उज्जैन। जिले की भैरवगढ़ केंद्रीय जेल में अंजाम दिए गए संभवतः देश के सबसे बड़े 15 करोड़ रुपए के DPF गबन मामले में पुलिस के प्रयास सफल साबित हुए हैं. करीब 15 दिन की मशक्कत के बाद उज्जैन पुलिस और SIT टीम ने मामले की तत्कालीन जेल अधीक्षक ऊषा राज को बीती रात गिरफ्तार कर लिया है. राज के साथ ही मुख्य आरोपी और जेल का पूर्व अकाउंटेंट रिपुदमन सिंह भी गिरफ्त में आ गया है.
ऊषा राज के आईडी पासवर्ड का गबन में उपयोग: SIT अधिकारी इंद्रजीत बाकलवाल के मुताबिक, रिपुदमन को उत्तर प्रदेश के बनारस और मिर्जापुर के बीच एक गांव से जबकि राज को इंदौर से पकड़ा गया है. ऊषा राज के आईडी पासवर्ड का इस गबन में उपयोग किया गया था और रिपुदमन ने इस आईडी पासवर्ड का उपयोग कर 15 करोड़ के गबन को अंजाम दिया था. इससे पहले SIT ने बीते बुधवार को तीन आरोपियों को दबोचा था.
गबन की राशि को ऑनलाइन सट्टे में लगाया: जिन आरोपियों के बैंक खातों में यह रकम ट्रांसफर की गई थी, उन्होंने बताया था कि वे इसका उपयोग ऑनलाइन सट्टे में कर रहे थे. बाकलवाल ने कहा, 'अब तक मामले मे 5 आरोपियों को पकड़ा जा चुका है, इनकी निशानदेही पर करीब 32 संदिग्ध पुलिस के रडार पर हैं. सभी आरोपियों की चल-अचल संपत्ति का रिकॉर्ड भी निगम के राजस्व अमले द्वारा खंगाला जा रहा है. ऊषा राज और रिपुदमन के अलावा गिरफ्तार आरोपियों में रोहित पिता अनिल चौरसिया निवासी देवास, रिंकू पिता गजराज सिंह निवासी उज्जैन, हरीश पिता राधेश्याम गहलोत निवासी उज्जैन शामिल हैं. इन तीनों ने ही गबन की राशि को ऑनलाइन सट्टे में लगाया था.'
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भोपाल से टीम जांच करने उज्जैन पहुंची थी: इस पूरे मामले में जेल मुख्यालय, भोपाल से टीम जांच करने उज्जैन पहुंची थी. जिसने जांच रिपोर्ट शासन के सामने पेश की गई थी. जिसके आधार पर DIJ, जेल ने तत्कालीन जेल अधीक्षक ऊषा राज को लेकर आशंका जताई थी. उज्जैन कलेक्टर ने भी राज को ही दोषी माना था क्योंकि उसके आईडी पासवर्ड की ही उपयोग कर गबन किया गया था. इसके बाद राज को शासन ने जेल मुख्यालय अटैच कर दिया था. हिरासत में लिए जाने के बाद वह बीमार हो गई थी और इलाज के लिए इंदौर के निजी अस्पताल में भर्ती थी.