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विनोद मिल के 4 हजार मजदूरों के बकाया 58 करोड़ रुपए का भुगतान करे मध्यप्रदेश सरकार: सुप्रीम कोर्ट - सुप्रीम कोर्ट आदेश

देश के ख्याति प्राप्त मिलों में से एक उज्जैन की विनोद मिल के मजदूर लंबे समय से अपने करोड़ों रुपयों के लिए कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं. इसी के चलते लंबे समय बाद सुप्रीम कोर्ट ने मजदूरों को राहत देते हुए बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार को मिल के मजदूरों का पैसा देने का आदेश दिया है.

vinod mill workers
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Published : Mar 12, 2019, 6:45 PM IST

उज्जैन| देश के ख्याति प्राप्त मिलों में से एक उज्जैन की विनोद मिल के मजदूर लंबे समय से अपने करोड़ों रुपयों के लिए कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं. इसी के चलते लंबे समय बाद सुप्रीम कोर्ट ने मजदूरों को राहत देते हुए बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार को मिल के मजदूरों का पैसा देने का आदेश दिया है.

vinod mill workers

उज्जैन की विनोद मिल अपने समय में ना सिर्फ प्रदेश की बल्कि देश की अग्रणी कपड़ा मिल थी, लेकिन मैनेजमेंट और बदलते समय को देखते हुए साल 1996 में विनोद मिल को बंद करने का फैसला लिया गया. साल 1991 से लेकर 1996 तक मिल में करीब 4 हजार से अधिक मजदूर काम करते रहे. लेकिन ना उन मजदूरों का पेमेंट मिला और न ही पीएफ. जिसके बाद मिल मजदूर संघ ने इंदौर हाईकोर्ट में अपील की. जिसके बाद करीब 10 करोड़ रुपए में मिल की मशीनों को बेचकर भुगतान किया गया. इसके बावजूद 4 हजार से अधिक मजदूरों का भुगतान बकाया था. लंबी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि विनोद मिल के 4 हजार से अधिक मजदूरों का 58 करोड़ रुपए मध्य प्रदेश सरकार 2 साल के अंदर भुगतान करे.

बता दें कि इतने सालों में कई मजदूरों की मौत हो गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि मृतक मजदूरों के परिवार को भुगतान किया जाए. हालांकि अब सवाल ये उठता है कि प्रदेश सरकार का खजाना पहले से ही खाली है, ऐसे में मजदूरों का 58 करोड़ रुपए का भुगतान कैसे होगा.

उज्जैन| देश के ख्याति प्राप्त मिलों में से एक उज्जैन की विनोद मिल के मजदूर लंबे समय से अपने करोड़ों रुपयों के लिए कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं. इसी के चलते लंबे समय बाद सुप्रीम कोर्ट ने मजदूरों को राहत देते हुए बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार को मिल के मजदूरों का पैसा देने का आदेश दिया है.

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उज्जैन की विनोद मिल अपने समय में ना सिर्फ प्रदेश की बल्कि देश की अग्रणी कपड़ा मिल थी, लेकिन मैनेजमेंट और बदलते समय को देखते हुए साल 1996 में विनोद मिल को बंद करने का फैसला लिया गया. साल 1991 से लेकर 1996 तक मिल में करीब 4 हजार से अधिक मजदूर काम करते रहे. लेकिन ना उन मजदूरों का पेमेंट मिला और न ही पीएफ. जिसके बाद मिल मजदूर संघ ने इंदौर हाईकोर्ट में अपील की. जिसके बाद करीब 10 करोड़ रुपए में मिल की मशीनों को बेचकर भुगतान किया गया. इसके बावजूद 4 हजार से अधिक मजदूरों का भुगतान बकाया था. लंबी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि विनोद मिल के 4 हजार से अधिक मजदूरों का 58 करोड़ रुपए मध्य प्रदेश सरकार 2 साल के अंदर भुगतान करे.

बता दें कि इतने सालों में कई मजदूरों की मौत हो गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि मृतक मजदूरों के परिवार को भुगतान किया जाए. हालांकि अब सवाल ये उठता है कि प्रदेश सरकार का खजाना पहले से ही खाली है, ऐसे में मजदूरों का 58 करोड़ रुपए का भुगतान कैसे होगा.

Intro:विनोद मिल का चार हजार मजदूरों को 58 करोड का भुगतान करे मध्य प्रदेश सरकार।.... सुप्रीम कोर्ट


Body:उज्जैन किसी समय देश के ख्यात मिलो में शुमार विनोद मिल के चार हजार से अधिक मिल मजदूरो का करोड़ो रूपये बकाया के लिए लड़ाई लड़ रहे मजदूरों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राहत भरा फैसला सुनाया कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार को मिल मजदूरो का बकाया करीब 58 करोड़ रुपए देने के आदेश दिए है। इस आदेश के बाद विनोद मिल के मजदुरो में खुशी साफ तौर पर देखी जा सकती है


Conclusion:उज्जैन की शान कहे जाने वाली विनोद मिल अपने समय में ना सिर्फ प्रदेश का बल्कि देश की अग्रणी कपड़ा मिल थी लेकिन मैनेजमेंट और बदलते समय को देखते हुए सन 1996 में विनोद मिल को मैनेजमेंट ने बंद करने का फैसला लिया लेकिन इस बीच सन 1991 से लेकर 1960 तक करीब चार हजार से अधिक मजदूर काम करते रहे लेकिन ना उनका पेमेंट मिला नहीं पी एफ सहित ड्यूटी का भुगतान किया गया जिसके बाद मिल मजदूर संघ ने इंदौर हाई कोर्ट में अपील की जिसके बाद करीब 10 करोड रुपए में मिल की मशीनों को बेच कर भुकतान किया गया लेकिन फिर भी चार हजार से अधिक मजदूर का भुगतान बकाया था लंबी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश किया है कि विनोद मिल के चार हजार से अधिक मजदूरों का 58 करो रुपए मध्य प्रदेश सरकार 2 साल के अंदर भुगतान करें हालांकि इस बीच कई मजदूरों की मौत हो गई लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि मृतक मजदूरों के परिवार को भुगतान किया जाए इस खबर के बाद मजदूरों के परिवार में हर्ष है और परिवार वाले एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशियां मना रहे हैं इधर अब सवाल उठता है कि प्रदेश सरकार का खजाना पहले ही खाली है और वह मजदूरों का 58 करोड़ का भुगतान कैसे करेंगे



बाइट---ओमप्रकाश भदौरिया (विनोद मिल मजदूर संघ अध्यक्ष)

वॉक थ्रू अजय पटवा और ओमप्रकाश भदोरिया
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