उज्जैन। शनिचरी अमावस्या के दिन हजारों श्रद्धालु क्षिप्रा नदी के त्रिवेणी घाट पर पहुंचे. यहां श्रद्धालुओं ने स्नान कर शनि मंदिर के दर्शन किए. खास बात ये है कि इस मौके पर बड़ी संख्या में पंचकोशी यात्री दान-पुण्य करते हैं. नहाने आये श्रद्धालु अपने जूते-चप्पल भी दान के रूप में यहीं छोड़ जाते हैं. दान में छोड़े गये जूते-चप्पलों को प्रशासन नीलाम करता है.
शनिश्चरी अमावस्या पर देश के कोने-कोने से श्रद्धालु इस प्राचीन शनि मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं. बता दें कि उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने मंदिर की स्थापना की थी. ये देश का पहला ऐसा शनि मंदिर है, जहां शिव के रूप में शनि की पूजा की जाती है और लोग शनि की कृपा पाने के लिए तेल चढ़ाते हैं.
मान्यता है कि शनिचरी अमावस्या के दिन अपने जूते-चप्पल मंदिर के बाहर दान करने से शनि की बुरी दशा से मुक्ति मिलती है. इस कारण हजारों की तादाद में जूते-चप्पल इकट्ठे हो जाते हैं, जिनकी प्रशासन नीलामी करता है.