उज्जैन । बाबा महाकाल की सवारी का रास्ता बदलने से अखिल भारतीय हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी गई. हिंदू महासभा के लोगों ने झांज-मंजीरे बजाकर प्रदर्शन किया और उसके बाद अपर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. कोरोना संक्रमण के चलते सावन-भादौ महीने में निकलने वाली बाबा महाकाल की सवारी का रास्ता परिवर्तन किया गया है. हिंदू महासभा ने कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपकर सवारी का रास्ता पहले की तरह करने की मांग की है. हिंदू महासभा कार्यकर्ताओं ने जिला कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपकर कहा कि यदि जल्द रास्ते को पहले के जैसे नहीं किया गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.
बाबा महाकाल की सवारी
उज्जैन के महाकालेश्वर भगवान की हर साल सवारी निकाली जाती है. बाबा महाकाल को मुख्य गेट पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है, जिसके बाद महाकाल पालकी में सवार होकर शहर का भ्रमण करते हैं. पूरे शहर में घूमकर महाकाल अपनी प्रजा का हाल जानते हैं, साथ ही क्षिप्रा नदी के घाट पर पालकी पहुंचती है, जहां क्षिप्रा के जल से महाकाल का पूजन किया जाता है. वैसे तो महाकाल के दरबार में साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन सावन के महीने में काफी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और भगवान का आशीर्वाद लेते हैं.
अखिल भारतीय हिंदू महासभा
यह भारत का एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन और राजनीतिक दल है. 1915 में मदनमोहन मालवीय के नेतृत्व में प्रयाग में इसकी स्थापना की गई, जिसके पहले अध्यक्ष राजा मणींद्र चंद्र नाथ बने. हिंदू महासभा ने 1917 में हरिद्वार में महाराजा नंदी कासिम की अध्यक्षता में अधिवेशन करके कांग्रेस-मुस्लिम लीग समझौता और चेम्सफोर्ड योजना का विरोध किया.
जब 1926 में पहली बार चुनाव हो रहे थे, तब अंग्रेजों ने मुस्लिमों के लिए स्थान सुरक्षित कर दिए थे, तब हिंदू महासभा ने अलग चुनाव सिद्धांत और मुस्लिमों के लिए रिजर्व सीटों का विरोध किया था. राष्ट्रीय स्वयं सेवा संगठन को बनवाने में इसका बहुत योगदान था. भारत की स्वतंत्रता के बाद जब गांधी जी की मृत्यु हुई तब इसके बहुत से कार्यकर्ता भारतीय जनसंघ में भर्ती हो गए थे.