उज्जैन। पिछले दिनों कुछ अनहोनी घटनाओं की वजह से सुर्खियों में रही बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन की आत्मा में बसता है सांप्रदायिक सौहार्द. भाईचारे और अपनेपन की भावना यहां के लोगों के जीवन में बसी हुई है. हिंदू -मुसलमान सदियों से यहां मिलजुल कर रह रहे हैं. महाकाल मंदिर के पास ही मुस्लिम मोहल्ला है यहां तमाम होटल और रेस्टॉरेंट भी हैं. इनके मालिक भी मुस्लिम हैं, लेकिन उनका सेवाभाव, बाबा महाकाल के प्रति भक्ति और बाबा के दर्शनों को आने वाले श्रद्धालुओं के प्रति स्नेह किसी से छुपा नहीं है. होटल के नाम भी भगवान शिव के नाम पर ही हैं, होटल के काउंटर पर बाबा महाकाल के फोटो और श्रद्धा से उनके सामने झुकते सिर इबादत की एक नई कहानी तो कहते ही हैं साथ ही आईना दिखाते हैं उन सांप्रदायिक ताकतों को जो मालवा और मध्य प्रदेश की फिजा खराब करना चाहते हैं.
मंदिर के आसपास 40 % होटल के मालिक मुस्लिम हैं
विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु देशभर के कई राज्यों से दर्शन करने आते हैं. ये श्रद्धालु मंदिर के आसपास बने इन होटलों में ही ठहरते हैं. इस एरिया में छोटी बड़ी लगभग 400 से अधिक होटट हैं जिनमें 40% होटल के मालिक और संचालक मुस्लिम समाज से है. बावजूद इसके ये बिना किसी भेदभाव के सालों से यहां आने वाले हिंदू श्रद्धालुओं की सेवा कर रहे हैं. यहां आने वाले श्रद्धालूओं में कई ऐसे हैं जो सालों से अपने परिवार के साथ आ रहे हैं.वे इन्हें जानते भी हैं कि वे मुस्लिम बावजूद आजतक कोई ऐसा मामला सामने नहीं आया कि किसी श्रद्धालू ने इसपर आपत्ति की हो. महाकाल मंदिर से महज 500 मीटर की दूरी पर भगवान शंकर के नाम पर शंकरा होटल के संचालक अब्दुल रऊफ हैं. वे कई सालों से होटल चला रहे हैं. हमने उनसे ही जाना इस शहर के सांप्रदायिक सद्भाव और सौहार्द के बारे में.
जहर घोलने वालों के मुंह पर तमाशा है मुस्लिम भाईयों की शिव भक्ति
बीते दिनों मालवा के दो बड़े शहरों में शुमार- उज्जैन देशभर में भले ही देशविरोधी नारेबाजी और इंदौर में चूड़ी वाले की पिटाई और मुस्लिम समाज के युवक से अभद्रता किए जाने के मामलों को लेकर चर्चा में रहा हो, लेकिन यहां के लोगों को बाबा महाकाल पर पूरा यकीन है कि उनके शहर का माहौल कोई नहीं बिगाड़ सकता. शंकरा,शेखर, महाकाल होटल के संचालक मुस्लिम हैं, लेकिन वे शिव की भी पूजा भी करते हैं और अल्लाह की इबादत भी...फिर वे हमसे अलग कैसे रऊफ भाई भरोसा जताते हैं कि कुछ लोग जो धर्म की आड़ में नफरत की चिंगारी को हवा दे रहे हैं उन्हें महाकाल खुद ही दंड देंगे.
उज्जैन में जीवन का एक बड़ा हिस्सा बिता चुके यहीं जन्में और यहीं पले बढ़े रऊफ भाई जैसे लोग ही हिंदुस्तान की असली ताकत हैं. जो समाज के भाईचारे को मजबूत करने का जिम्मा भी निभा रहें और देशविरोधियों और समाज में नफरत का जहर भरने वालों को आईना भी दिखा रहे हैं. सालों से साथ रहते हिंदू- मुसलमानों की यह आपबीती तमाचा है उन लोगों के मुंह पर जो मालवा में बलवा करवाने की साजिश रच रहे हैं.