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ज्येष्ठ पूर्णिमा पर श्री कृष्ण जगन्नाथ का जलाभिषेक, जानें कैसे भगवान हुए बीमार - Jalabhishek of Shri Krishna Jagannath on Purnima

ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर इस्कॉन मंदिर में भगवान श्री कृष्ण जगन्नाथ का पारंपरिक वेश भूषा में जलाभिषेक हुआ. मान्यता अनुसार जलाभिषेक के बाद भगवान 15 दिन के लिए बीमार होंगे. इसके बाद भक्तों को दर्शन देने निकलेगें.

Lord sick for 15 days after Jalabhishek
जलाभिषेक के बाद भगवान 15 दिन के लिए बीमार
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Published : Jun 4, 2023, 7:30 PM IST

जलाभिषेक के बाद भगवान 15 दिन के लिए बीमार

उज्जैन। धार्मिक नगरी अवंतिका उज्जैनी में हर एक पर्व को एक खास अंदाज में मनाया जाता है क्योंकि आज रविवार का दिन ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा का दिन है मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण जगन्नाथ का दारुब्रह्मा रूप में काष्ठ कला की प्रतिमा के रूप में प्राकट्य हुआ था. मान्यता अनुसार प्राकट्य होते ही भक्तों ने भगवान का जोरदार अभिषेक किया था जिसकी वजह से भगवान को सर्दी लग गई थी और वह बीमार पड़ गए थे. बीमारी के दौरान भगवान का एकांतवास रहा और उसमें भगवान का काढ़ा व अन्य आयुर्वेदिक औषधि से उपचार हुआ. 15 दिन में स्वस्थ होने के बाद भगवान आषाढ़ शुक्ल द्वितीया पर रथ पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकले. इसी क्रम में अवंतिका नगरी उज्जैनी में स्थित इस्कॉन मंदिर में यह खास पर्व का आयोजन प्रत्येक वर्ष अनुसार इस वर्ष भी किया गया और पारंपरिक वेशभूषा में भगवान जगन्नाथ का जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की कतार देखने को मिली.

15 दिन भगवन को नहीं लगेगा राजभोग: मंदिर के पुजारी बताते है कि नियमित पूजा में लगने वाले भोग आदि में भी राजभोग के स्थान पर खिचड़ी, फल, हरि सब्जी, जूस आदि सादा भोजन परोसा जाएगा. भक्तों को आज अभिषेक के बाद अब सीधा 20 जून को रथ यात्रा के दिन ही भगवान के दर्शन होंगे. मंदिर के PRO राघव पंडित दास ने बताया कि आज के दिन भगवान जगन्नाथ का दारुब्रह्मा रूप में काष्ठ कला की प्रतिमा के रूप में प्राकट्य हुआ था उनका आज स्नान हो रहा है पहला ऐसा दिन ये होता है प्रत्येक वर्ष में 1 बार जब भगवान का कोई भी भक्त अपने हाथ से भगवन का अभिषेक कर सकता है. अभिषेक के बाद मान्यता है कि भगवान जोरदार अभिषेक के कारण बीमार पड़ जाते है उन्हें सर्दी लग जाती है. 15 दिन तक भगवान बीमार रहते हैं 15 दिन बाद स्वस्थ होते ही भगवान नगर भ्रमण पर निकलते है जिसे रथ यात्रा के रूप में जाना जाता है. ये बड़ा संयोग वाला वर्ष है भारत वर्ष अपनी ऐतिहासिक संस्कृति को समृद्ध कर रहा है. उस अनुसार अबंती के सोमवंश राजा इंद्रद्युम्न ने पुरी में भगवान जगन्नाथ का मुख्य मंदिर बनवाया था. हम जो रथ यात्रा निकालेंगे उसको हम संस्कृति के वैभव में सम्मिलित करने के लिए संस्कृति विभाह से बात कर रहे है. अभिषेक का ये क्रम अलग अलग प्रकार से चलेगा दिन भर.

गजवेश में दर्शन: इस्‍कान मंदिर प्रबंधन के अनुसार सुबह 09.30 से 11.30 बजे तक भगवान को स्नान कराया गया. 01 बजे भगवान ने गजवेश रूप में दर्शन दिए जिसके पीछे कहानी है कि एक भक्त ने भगवान के सामने जिद पकड़ ली थी कि वह उनके गज वेश में ही दर्शन करना चाहते हैं तो भगवान की ऐसी कृपा रही भक्त को खुश किया और गणेश रूप धारण कर अपने भक्तों को प्रसन्न किया तो वही परंपरा आज भी चली आ रही है. ऐसे दिन भर अलग-अलग पूजन पाठ और रूपों में भगवान भक्तों को दर्शन देंगे. पीआरओ राघव पंडित दास ने बताया की ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा के दिन भक्तों को पहली बार भगवान जगन्नाथ के काष्ठ प्रतिमा के रूप में दर्शन हुए थे। भगवान के इस रूप में दर्शन कर भक्त आह्लिदत हुए हैं.

जलाभिषेक के बाद भगवान 15 दिन के लिए बीमार

उज्जैन। धार्मिक नगरी अवंतिका उज्जैनी में हर एक पर्व को एक खास अंदाज में मनाया जाता है क्योंकि आज रविवार का दिन ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा का दिन है मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण जगन्नाथ का दारुब्रह्मा रूप में काष्ठ कला की प्रतिमा के रूप में प्राकट्य हुआ था. मान्यता अनुसार प्राकट्य होते ही भक्तों ने भगवान का जोरदार अभिषेक किया था जिसकी वजह से भगवान को सर्दी लग गई थी और वह बीमार पड़ गए थे. बीमारी के दौरान भगवान का एकांतवास रहा और उसमें भगवान का काढ़ा व अन्य आयुर्वेदिक औषधि से उपचार हुआ. 15 दिन में स्वस्थ होने के बाद भगवान आषाढ़ शुक्ल द्वितीया पर रथ पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकले. इसी क्रम में अवंतिका नगरी उज्जैनी में स्थित इस्कॉन मंदिर में यह खास पर्व का आयोजन प्रत्येक वर्ष अनुसार इस वर्ष भी किया गया और पारंपरिक वेशभूषा में भगवान जगन्नाथ का जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की कतार देखने को मिली.

15 दिन भगवन को नहीं लगेगा राजभोग: मंदिर के पुजारी बताते है कि नियमित पूजा में लगने वाले भोग आदि में भी राजभोग के स्थान पर खिचड़ी, फल, हरि सब्जी, जूस आदि सादा भोजन परोसा जाएगा. भक्तों को आज अभिषेक के बाद अब सीधा 20 जून को रथ यात्रा के दिन ही भगवान के दर्शन होंगे. मंदिर के PRO राघव पंडित दास ने बताया कि आज के दिन भगवान जगन्नाथ का दारुब्रह्मा रूप में काष्ठ कला की प्रतिमा के रूप में प्राकट्य हुआ था उनका आज स्नान हो रहा है पहला ऐसा दिन ये होता है प्रत्येक वर्ष में 1 बार जब भगवान का कोई भी भक्त अपने हाथ से भगवन का अभिषेक कर सकता है. अभिषेक के बाद मान्यता है कि भगवान जोरदार अभिषेक के कारण बीमार पड़ जाते है उन्हें सर्दी लग जाती है. 15 दिन तक भगवान बीमार रहते हैं 15 दिन बाद स्वस्थ होते ही भगवान नगर भ्रमण पर निकलते है जिसे रथ यात्रा के रूप में जाना जाता है. ये बड़ा संयोग वाला वर्ष है भारत वर्ष अपनी ऐतिहासिक संस्कृति को समृद्ध कर रहा है. उस अनुसार अबंती के सोमवंश राजा इंद्रद्युम्न ने पुरी में भगवान जगन्नाथ का मुख्य मंदिर बनवाया था. हम जो रथ यात्रा निकालेंगे उसको हम संस्कृति के वैभव में सम्मिलित करने के लिए संस्कृति विभाह से बात कर रहे है. अभिषेक का ये क्रम अलग अलग प्रकार से चलेगा दिन भर.

गजवेश में दर्शन: इस्‍कान मंदिर प्रबंधन के अनुसार सुबह 09.30 से 11.30 बजे तक भगवान को स्नान कराया गया. 01 बजे भगवान ने गजवेश रूप में दर्शन दिए जिसके पीछे कहानी है कि एक भक्त ने भगवान के सामने जिद पकड़ ली थी कि वह उनके गज वेश में ही दर्शन करना चाहते हैं तो भगवान की ऐसी कृपा रही भक्त को खुश किया और गणेश रूप धारण कर अपने भक्तों को प्रसन्न किया तो वही परंपरा आज भी चली आ रही है. ऐसे दिन भर अलग-अलग पूजन पाठ और रूपों में भगवान भक्तों को दर्शन देंगे. पीआरओ राघव पंडित दास ने बताया की ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा के दिन भक्तों को पहली बार भगवान जगन्नाथ के काष्ठ प्रतिमा के रूप में दर्शन हुए थे। भगवान के इस रूप में दर्शन कर भक्त आह्लिदत हुए हैं.

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