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Ujjain शहादत दिवस पर मकान का भूमिपूजन हुआ तो भर आईं वीर माता-पिता की आंखें - उज्जैन शहादत दिवस पर मकान का भूमिपूजन

उज्जैन में शहादत दिवस पर 17 सालों के इंतजार के बाद शहीद गजेंद्र राव सुर्वे के भवन का भूमिपूजन हुआ तो खुशी से वीर माता-पिता की आंखें भर आईं. ये परिवार सालों से किराए के मकान में रहने को मजबूर था. बेटे के शहीद होने के बाद कई नेता आए, वादे किए. लेकिन फिर सब भूल गए. ऐसे में उज्जैन की शहीद समरसता मिशन संस्था ने मकान बनवाने का बीड़ा उठाया.

Ujjain  Bhoomipujan of house on Martyrdom Day
मकान का भूमिपूजन हुआ भर आईं वीर माता पिता की आंखें
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Published : Feb 2, 2023, 11:33 PM IST

मकान का भूमिपूजन हुआ भर आईं वीर माता पिता की आंखें

उज्जैन। 20 वर्ष की आयु में देश के नाम अपना बलिदान देने वाले शहीद वीर गजेंद्र राव सुर्वे के बूढ़े मां-बाप का 17 सालों का लंबा इंतजार अब खत्म हो गया है. बेटी के मकान में रह रहे परिवार को समाजजनों ने वीर सपूत के शहादत दिवस यानी 2 फरवरी को उनके सपनों के घर का भूमिपूजन कर उन्हें सम्मान की छत देने की पहल की है. यह काम कोई शासन-प्रशासन ने नहीं बल्कि देश के बलिदानियों को अपना भगवान मानने वाले आमजन ने शहीद समरसता मिशन के माध्यम से राशि एकत्रित कर किया है.

कई नेताओं ने किए वादे, सब भूल गए : इस मौके पर शहीद की वीर माता का कहना था कि बेटे के शहीद होने के बाद कई नेता आए और वायदे किए, लेकिन बाद में सब भूल गए. शहीद के परिवार को बस सम्मान चाहिए और कुछ नहीं. हालांकि उन्होंने संस्था को धन्यवाद दिया और कहा कि अब हमें खुद के घर में रहने को मिलेगा. इससे बड़ा सम्मान और क्या हो सकता है. वीर माता ने संस्था शहीद समरसता मिशन को धन्यवाद दिया. बता दें कि उज्जैन में देशभक्ति का यह शंखनाद पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है. शासन-प्रशासन के तमाम आश्वासनों और वायदों से निराश हो चुके शहीद गजेंद्र राव सुर्वे के बूढ़े माता-पिता के लिए यह किसी सपने के सच होने जैसा है.

वीर माता ने सुनाई व्यथा : वीर माता -पिता को यह मकान शहीद समरसता मिशन संस्था के माध्यम से मिलने जा रहा है, जिसका भूमिपूजन शहर के सरस्वती नगर आगर रोड स्थित गली नंबर 4 उद्योगपुरी के पीछे हुआ है. शहीद की वीर मां ने बातचीत में बताया कि परिवार में पति हैं, दो बेटे हैं और एक बेटी है. जिसमें से एक बेटा गजेंद्र शहीद हो गया. मिल बंद होने से पति भी बेरोजगार हो गए. कोरोना काल में और हालात खराब हो गए. एक बेटा चाय पत्ती बेचने का काम करता है. बेटी की शादी हो चुकी है. मिल के मकानों में ही हम रहते थे, लेकिन मिल बंद हो गई तो आदेश आए कि मकान टूटेंगे. रहने के लिए कुछ नहीं था तो जमाई ने साथ दिया. उन्होंने एक मकान दिया. जिसका कभी किराया नहीं लिया. हमारे पास जमीन थी लेकिन मकान बनाने को पैसे नहीं थे. इसी बीच संस्था शहीद समरसता मिशन हमारे पास आई. आश्वासन दिया और आज भूमिपूजन संपन्न हुआ है. मकान बने या नहीं, ये सम्मान ही हमारे लिए काफी है. क्योंकि एक शहीद के परिवार को क्या चाहिए. सम्मान ही चाहिए. बेटा शहीद हुआ. तब कई लोग आए. वायदे किए और भूल गए. कोई मदद करने आगे नहीं आया.

शहीद का परिवार हमारा है : मिशन के संस्थापक मोहन नारायण और युवाओं ने उनके लिए सम्मान की छत का भूमिपूजन किया. इस मौके पर संस्था के पदाधिकारियों ने कहा कि शहीद का परिवार, हमारा परिवार है और उनकी सुख सुविधाओं का ध्यान रखना, उनके सुख-दुख में उनके साथ खड़े होना, यह हम हर भारतीयों का कर्तव्य है. क्योंकि उस परिवार ने इस राष्ट्र, समाज और हमारी सुरक्षा के लिए अपना सर्वोच्च त्याग किया है. हम शहीद समरसता मिशन के माध्यम से हर शहीद के परिवार तक पहुँचकर उसकी समस्त समस्याओं का समग्र समाधान समाज के सहयोग से करने का काम बीते 15 वर्षों से करते आ रहे हैं.

शहीदों को परिवार को 1 करोड़ मिलना चाहिए : संस्था ने मांग की है कि शहीदों व उनके परिवारों के हित में कानून बनाया जाए और हर शहीद की शहादत पर उसके परिवार को 1 करोड़ की सम्मान राशि देने का प्रावधान करें. इस कानून का लाभ आजादी से अब तक शहीद हुए 36 हजार से अधिक शहीदों के परिवारों को भी प्राथमिकता से प्रदान करें, क्योंकि देश इन शहीदों के सर्वोच्च बलिदानों और इनके वीर परिवारों के सर्वोच्च त्याग पर ही खड़ा हुआ है. इसकी सेवा ही हमारी पहली प्राथमिकता होना चाहिए. संस्था के संस्थापक मोहन नारायण ने ये मांग रखी.

मकान का भूमिपूजन हुआ भर आईं वीर माता पिता की आंखें

उज्जैन। 20 वर्ष की आयु में देश के नाम अपना बलिदान देने वाले शहीद वीर गजेंद्र राव सुर्वे के बूढ़े मां-बाप का 17 सालों का लंबा इंतजार अब खत्म हो गया है. बेटी के मकान में रह रहे परिवार को समाजजनों ने वीर सपूत के शहादत दिवस यानी 2 फरवरी को उनके सपनों के घर का भूमिपूजन कर उन्हें सम्मान की छत देने की पहल की है. यह काम कोई शासन-प्रशासन ने नहीं बल्कि देश के बलिदानियों को अपना भगवान मानने वाले आमजन ने शहीद समरसता मिशन के माध्यम से राशि एकत्रित कर किया है.

कई नेताओं ने किए वादे, सब भूल गए : इस मौके पर शहीद की वीर माता का कहना था कि बेटे के शहीद होने के बाद कई नेता आए और वायदे किए, लेकिन बाद में सब भूल गए. शहीद के परिवार को बस सम्मान चाहिए और कुछ नहीं. हालांकि उन्होंने संस्था को धन्यवाद दिया और कहा कि अब हमें खुद के घर में रहने को मिलेगा. इससे बड़ा सम्मान और क्या हो सकता है. वीर माता ने संस्था शहीद समरसता मिशन को धन्यवाद दिया. बता दें कि उज्जैन में देशभक्ति का यह शंखनाद पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है. शासन-प्रशासन के तमाम आश्वासनों और वायदों से निराश हो चुके शहीद गजेंद्र राव सुर्वे के बूढ़े माता-पिता के लिए यह किसी सपने के सच होने जैसा है.

वीर माता ने सुनाई व्यथा : वीर माता -पिता को यह मकान शहीद समरसता मिशन संस्था के माध्यम से मिलने जा रहा है, जिसका भूमिपूजन शहर के सरस्वती नगर आगर रोड स्थित गली नंबर 4 उद्योगपुरी के पीछे हुआ है. शहीद की वीर मां ने बातचीत में बताया कि परिवार में पति हैं, दो बेटे हैं और एक बेटी है. जिसमें से एक बेटा गजेंद्र शहीद हो गया. मिल बंद होने से पति भी बेरोजगार हो गए. कोरोना काल में और हालात खराब हो गए. एक बेटा चाय पत्ती बेचने का काम करता है. बेटी की शादी हो चुकी है. मिल के मकानों में ही हम रहते थे, लेकिन मिल बंद हो गई तो आदेश आए कि मकान टूटेंगे. रहने के लिए कुछ नहीं था तो जमाई ने साथ दिया. उन्होंने एक मकान दिया. जिसका कभी किराया नहीं लिया. हमारे पास जमीन थी लेकिन मकान बनाने को पैसे नहीं थे. इसी बीच संस्था शहीद समरसता मिशन हमारे पास आई. आश्वासन दिया और आज भूमिपूजन संपन्न हुआ है. मकान बने या नहीं, ये सम्मान ही हमारे लिए काफी है. क्योंकि एक शहीद के परिवार को क्या चाहिए. सम्मान ही चाहिए. बेटा शहीद हुआ. तब कई लोग आए. वायदे किए और भूल गए. कोई मदद करने आगे नहीं आया.

शहीद का परिवार हमारा है : मिशन के संस्थापक मोहन नारायण और युवाओं ने उनके लिए सम्मान की छत का भूमिपूजन किया. इस मौके पर संस्था के पदाधिकारियों ने कहा कि शहीद का परिवार, हमारा परिवार है और उनकी सुख सुविधाओं का ध्यान रखना, उनके सुख-दुख में उनके साथ खड़े होना, यह हम हर भारतीयों का कर्तव्य है. क्योंकि उस परिवार ने इस राष्ट्र, समाज और हमारी सुरक्षा के लिए अपना सर्वोच्च त्याग किया है. हम शहीद समरसता मिशन के माध्यम से हर शहीद के परिवार तक पहुँचकर उसकी समस्त समस्याओं का समग्र समाधान समाज के सहयोग से करने का काम बीते 15 वर्षों से करते आ रहे हैं.

शहीदों को परिवार को 1 करोड़ मिलना चाहिए : संस्था ने मांग की है कि शहीदों व उनके परिवारों के हित में कानून बनाया जाए और हर शहीद की शहादत पर उसके परिवार को 1 करोड़ की सम्मान राशि देने का प्रावधान करें. इस कानून का लाभ आजादी से अब तक शहीद हुए 36 हजार से अधिक शहीदों के परिवारों को भी प्राथमिकता से प्रदान करें, क्योंकि देश इन शहीदों के सर्वोच्च बलिदानों और इनके वीर परिवारों के सर्वोच्च त्याग पर ही खड़ा हुआ है. इसकी सेवा ही हमारी पहली प्राथमिकता होना चाहिए. संस्था के संस्थापक मोहन नारायण ने ये मांग रखी.

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