भोपाल: राजधानी का एम्स अस्पताल जहां गंभीर मरीजों को नया जीवन दे रहा है, वहीं बचपन से अंधेरे के साए में जी रहे लोगों के जीवन को नई रोशनी देने का काम भी कर रहा है. हाल ही में कॉर्नियल रिट्रीवल प्रोग्राम के तहत एक जीवन परिवर्तनकारी नेत्रदान सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. जिसमें 30 वर्षीय मृत व्यक्ति की आंखों से 3 नए लोगों को आंखों की रोशनी वापस मिली है.
इस प्रकार 3 लोगों को मिली रोशनी
एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि 30 वर्षीय शुभम यादव की मृत्यु हो गई थी. उनके परिजनों ने उनकी दोनों आंखों की पुतली एम्स भोपाल को दान कर दी थी. शुभम के दान किये गये कॉर्निया का उपयोग 3 महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं के लिए किया गया. पहली आंख की पुतली एक 74 वर्षीय मरीज को प्रत्यारोपित किया गया, जिनकी आंख की एंडोथेलियल परत एक पुराने ऑपरेशन के दौरान खराब हो गई थी. इस प्रत्यारोपण ने उनकी दृष्टि को बहाल कर जीवन में नई स्पष्टता लाई.
वहीं, पहली आंख की पुतली का दूसरा हिस्सा 16 वर्षीय लड़की को प्रत्यारोपित किया गया, जो स्टीवंस जानसन सिंड्रोम से ग्रसित थी. इसी तरह दूसरी आंख की पुतली को 50 वर्षीय पुरुष को लगाया गया, जिनकी आंख बचपन की चोट के कारण सफेद हो गई थी.
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बेंगलुरु के मरीज का ट्यूमर ऑपरेशन
एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. अजय सिंह ने बताया कि "बेंगलुरु के 37 वर्षीय मरीज बार-बार होने वाले पैंक्रियाटाइटिस से पीड़ित थे और उनकी कई सर्जरियां असफल रहीं थी. अप्रैल 2021 में उन्हें गंभीर पेट दर्द के साथ उनकी बीमारी शुरू हुई, जिसके बाद में एक्यूट पैक्रियाटाइटिस के रूप में पहचाना गया. बेंगलुरु में पित्ताशय की थैली और पैरा थायरॉइड की सर्जरी के बावजूद उनकी स्थिति बिगड़ती रही, और उनके कैल्शियम व पैरा थायरॉइड हार्माेन के स्तर लगातार ऊंचे बने रहे.
अंततः कई अस्पतालों के चक्कर लगाने और निराशा बढ़ने के बाद, उन्होंने एम्स भोपाल के एंडोक्रिनोलॉजी विभाग में इलाज के लिए संपर्क किया. यहां गहन जांच से दाहिनी ओर गर्दन की मांसपेशी के पीछे एक असामान्य स्थान पर पैरा थायराइड ट्यूमर का पता चला. जिसका एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने सफलतापूर्वक इलाज किया. अब मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हैं और उनको अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है."