभूषण धारण कराए गए. श्रृंगार इतना अदभुत था कि भगवान महाकाल की छवि ने भक्तों का मन मोह लिया. सूखे मेवे से शोभायमान करने के बाद भोलेनाथ को गुलाब के फूलों की माला, आभूषण और कुंडल पहनाए गए. इसके बाद राजराजेश्वर ने गर्भ गृह में इंतजार कर रहे भक्तों को दर्शन दिए.

ujjain mahakaleshwar
बाबा का श्रृंगार

पंचामृत से भगवान का अभिषेक: उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में प्रातः काल 03:00 बजे भस्मारती शुरू होती है. इसमें सबसे पहले महाकालेश्वर को जल अर्पित कर स्नान कराया जाता है. इसके बाद मुख्य पुजारी अपने सहयोगियों के साथ दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से बने पंचामृत से भगवान का अभिषेक करते हैं. फिर शिव का श्रृंगार किया जाता है. भगवान महाकाल को भस्मी अर्पित करने के बाद उनकी आरती की जाती है. फल और विभिन्न प्रकार की मिठाइयों का भोग लगाया जाता है. घंटे-घड़ियाल के नाद के साथ भोलेनाथ से जगत के कल्याण की कामना की जाती है.

ujjain mahakaleshwar
उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर

महाकालेश्वर से जुड़ीं ये खबरें भी जरूर पढ़ें

देर रात से लग जाती है लाइन: महाकाल की भस्मारती के लिए देश भर के कोने-कोने से उज्जैन पहुंचे श्रद्धालु रात करीब 12 बजे से ही मंदिर के बाहर लाइन लगाकर खड़े हो जाते हैं. जैसे ही मंदिर के पट खुलते हैं, उन्हें परमिशन चेक कर अंदर जाने दिया जाता है. इधर, महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी मंत्रोच्चारण के साथ अभिषेक शुरू करते हैं, उधर श्रद्धालु भगवान शिव की जय-जयकार करने लगते हैं. पूरा माहौल भक्ति-भावमय हो जाता है. ऐसा लगता है कि पूरी सृष्टि भोलेनाथ की स्तुतिगान में लगी है.

उज्जैन। भगवान महाकालेश्वर मंदिर में सोमवार को बाबा महाकाल ने भक्तों को नागेश्वर रूप में दर्शन दिए. सोमवार तड़के भस्मारती में चन्दन का लेप करने के बाद महाकाल का भांग से राजा के रूप में श्रृंगार किया गया. उनके मस्तक पर शेषनाग, चांदी का चंद्र और आभूषण धारण कराए गए. श्रृंगार इतना अदभुत था कि भगवान महाकाल की छवि ने भक्तों का मन मोह लिया. सूखे मेवे से शोभायमान करने के बाद भोलेनाथ को गुलाब के फूलों की माला, आभूषण और कुंडल पहनाए गए. इसके बाद राजराजेश्वर ने गर्भ गृह में इंतजार कर रहे भक्तों को दर्शन दिए.

ujjain mahakaleshwar
बाबा का श्रृंगार

पंचामृत से भगवान का अभिषेक: उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में प्रातः काल 03:00 बजे भस्मारती शुरू होती है. इसमें सबसे पहले महाकालेश्वर को जल अर्पित कर स्नान कराया जाता है. इसके बाद मुख्य पुजारी अपने सहयोगियों के साथ दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से बने पंचामृत से भगवान का अभिषेक करते हैं. फिर शिव का श्रृंगार किया जाता है. भगवान महाकाल को भस्मी अर्पित करने के बाद उनकी आरती की जाती है. फल और विभिन्न प्रकार की मिठाइयों का भोग लगाया जाता है. घंटे-घड़ियाल के नाद के साथ भोलेनाथ से जगत के कल्याण की कामना की जाती है.

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उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर

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देर रात से लग जाती है लाइन: महाकाल की भस्मारती के लिए देश भर के कोने-कोने से उज्जैन पहुंचे श्रद्धालु रात करीब 12 बजे से ही मंदिर के बाहर लाइन लगाकर खड़े हो जाते हैं. जैसे ही मंदिर के पट खुलते हैं, उन्हें परमिशन चेक कर अंदर जाने दिया जाता है. इधर, महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी मंत्रोच्चारण के साथ अभिषेक शुरू करते हैं, उधर श्रद्धालु भगवान शिव की जय-जयकार करने लगते हैं. पूरा माहौल भक्ति-भावमय हो जाता है. ऐसा लगता है कि पूरी सृष्टि भोलेनाथ की स्तुतिगान में लगी है.

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