छिंदवाड़ा (महेंद्र राय) : बाजार में गेहूं के दाम समर्थन मूल्य से काफी ज्यादा हैं. इस समय 3000 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा दाम में किसानों के गेहूं खुले बाजार में बिक रहे हैं, लेकिन सरकारी समर्थन मूल्य 2425 रुपए है. ऐसे में सरकार के लिए गेहूं की खरीदी काफी कठिन रहेगी. जिसका सीधा असर सरकार द्वारा गरीबों को दिए जाने वाले फ्री अनाज पर पड़ेगा.
बाजार में समर्थन मूल्य से ज्यादा गेहूं का भाव
अगर बात की जाए केंद्र सरकार द्वारा घोषित गेहूं के समर्थन मूल्य की, तो वो 2425 रुपए प्रति क्विंटल है, जो बाजार के भाव से काफी कम है. आम आदमी से लेकर अधिकारी तक असमंजस में हैं कि इस बार गेहूं की सरकारी खरीदी कैसे होगी. क्योंकि गेहूं का बाजार मूल्य समर्थन मूल्य से काफी अधिक है. फिलहाल, किसानों को पंजीयन कराने में भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
पिछले साल प्रदेश सरकार ने दिया था बोनस
पिछले साल 2023-24 में गेहूं का समर्थन मूल्य 2275 रुपए प्रति क्विंटल था. इसकी तुलना में बाजार मूल्य ज्यादा था. इसको ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने 125 रुपए प्रति क्विंटल बोनस की घोषणा की थी. तब सरकारी खरीदी केन्द्रों पर किसानों को 2400 रुपए प्रति क्विंटल का भाव मिला था. इस पर 36 हजार से ज्यादा किसानों ने पंजीयन कराया था. इससे पहले वर्ष 2023 में 5708 किसानों ने 4,97,220 क्विंटल गेहूं बेचा था.
गेहूं की महंगाई के मुकाबले कमाई आधी
गेहूं-चावल और सब्जियों के आसमान छूते दाम आम आदमी की कमाई आधी कर रहे हैं. सरकार की तमाम योजनाएं भी महंगाई से राहत नहीं दे रही हैं. बता दें कि छिंदवाड़ा कलेक्ट्रेट से मिली जानकारी के मुताबिक जिले में पिछले 5 साल में 2 लाख लोगों के नाम प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना में जोड़ा गया है. इससे गरीबी की बढ़ती खाई को समझा जा सकता है. सामान्य आटा 40 रुपए, चावल 60 रुपए किलो तथा तुअर दाल के भाव 140- 200 रुपए किलो और सोयाबीन तेल 125 रुपए के आसपास है.
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करीब 3 लाख हेक्टेयर में होती है गेहूं की खेती
छिंदवाड़ा कृषि उपसंचालक जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि "जिले में करीब 3 लाख हेक्टेयर जमीन में गेहूं की खेती होती है. छिंदवाड़ा जिले में बने माचागोरा बांध के कारण गेहूं की खेती का रकबा लगातार बढ़ रहा है. वहीं किसान गेहूं के साथ-साथ रबी सीजन में मक्के की खेती भी करने लगे हैं. क्योंकि बाजार में लगातार गेहूं के भाव अच्छे मिल रहे हैं. इससे अब किसानों का रुझान भी गेहूं की तरफ ज्यादा हो रहा है."