उज्जैन। केंद्रीय जेल भेरूगढ़ में GPF घोटाला मामले के पीड़ित जेलकर्मी अब अनशन पर बैठ गए हैं. उनकी मांग है कि जेल अधीक्षक उषा राज को हटाया जाए. इस धरना प्रदर्शन के दौरान एक महिलाकर्मी की तबीयत भी बिगड़ गई. हालांकि, 13 करोड़ से अधिक की राशि के गबन के इस मामले की जांच डीआईजी मंसाराम पटेल के नेतृत्व में 5 सदस्यीय टीम कर रही है.
जेल अधीक्षक को हटाना संभव नहीं: जेल कर्मचारियों से करोड़ों के गबन मामले में जांच अधिकारी पटेल ने कहा, 'अभी इस केस पर हम मीडिया के सामने कोई भी तथ्य स्पष्ट नहीं कर पाएंगे. मामले की जांच की जा रही है. अनशन पर बैठे कर्मी हमारे अपने हैं, उनसे बात कर ली जाएगी. जेल अधीक्षक को हटाना संभव नहीं है.' सूत्रों के अनुसार, इस पूरे मामले में करीब 100 सिम कार्ड का उपयोग हुआ है, ये सिम किसके नाम पर अलॉट हुई, इसकी जांच भी की जा रही है.
ढाई साल से चल रहा था घोटाला: अनौपचारिक सूत्रों के मुताबिक, कोषालय में प्रोविडेंट फंड से एक ही अकाउंट नंबर पर कई बार राशि ट्रांसफर हो रही थी. जब ये प्रकरण अधिकारियों के संज्ञान में आया तो प्राथमिक जांच की गई. 100 नाम ऐसे पाए गए, जिनकी राशि अलग-अलग बार 2 से 3 अकाउंट में ट्रांसफर की गई थी. जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि अकाउंटेंट ने इस काम को डीडीओ के लॉगिन पासवर्ड के माध्यम से किया है. कुल 13 करोड़ की राशि गबन के मामले में आरोपी अकाउंटेंट के विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया गया है. बताया गया है कि ये घोटाला करीब ढाई साल से चल रहा था.
तीनों आरोपी फरार: इस केस में अब 2 आरोपी के नाम बढ़ाए गए हैं. इसके चलते मामले में अब कुल 3 आरोपी हो गए हैं और तीनों ही फिलहाल फरार चल रहे हैं. गबन का शिकार बने कर्मचारियों ने एक आवेदन भी संबंधित थाने में दिया है. वे जेल अधीक्षक उषा राज को हटाने की मांग भी कर रहे हैं. अनशन पर बैठे कर्मचारियों का कहना है कि राज ही मुख्य आरोपी हैं, जिनको जांच टीम अपने साथ लेकर घूम रही है.