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Baikuntha Chaturdashi 2022: आज होगा हरिहर का मिलन, देर रात द्वारकाधीश के द्वार पहुंचकर बाबा महाकाल सौंपेंगे सृष्टि का भार - उज्जैन गोपाल मंदिर में हरि हरि के मिलन

वैकुंठ चतुर्दशी पर गोपाल मंदिर में हरि-हर मिलन होगा. वैकुंठ चतुर्दशी पर गोपाल मंदिर में हरि-हरि के मिलन की पुरानी परंपरा है. धार्मिक ग्रंथों की मान्यता के अनुसार चातुर्मास के शुरूआत के पहले श्री हरि विष्णु सृष्टि के संचालन का भार भगवान महाकाल के हाथों में सौंपकर राजा बलि का आत्थिय स्वीकारने पाताल लोक जाते हैं. इस सवारी के दौरान आतिशबाजी पर बैन लगाया गया है.(Baikuntha Chaturdashi 2022) (Hari Har Milan Ujjain).

Hari Har Milan Ujjain
हरिहर मिलन उज्जैन
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Published : Nov 6, 2022, 3:15 PM IST

उज्जैन। कार्तिक शुक्ल की चतुर्दशी यानी की वैकुंठ चतुर्दशी (Baikuntha Chaturdashi 2022) पर रविवार के दिन वर्षों से चली आ रही परंपरा अनुसार मंदिर से रात 11 बजे बाबा महाकाल पालकी में सवार होकर लाव लश्कर के साथ भगवान विष्णु 'हरि' से मिलने गोपाल मंदिर (Gopal Mandir Ujjain) पहुंचेंगे. यहां, तोप, घुड़ सवार, ढोल, नगाड़े, बैंड द्वारा बाबा महाकाल की अगुवाई की जाएगी. वहीं मंदिर के मुख्य द्वार पर बाबा को पुलिस बल द्वारा सलामी भी दी जाएगी. सवारी से पहले मंदिर के पुजारी परिवार बाबा की आरती करेंगे, इसके बाद मंदिर से पालकी को रवाना किया जाएगा. इस दौरान बाबा महाकाल (Baba Mahakal) पटनी बाजार होते हुए द्वारकाधीश के धाम पहुंचेंगे. यहां पूजन अभिषेक के बाद मंदिर लौटेंगे. (Baikuntha Chaturdashi 2022)

ऐसे निकलती है सवारी: सदियों से चली आ रही परंपरा वैकुंठ चतुर्दशी (Baikuntha Chaturdashi) पर ठीक रात 11 बजे ठाठबाट के साथ भगवान महाकाल की सवारी गोपाल मंदिर के लिए रवाना होती है. गोपालजी से मिलने के लिए चांदी की पालकी में सवार होकर भगवान विष्णु जाते हैं. यहां दोनों देवताओं का मिलन होता है. कड़े सुरक्षा पहरे में भगवान की पालकी गोपाल मंदिर की ओर रवाना होती है. यहां पर गोपाल जी की तरफ से महाकाल को तुलसी की माला पहनाई जाएगी.

हरि से हर के मिलन की मान्यता: धार्मिक ग्रंथ के अनुसार देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां विश्राम करने जाते हैं. उस समय पृथ्वी लोक की सत्ता भगवान शिव के पास होती है, और वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव यह सत्ता विष्णु जी को सौंपकर कैलाश पर्वत पर तपस्या के लिए लौट जाते हैं. इसी दिन को वैकुंठ चतुर्दशी हरिहर मिलन भी कहा जाता है.

कार्तिक माह वैष्णों का महीना: कार्तिक माह वैष्णों का महीना माना जाता है. इसमें वैष्णव देवताओं की पूजा होती है. हमारी संस्कृति में जो पृथ्वी के पालन के लिए जो होता है वह भगवान शिव के पास होता है, और देवउठनी ग्यारस के बाद भगवान विष्णु को वह सौंप देते हैं. जिसके बाद पृथ्वी का लालन-पालन भगवान विष्णु करते हैं.

क्यों होता है हरि-हर का मिलन: वैकुंठ चतुर्दशी पर गोपाल मंदिर में हरि हर के मिलन की पुरानी परंपरा है. धार्मिक ग्रंथों की मान्यता के अनुसार चातुर्मास के शुरूआत के पहले श्री हरि विष्णु सृष्टि के संचालन का भार भगवान महाकाल के हाथों में सौंपकर राजा बलि का आत्थिय स्वीकारने पाताल लोक जाते हैं. इसके बाद चातुर्मास के चार में भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं. देव उठनी एकादशी पर देवशक्ति जागृत होने के बाद वैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान गोपाल मंदिर जाकर सृष्टि का भार दोबार गोपालजी को सौंप देते हैं. करीब 2 घण्टे तक विधि विधान से पूजन होता है. इस दौरान भगवान महाकाल की तरफ से गोपाल जी को बेल पत्र की माला अर्पित की जाएगी, और गोपाल जी की ओर से महाकाल को तुलसी की माला पहनाई जाएगी. जिसे हरि से हर के मिलन के रूप में देखा जाता है. इसमें लाखों की तादाद में श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं.

कार्तिक शुक्ल की चतुर्दशी की मध्य रात्रि हुआ 'हरि-हर' का मिलन!

आतिशबाजी पर लगा बैन: उज्जैन एडीएम संतोष टैगोर ने इस दौरान कई सारे आदेश जारी किए हैं. जिसमें से एक आदेश ये है कि, महाकाल की रात्रि में निकलने वाली सवारी के दौरान आतिशबाजी और हिंगोट पर प्रतिबंध लगाया गया है. हरिहर मिलन के अवसर पर आमजन के जानमाल की सुरक्षा की दृष्टि से समस्त प्रकार की आतिशबाजी और हिंगोट चलाने पर दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 (1) के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर दिए हैं.

उज्जैन। कार्तिक शुक्ल की चतुर्दशी यानी की वैकुंठ चतुर्दशी (Baikuntha Chaturdashi 2022) पर रविवार के दिन वर्षों से चली आ रही परंपरा अनुसार मंदिर से रात 11 बजे बाबा महाकाल पालकी में सवार होकर लाव लश्कर के साथ भगवान विष्णु 'हरि' से मिलने गोपाल मंदिर (Gopal Mandir Ujjain) पहुंचेंगे. यहां, तोप, घुड़ सवार, ढोल, नगाड़े, बैंड द्वारा बाबा महाकाल की अगुवाई की जाएगी. वहीं मंदिर के मुख्य द्वार पर बाबा को पुलिस बल द्वारा सलामी भी दी जाएगी. सवारी से पहले मंदिर के पुजारी परिवार बाबा की आरती करेंगे, इसके बाद मंदिर से पालकी को रवाना किया जाएगा. इस दौरान बाबा महाकाल (Baba Mahakal) पटनी बाजार होते हुए द्वारकाधीश के धाम पहुंचेंगे. यहां पूजन अभिषेक के बाद मंदिर लौटेंगे. (Baikuntha Chaturdashi 2022)

ऐसे निकलती है सवारी: सदियों से चली आ रही परंपरा वैकुंठ चतुर्दशी (Baikuntha Chaturdashi) पर ठीक रात 11 बजे ठाठबाट के साथ भगवान महाकाल की सवारी गोपाल मंदिर के लिए रवाना होती है. गोपालजी से मिलने के लिए चांदी की पालकी में सवार होकर भगवान विष्णु जाते हैं. यहां दोनों देवताओं का मिलन होता है. कड़े सुरक्षा पहरे में भगवान की पालकी गोपाल मंदिर की ओर रवाना होती है. यहां पर गोपाल जी की तरफ से महाकाल को तुलसी की माला पहनाई जाएगी.

हरि से हर के मिलन की मान्यता: धार्मिक ग्रंथ के अनुसार देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां विश्राम करने जाते हैं. उस समय पृथ्वी लोक की सत्ता भगवान शिव के पास होती है, और वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव यह सत्ता विष्णु जी को सौंपकर कैलाश पर्वत पर तपस्या के लिए लौट जाते हैं. इसी दिन को वैकुंठ चतुर्दशी हरिहर मिलन भी कहा जाता है.

कार्तिक माह वैष्णों का महीना: कार्तिक माह वैष्णों का महीना माना जाता है. इसमें वैष्णव देवताओं की पूजा होती है. हमारी संस्कृति में जो पृथ्वी के पालन के लिए जो होता है वह भगवान शिव के पास होता है, और देवउठनी ग्यारस के बाद भगवान विष्णु को वह सौंप देते हैं. जिसके बाद पृथ्वी का लालन-पालन भगवान विष्णु करते हैं.

क्यों होता है हरि-हर का मिलन: वैकुंठ चतुर्दशी पर गोपाल मंदिर में हरि हर के मिलन की पुरानी परंपरा है. धार्मिक ग्रंथों की मान्यता के अनुसार चातुर्मास के शुरूआत के पहले श्री हरि विष्णु सृष्टि के संचालन का भार भगवान महाकाल के हाथों में सौंपकर राजा बलि का आत्थिय स्वीकारने पाताल लोक जाते हैं. इसके बाद चातुर्मास के चार में भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं. देव उठनी एकादशी पर देवशक्ति जागृत होने के बाद वैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान गोपाल मंदिर जाकर सृष्टि का भार दोबार गोपालजी को सौंप देते हैं. करीब 2 घण्टे तक विधि विधान से पूजन होता है. इस दौरान भगवान महाकाल की तरफ से गोपाल जी को बेल पत्र की माला अर्पित की जाएगी, और गोपाल जी की ओर से महाकाल को तुलसी की माला पहनाई जाएगी. जिसे हरि से हर के मिलन के रूप में देखा जाता है. इसमें लाखों की तादाद में श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं.

कार्तिक शुक्ल की चतुर्दशी की मध्य रात्रि हुआ 'हरि-हर' का मिलन!

आतिशबाजी पर लगा बैन: उज्जैन एडीएम संतोष टैगोर ने इस दौरान कई सारे आदेश जारी किए हैं. जिसमें से एक आदेश ये है कि, महाकाल की रात्रि में निकलने वाली सवारी के दौरान आतिशबाजी और हिंगोट पर प्रतिबंध लगाया गया है. हरिहर मिलन के अवसर पर आमजन के जानमाल की सुरक्षा की दृष्टि से समस्त प्रकार की आतिशबाजी और हिंगोट चलाने पर दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 (1) के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर दिए हैं.

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