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महाकाल मंदिर के पीछे खुदाई में एक हजार साल पुराना शिलालेख मिला, अब रोक दिया काम, सुनिए मंत्री जी का फरमान - उज्जैन

उज्जैन में महाकाल मंदिर के पीछे चल रहे खुदाई में 1000 साल पुराना शिलालेख निकलने के बाद से ही काम को रोक दिया गया है. वहीं इस बारे में मंत्री मोहन यादव ने कहा है कि राज्य सरकार की ओर से केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजेंगे.

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शिलालेख और मंत्री मोहन यादव
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Published : Dec 23, 2020, 12:05 PM IST

उज्जैन। महाकाल मंदिर के वीआईपी गेट के यहां बने सती माता मंदिर के पीछे से खुदाई में 1000 साल पुराना शिलालेख निकलने के बाद से ही काम को रोक दिया है. वहीं आगे कार्य शुरू करने को लेकर मंदिर समिति व शासकीय अधिकारियों जनप्रतिनिधियों विक्रम विश्वविद्यालय शोध संस्था और पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के बीच मीटिंग जारी है. उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने ईटीवी भारत से चर्चा में कहा कि जल्द ही काम शुरू करने के लिए राज्य शासन की ओर से केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजा जाएगा. जिसमें शहर के गर्भ में इतिहास खोजने के लिए खुदाई को लेकर बात रखी जाएगी.

खुदाई में मिली पुरातत्व सामग्री

पुरातत्व अधिकारी, मंत्री मोहन यादव, ज्योतिष आनंद शंकर व्यास, व शहर के जानकारों की मानें तो पुरानी संस्कृति सभ्यता के पुरावेश आज भी जमीन के अंदर हैं, 1937 और 38 में पहला उत्खनन हुआ था. 1956-57 में दूसरा, 1963 में तीसरी बार और आखिरी उत्खनन शहर में किया गया. इस दौरान पुरातत्व सामग्री पाई गई थी. वहीं पुराविदों के अनुसार पद्मश्री स्वर्गीय डॉक्टर वाकणकर और विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्व द्वारा शहर और जिले के किए गए पुरातत्व सर्वो में तीन से चार हजार वर्ष पुराना सभ्यता के पुरावेष संग्रहित हो चुके हैं.

मंत्री ने ईटीवी भारत से बात

उज्जैन की पुरानी संस्कृति आएगी सामने

उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने कहा की उज्जैन वर्षों पुरानी नगरी है. मोहन यादव ने कहा की यहां उत्खनन की बहुत संभावना है. उत्खनन को लेकर भारत सरकार मध्य प्रदेश सरकार बहुत गंभीर है. ऐसे में राज्य सरकार पुरातत्व विभाग के अधिकारियों की मदद से जो उत्खनन करवाएगी उसमें उज्जैन के पुराने इतिहास का पर्दाफाश होगा. इससे पुरानी संस्कृति उभरकर आएगी. साथ ही उज्जैन की उम्र का भी पता चलेगा. यहां का इतिहास तो बहुत प्राचीन है 4000 वर्ष पुरानी चीजें यहां से प्राप्त हुई है. अब नई टेक्नोलॉजी की मशीन आ गई है. नई मशीन आ गई है तो एक बार उत्खनन होना चाहिए. अब मैंने पुरातत्व विभाग जिला कार्यालय व विक्रम विश्वविद्यालय, शोध संस्था के साथ राज्य सरकार द्वारा केंद्र की मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा. जिसमें गढ़कालिका, महाकालेश्वर मंदिर के आसपास का एरिया और वैश्य टेकरी में उत्खनन की बात रखी जाएगी.

उज्जैन। महाकाल मंदिर के वीआईपी गेट के यहां बने सती माता मंदिर के पीछे से खुदाई में 1000 साल पुराना शिलालेख निकलने के बाद से ही काम को रोक दिया है. वहीं आगे कार्य शुरू करने को लेकर मंदिर समिति व शासकीय अधिकारियों जनप्रतिनिधियों विक्रम विश्वविद्यालय शोध संस्था और पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के बीच मीटिंग जारी है. उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने ईटीवी भारत से चर्चा में कहा कि जल्द ही काम शुरू करने के लिए राज्य शासन की ओर से केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजा जाएगा. जिसमें शहर के गर्भ में इतिहास खोजने के लिए खुदाई को लेकर बात रखी जाएगी.

खुदाई में मिली पुरातत्व सामग्री

पुरातत्व अधिकारी, मंत्री मोहन यादव, ज्योतिष आनंद शंकर व्यास, व शहर के जानकारों की मानें तो पुरानी संस्कृति सभ्यता के पुरावेश आज भी जमीन के अंदर हैं, 1937 और 38 में पहला उत्खनन हुआ था. 1956-57 में दूसरा, 1963 में तीसरी बार और आखिरी उत्खनन शहर में किया गया. इस दौरान पुरातत्व सामग्री पाई गई थी. वहीं पुराविदों के अनुसार पद्मश्री स्वर्गीय डॉक्टर वाकणकर और विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्व द्वारा शहर और जिले के किए गए पुरातत्व सर्वो में तीन से चार हजार वर्ष पुराना सभ्यता के पुरावेष संग्रहित हो चुके हैं.

मंत्री ने ईटीवी भारत से बात

उज्जैन की पुरानी संस्कृति आएगी सामने

उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने कहा की उज्जैन वर्षों पुरानी नगरी है. मोहन यादव ने कहा की यहां उत्खनन की बहुत संभावना है. उत्खनन को लेकर भारत सरकार मध्य प्रदेश सरकार बहुत गंभीर है. ऐसे में राज्य सरकार पुरातत्व विभाग के अधिकारियों की मदद से जो उत्खनन करवाएगी उसमें उज्जैन के पुराने इतिहास का पर्दाफाश होगा. इससे पुरानी संस्कृति उभरकर आएगी. साथ ही उज्जैन की उम्र का भी पता चलेगा. यहां का इतिहास तो बहुत प्राचीन है 4000 वर्ष पुरानी चीजें यहां से प्राप्त हुई है. अब नई टेक्नोलॉजी की मशीन आ गई है. नई मशीन आ गई है तो एक बार उत्खनन होना चाहिए. अब मैंने पुरातत्व विभाग जिला कार्यालय व विक्रम विश्वविद्यालय, शोध संस्था के साथ राज्य सरकार द्वारा केंद्र की मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा. जिसमें गढ़कालिका, महाकालेश्वर मंदिर के आसपास का एरिया और वैश्य टेकरी में उत्खनन की बात रखी जाएगी.

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