टीकमगढ़। लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों से वापस अपने घर को लौट रहे प्रवासी मजदूरों के लिए सिर्फ मनरेगा ही एक मात्र सहारा है, लेकिन उसमें भी मजदूरोें को सहारा नहीं मिल रहा है. खाली हाथ गांव लौटे प्रवासी श्रमिकों की परेशानियां कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं. वहीं प्रवासी मजदूरों को गांव में मजदूरी देने का सरकार का दावा जुमला साबित हो रहा है.
मामला पलेरा जनपद की ग्राम पंचायत बैडरी से सामने आया है. जहां ग्रामीणों का आरोप है कि मजदूरी मांगने पर भी सरपंच-सचिव ग्रामीणों को काम न देते हुए भगा रहे हैं. जिससें मजदूरों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया. साथ ही अफसरों पर मिलीभगत के आरोप लगाते हुए जनपद कार्यालय पहुंचकर जमकर नारेबाजी की और CEO से शिकायत की.
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जनपद CEO से शिकायत करने पैदल गए ग्रामीण
पलेरा जनपद की बैडरी पंचायत में प्रवासी मजदूर सरपंच के मनमाने रवैया से नाराज होकर गांव से पैदल ही पलेरा जनपद कार्यालय पहुंचे. जहां ग्रामीणों ने सरपंच-सचिव पर मनमानी के आरोप लगाए. ग्रामीणों का आरोप है कि जो निर्माण का काम हो रहा है उसमें मजदूरों को रोजगार न देते हुए सभी काम मशीनों से कराया जा रहा है. इसके अलावा ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि वे जब सरपंच-सचिव के पास काम मांगने गए तो उन्होंने ग्रामीणों ने भगा दिया. इसी वजह से सभी ग्रामीणों ने मिलकर सरपंच-सचिव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और सड़क पर नारेबाजी करते हुए जनपद CEO से शिकायत करने पहुंचे.
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मजदूरों का फर्जी नाम लिखकर कर रहे घोटाला
ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें डरा-धमकाकर भगा दिया जाता है. इसके अलावा सभी काम मशीनों से रातों-रात करा लिए जाते हैं. साथ ही रजिस्टर में मजदूरों का फर्जी नाम लिखकर उन्हें मिलने वाले पैसों का आहरण किया जा रहा है.
काम दिया जाएगा
वहीं इस मामले पर पलेरा जनपद CEO केएस मीणा ने कहा कि सभी ग्रामीणों को काम दिया जाएगा. इसके अलावा पूरे मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी.
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बता दें, लाॅकडाउन के चलते गरीब, मजदूर और मध्यम वर्गीय परिवारों की आर्थिक स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है. वहीं सरकार मनरेगा के कामों के जरिए प्रवासी मजदूरों को जोड़ने की कवायद कर रही है, लेकिन जिम्मेदार योजना में सेंध लगाने में जुटे हैं.