उज्जैन। केंद्रीय जेल भेरूगढ़ में कर्मचारियों के जीपीएफ घोटाले की आवाज भोपाल तक पहुंच गई है. 12 करोड़ से अधिक की राशि के गबन के मामले में जांच के लिए 5 सदस्यीय टीम भोपाल से डीआईजी मंसाराम पटेल के नेतृत्व में जांच करने पहुंची. इस दौरान टीम 19 घंटे से जेल में हुए घोटाले की जांच के लिए रिकॉर्ड खंगाल रही है. वहीं जेल परिसर में एक अलग ऑफिस बनाया गया है, जो 48 घंटे तक पूरे मामले की जांच करके प्रतिवेदन तैयार करेगा और अपनी रिपोर्ट भोपाल में देगा. पीड़ितों ने मामले में निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए जेल अधीक्षक को हटाने की बात कही गई है.
जेल कर्मचारियों के पीएफ में गबन: उज्जैन की केंद्रीय भेरूगढ़ जेल और बड़नगर जेल में कई सालों से अपनी सेवा दे रहे जेल कर्मचारियों का जो पैसा पीएफ के जरिए इकट्ठा हो रहा था उसमें गड़बड़ी मिली है. कर्मचारियों का पैसा उन्हें बिना बताए निकाला जा रहा था. जैसे ही इस पीएफ घोटाले की जानकारी कर्मचारियों को मिली तो उन्होंने अपने खातों की जांच कराई. इसमें पता चला कि कई कर्मचारियों के खाते से उनकी जमा पूंजी निकाल ली गई है. कई कर्मचारियों के मोबाइल नंबर तक चेंज कर दिए गए थे जिससे उनके मोबाइल पर ओटीपी भी नहीं आया. अब ऐसे में कर्मचारियों को आगे आने वाली समय में एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़े सकता है. इस मामले में पीड़ितों ने जेल अधीक्षक पर लिप्त होने का आरोप लगाया है.
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कर्मचारियों का छलका दर्द: पीड़ित कर्मचारियों ने मीडिया के सामने अपनी पीड़ा रखी और कहा कि जबतक जेल अधीक्षक पद पर आसीन हैं तब तक जांच निष्पक्ष नहीं होगी. पीड़ितों ने जेल अधीक्षक को हटाने की मांग करने के साथ ही न्याय की मांग की है. पीड़ित गणपत सूर्या ने बताया कि अगले महीने उसकी बेटी की शादी है. गणपत को 2 दिन पहले लाखों रुपए जीपीएफ से निकालने की जानकारी लगी तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई. वहीं कुछ कर्मचारी ऐसे हैं जिनके मकान का काम चल रहा है, तो कुछ गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं. 1-2 महीने बाद जिनके रिटायरमेंट हैं उनके साथ भी धोखाधड़ी हुई है. सालों की जमा पूंजी का घोटाला होने के बाद अब कर्मचारियों की आंखों में आंसू और निराशा के अलावा कुछ भी नहीं है. बस कर्मचारियों को उम्मीद है तो जांच करने आई टीम पर जो उन्हें इंसाफ दिला सकती है.