उज्जैन। सावन का महीना शुरू होते ही 12 ज्योतिर्लिंगो में से एक विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में हर हर महादेव के जयकारों के साथ बाबा के दर्शन हेतु श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया है. सावन माह के पहले दिन अल सुबह बाबा महाकाल के मंदिर के पट खोले गए. सबसे पहले बाबा महाकाल को सभी पुजारियों ने नियम अनुसार जल चढ़ाया. फिर दूध, घी, शहद, शक्कर व दही से पंचामृत अभिषेक किया गया. अभिषेक के बाद बाबा का भांग से श्रृंगार कर महानिर्वाणी अखाड़े के महाराज द्वारा बाबा को भस्म रमाई गई. भस्म आरती के बाद बाबा का विशेष श्रृंगार किया गया. बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान महाकाल के दर्शन किए. इस बार प्रदोष काल होने के कारण 10 सावन सोमवार पड़ेंगे और बाबा महाकाल अपनी प्रजा का हाल जानने 10 जुलाई से नगर भ्रमण पर निकलेंगे.
सवान है विशेष: उज्जैन महाकाल मंदिर के पुजारी महेश गुरु ने बताया कि उज्जैन महाकाल के मंदिर में श्रावाण मास शिव का अति प्रिय माह माना जाता है. शिव पूजा का माह में खास महत्व माना जाता है. अवन्तिका नगरी में ज्योतिर्लिंग होने से इसका अत्यधिक महत्व है, दूर दराज से आये श्राद्धलुओं की मनोकामना भगवान पूर्ण करते हैं. महाकाल मंदिर में बाबा की सेवा पूजन, आरती, श्रृंगार जो सावन में होता है. उसका दिव्य रूप होने से विशेष महत्व बढ़ जाता है. भस्म रमाने से तात्पर्य है बाबा को भस्म से स्नान करवाना, यहां हर रोज बाबा का अलग असाग स्वरूप में श्रृंगार होता है जिसमें भांग विशेष होता है. सावन में बाबा के पट देर रात्रि खोले जाते हैं जिससे मंदिर व आरती की तैयारी जल्दी हो सके और श्रद्धालुओं को समय पर प्रवेश मिल सके.
शिव की विशेष पूजा: उज्जैन 12 ज्योर्तिलिंग में से एक महाकालेश्वर मंदिर का शिवलिंग स्वयंभू है और दक्षिण मुखी होने के कारण इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि दिव्य शिवलिंग जिसके दर्शन मात्र से ही श्रद्धालु की मनोकामना पूर्ण हो जाती है और सावन के महीने में माना जाता है कि श्रद्धालु भगवान शिव को बेलपत्र और धतूरा चढ़ाते हैं तो श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है और पूरे सावन श्रद्धालु भगवान शिव की आराधना में डूबे नजर आते हैं और श्रद्धालु निर्जला व्रत करते हैं वही एकाशना व्रत भी करते हैं. ज्यादातर शिव की आराधना कुंवारी कन्या ज्यादा करती हैं क्योंकि अच्छे वर की कामना के लिए सावन के सोमवार के व्रत करना महत्वपूर्ण होता है.
कब कब रहेगी सवारियां ये भी जानिए: भगवान महाकालेश्वर की भस्मार्ती 4 जुलाई 2023 से 11 सितम्बर 2023 तक प्रात: कालीन पट खुलने का समय प्रात: 03 बजे का होगा और प्रत्येक सोमवार प्रात: 02.30 बजे होगा. भस्मार्ती के दौरान कार्तिकेय मण्डपम् की अंतिम 3 पंक्तियों से श्रद्धालुओं के लिये चलित भस्मार्ती दर्शन व्यवस्था चालू है.
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ऐसे कर सकेंगे दर्शन: इस बार भस्म आरती में ऑनलाइन बुकिंग कराने वाले श्रद्धालुओं के साथ-साथ आम श्रद्धालुओं को भी दर्शन की सुविधा मिलेगी. महाकाल प्रबंधक समिति ने फैसला लिया है कि आम श्रद्धालुओं को भस्म आरती के दौरान चलाएं मान दर्शन कराए जाएंगे. इसके अलावा महाकाल मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं के लिए चार धाम मंदिर से होते हुए महाकाल लोक के मानसरोवर प्लाजा से महाकाल मंदिर के दर्शन कर सकेंगे इसके बाद जैसे ही बाहर निकलेंगे बड़े गणेश मंदिर होते हुए हरसिद्धि मंदिर होते हुए नरसिंघाट पहुंचेंगे. जहां श्रद्धालु पहले से ही अपने जूते चप्पल उतार कर आए थे और उसी रास्ते पर पुनः पहुंच जाएंगे.
लाइव दर्शन की व्यवस्था: श्रद्धालुओं के लिए लड्डू के लिए काउंटर अलग-अलग बनाए हैं. इसके साथ में हेल्पलाइन डेस्क बनाया गया है. सीसीटीवी कैमरा से लगातार निगरानी रखी जाएगी. श्रद्धालुओं को 45 मिनट में दर्शन का लाभ मिल सकेगा. पानी की व्यवस्था की गई है. आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई असुविधा ना हो इसको लेकर महाकाल सुंदर समिति ने पहले से ही पूरा मास्टर प्लान तैयार कर रखा है. वीआईपी जो भगवान महाकाल के दर्शन के लिए आएंगे उन्हें महाकाल मंदिर प्रशासक कार्यालय के सामने एक नंबर गेट से प्रवेश करना होगा. मंदिर प्रबंध समिति द्वारा समिति की वेबसाईट www.mahakaleshwar.nic.in एवं फेसबुक पेज पर भगवान की आरती और दिन भर दर्शन के साथ साथ सवारी का सीधा प्रसारण (लाईव) किया जावेगा. जिससे उज्जैन सहित देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन व सवारी के सीधे प्रसारण का लाभ घर पर ही प्राप्त कर सकेंगे.