उज्जैन| देश के ख्याति प्राप्त मिलों में से एक उज्जैन की विनोद मिल के मजदूर लंबे समय से अपने करोड़ों रुपयों के लिए कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं. इसी के चलते लंबे समय बाद सुप्रीम कोर्ट ने मजदूरों को राहत देते हुए बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार को मिल के मजदूरों का पैसा देने का आदेश दिया है.
उज्जैन की विनोद मिल अपने समय में ना सिर्फ प्रदेश की बल्कि देश की अग्रणी कपड़ा मिल थी, लेकिन मैनेजमेंट और बदलते समय को देखते हुए साल 1996 में विनोद मिल को बंद करने का फैसला लिया गया. साल 1991 से लेकर 1996 तक मिल में करीब 4 हजार से अधिक मजदूर काम करते रहे. लेकिन ना उन मजदूरों का पेमेंट मिला और न ही पीएफ. जिसके बाद मिल मजदूर संघ ने इंदौर हाईकोर्ट में अपील की. जिसके बाद करीब 10 करोड़ रुपए में मिल की मशीनों को बेचकर भुगतान किया गया. इसके बावजूद 4 हजार से अधिक मजदूरों का भुगतान बकाया था. लंबी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि विनोद मिल के 4 हजार से अधिक मजदूरों का 58 करोड़ रुपए मध्य प्रदेश सरकार 2 साल के अंदर भुगतान करे.
बता दें कि इतने सालों में कई मजदूरों की मौत हो गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि मृतक मजदूरों के परिवार को भुगतान किया जाए. हालांकि अब सवाल ये उठता है कि प्रदेश सरकार का खजाना पहले से ही खाली है, ऐसे में मजदूरों का 58 करोड़ रुपए का भुगतान कैसे होगा.