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उज्जैनः विक्रम विश्वविद्यालय में लगायी गयी धारा 52, सरकार ने अपने हाथ में ली प्रशासनिक व्यवस्था

उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय में राज्य सरकार ने लगाई धारा 52. सरकार के इस कदम के पीछे की वजह विश्वविद्यालय में जारी गड़बड़ी को बताया जा रहा है. सभी मामलों में विश्वविद्यालय की प्रशासन व्यवस्था संदेह के घेरे में थी.

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Published : Feb 15, 2019, 10:30 PM IST

विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन

उज्जैन। शहर के विक्रम विश्वविद्यालय में प्रदेश सरकार ने धारा 52 लगाकर विश्वविद्यालय की सभी प्रशासनिक व्यवस्थाएं अपने अधीन कर ली हैं. सरकार के इस कदम के पीछे की वजह विश्वविद्यालय में जारी गड़बड़ी को बताया जा रहा है. बता दें कि यह विश्वविद्यालय किताब खरीदी और निजी कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया के निर्णयों से विवादों में रहा है.

विश्वविद्यालय में हुई किताब खरीदी के मामले में गड़बड़ी की शिकायत करीब दो साल पहले सामने आई थी. इसी तरह आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में हुई धारा 28 के तहत शिक्षक नियुक्ति के मामले ने भी खासा तूल पकड़ा था. इन सभी मामलों की जांच हाईकोर्ट के आदेश पर हुई थी, जिसमें जांच प्रतिवेदन का अंतिम आदेश आने से कुछ दिन पहले ही विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसएस पांडे ने इस्तीफा दे दिया था, जबकि पांडे का कार्यकाल 30 मई तक था. ऐसे में इन सभी मामलों में विश्वविद्यालय की प्रशासन व्यवस्था संदेह के घेरे में आ गयी थी.

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विश्वविद्यालय के कुलपति रहे एसएस पांडे का कार्यकाल भी विवादों के घेरे में रहा है. पांडे के कार्यकाल के दौरान ऑनलाइन फीस जमा करने की लिंक, फर्जी चालान कांड, कुलपति के भाई अरुण पांडे को पीएचडी निदेशक बनाने, परीक्षा प्रक्रिया में धांधली जैसे कई मामलों में उनका नाम खूब उछला था. माना जाता है कि एसएस पांडे की बीजेपी नेताओं से गहरी निकटता थी.

फिलहाल सरकार ने विश्वविद्यालय की प्रशासनिक व्यवस्थाएं अपने हाथ में लेते हुये विक्रम विश्वविद्यालय में धारा 52 लगा दी है. एनएसयूआई संगठन भी विश्वविद्यालय में धारा 52 लगाए जाने की मांग लंबे समय से कर रहा था.

उज्जैन। शहर के विक्रम विश्वविद्यालय में प्रदेश सरकार ने धारा 52 लगाकर विश्वविद्यालय की सभी प्रशासनिक व्यवस्थाएं अपने अधीन कर ली हैं. सरकार के इस कदम के पीछे की वजह विश्वविद्यालय में जारी गड़बड़ी को बताया जा रहा है. बता दें कि यह विश्वविद्यालय किताब खरीदी और निजी कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया के निर्णयों से विवादों में रहा है.

विश्वविद्यालय में हुई किताब खरीदी के मामले में गड़बड़ी की शिकायत करीब दो साल पहले सामने आई थी. इसी तरह आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में हुई धारा 28 के तहत शिक्षक नियुक्ति के मामले ने भी खासा तूल पकड़ा था. इन सभी मामलों की जांच हाईकोर्ट के आदेश पर हुई थी, जिसमें जांच प्रतिवेदन का अंतिम आदेश आने से कुछ दिन पहले ही विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसएस पांडे ने इस्तीफा दे दिया था, जबकि पांडे का कार्यकाल 30 मई तक था. ऐसे में इन सभी मामलों में विश्वविद्यालय की प्रशासन व्यवस्था संदेह के घेरे में आ गयी थी.

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विश्वविद्यालय के कुलपति रहे एसएस पांडे का कार्यकाल भी विवादों के घेरे में रहा है. पांडे के कार्यकाल के दौरान ऑनलाइन फीस जमा करने की लिंक, फर्जी चालान कांड, कुलपति के भाई अरुण पांडे को पीएचडी निदेशक बनाने, परीक्षा प्रक्रिया में धांधली जैसे कई मामलों में उनका नाम खूब उछला था. माना जाता है कि एसएस पांडे की बीजेपी नेताओं से गहरी निकटता थी.

फिलहाल सरकार ने विश्वविद्यालय की प्रशासनिक व्यवस्थाएं अपने हाथ में लेते हुये विक्रम विश्वविद्यालय में धारा 52 लगा दी है. एनएसयूआई संगठन भी विश्वविद्यालय में धारा 52 लगाए जाने की मांग लंबे समय से कर रहा था.

Intro:उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय में राज्य सरकार ने धारा 52 लगाकर प्रशासनिक व्यवस्थाएं अपने हाथ में ले ली है। सरकार के इस कदम के पीछे वजह विश्वविद्यालय में जारी गड़बड़ियों को बताया जा रहा है। विश्वविद्यालय किताब खरीदी और निजी कॉलेजों में शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर विवादों में रहा है। मामले की जांच हाईकोर्ट के आदेश पर हुई थी। लेकिन जांच प्रतिवेदन के अंतिम आदेश की पहली ही पिछले दिनों कुलपति प्रोफेसर एसएस पांडे ने अपना इस्तीफा दे दिया था। कुलपति पांडे का कार्यकाल 30 मई तक था।


Body:गड़बड़ियों के कारण विक्रम विश्वविद्यालय लंबे समय से विवादों मैं रहा है। विश्वविद्यालय में हुई किताब खरीदी के मामले में गड़बड़ी की शिकायत करीब 2 साल पहले सामने आई थी इसी तरह आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में हुई धारा 28 कोर्ट के तहत शिक्षक नियुक्ति के मामले ने भी खूब तूल पकड़ा था। दोनों ही मामलों की जांच हाई कोर्ट के आदेश के बाद शुरू हुई थी। मामले की जांच मैं उच्च शिक्षा विभाग द्वारा अंतिम जांच प्रतिवेदन भी प्रस्तुत कर दिया है। मामले में कोई आदेश निकल पाता उसकी पहली ही 9 फरवरी को विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसएस पांडे ने अपना इस्तीफा दे दिया था। कुलपति पांडे का कार्यकाल विवादों के घेरे में रहा है। पांडे के कार्यकाल के दौरान ऑनलाइन फीस जमा करने की लिंक फर्जी चालान कांड कुलपति के भाई अरुण पांडे का पीएचडी निदेशक बनने, परीक्षा प्रक्रिया में धांधली जैसे कई मामलों ने उनकी खूब किरकिरी कराई। बीजेपी से निकटता के चलते भी कुलपति विवादों में रहे हैं। विश्वविद्यालय में चल रही गड़बड़ियों को देखते हुए सरकार ने विक्रम विश्वविद्यालय में धारा 52 लगा दी है। एनएसयूआई कार्यकर्ता भी विश्वविद्यालय में धारा 52 लगाई जाने की लंबे समय से लगातार मांग कर रहे थे इसको लेकर एनएसयूआई ने विभाग को पिछले दिनों ज्ञापन भी सौंपा था।

नोट-- इसमें विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन का फोटो लगा लें। बाइट नहीं है।


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