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अतिक्रमण की जद में स्टेडियम की जमीन, करोड़ों खर्च करने के बाद भी नहीं बन पाया मैदान

टीकमगढ़ में युवा खेल कल्याण ने 2012 में स्टेडियम निर्माण की अनुमति दी गई थी. लेकिन 6 साल बाद भी स्टेडियम बनकर तैयार नहीं हो पाया है.

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Published : Dec 12, 2019, 11:11 PM IST

Encroachment net on stadium ground
स्टेडियम की जमीन पर अतिक्रमण का जाल

टीकमगढ़। खेल मंत्री जीतू पटवारी जहां एक ओर होनहार खिलाड़ियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए नई खेल नीति लागू करने जा रहे. वहीं जिले में स्टेडियम का निर्माण भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है. जिले के खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए युवा खेल कल्याण द्वारा जिले के बल्देवगढ़ में स्टेडियम निर्माण की अनुमति दी गई थी. स्टेडियम का निर्माण कार्य शुरु तो हुआ.

स्टेडियम की जमीन पर अतिक्रमण का जाल

6 साल का वक्त, करोड़ों खर्च

2012 में जिले में स्टेडियम का निर्माण की स्वीकृत दी गई थी. लेकिन 6 साल बीत जाने के बाद और करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी स्टेडियम बनकर पूरी तरह से तैयान नहीं हुआ है. वहीं अब स्टेडियम की जमीन पर अतिक्रमण का जाल फैलता जा रहा है. स्टेडियम के आस-पास आवासी मकान बन गए हैं. खिलाड़ियों ने इस बात की शिकायत स्थानीय अधिकारियों से लेकर कलेक्टर और मुख्यमंत्री तक कर चुके हैं. लेकिन अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

स्टेडियम के निर्माण के लिए 2012 में खेल युवा कल्याण विभाग ने 50 लाख की लागत स्वीकृत किया था. विभाग ने स्टेडियम के निर्माण के लिए नगर परिसद को निर्माण एजेंसी बनाया गया था. लेकिन अभी तक स्टेडियम का निर्माण पूरा नहीं हो पाया है. वहीं इस मामले में जब अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने राशि की कमी की बात कहकर मामले को टाल दिया.

टीकमगढ़। खेल मंत्री जीतू पटवारी जहां एक ओर होनहार खिलाड़ियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए नई खेल नीति लागू करने जा रहे. वहीं जिले में स्टेडियम का निर्माण भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है. जिले के खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए युवा खेल कल्याण द्वारा जिले के बल्देवगढ़ में स्टेडियम निर्माण की अनुमति दी गई थी. स्टेडियम का निर्माण कार्य शुरु तो हुआ.

स्टेडियम की जमीन पर अतिक्रमण का जाल

6 साल का वक्त, करोड़ों खर्च

2012 में जिले में स्टेडियम का निर्माण की स्वीकृत दी गई थी. लेकिन 6 साल बीत जाने के बाद और करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी स्टेडियम बनकर पूरी तरह से तैयान नहीं हुआ है. वहीं अब स्टेडियम की जमीन पर अतिक्रमण का जाल फैलता जा रहा है. स्टेडियम के आस-पास आवासी मकान बन गए हैं. खिलाड़ियों ने इस बात की शिकायत स्थानीय अधिकारियों से लेकर कलेक्टर और मुख्यमंत्री तक कर चुके हैं. लेकिन अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

स्टेडियम के निर्माण के लिए 2012 में खेल युवा कल्याण विभाग ने 50 लाख की लागत स्वीकृत किया था. विभाग ने स्टेडियम के निर्माण के लिए नगर परिसद को निर्माण एजेंसी बनाया गया था. लेकिन अभी तक स्टेडियम का निर्माण पूरा नहीं हो पाया है. वहीं इस मामले में जब अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने राशि की कमी की बात कहकर मामले को टाल दिया.

Intro:भ्रष्टाचार/खरगापुर /12-12-2019/प्रदीप चाौरसिया/12-12-2019
स्टेडियम की नींव पर खड़े हो रहे आवास, निर्माण अधूरा कब होगा पूरा, भ्रष्टचार की नींव पर 7साल बाद भी खड़ा नही हो सका स्टेडियम, खेल प्रेतिभागियो े के लिए खेल मंत्री लागू कराने जा रहे खेल नीति पर खड़े हो रहे सवाल
एंकरः-
खेलेगा इंडिया ,बढ़ेगा इंडिया लेकिन खेलेगा कैसे जब स्टेडियम ही नही होगा। बल्देवगढ़ लाखों रूपयों का स्टेडियम तो बना सिर्फ नाम के लिए।धरातल पर भले ही अधूरा हो लेकिन कागजों में यह चमक रहा है। इसे भ्रष्टाचार का स्टेडियम तो कहेंगे। नगर के एक मात्र स्टेडियम वर्ष 2012 में स्वीकृत किया गया था। लाखों रूपए खर्च हुए, फिर भी स्टेडियम नहीं बन सका। हैरत यह है कि खेल स्टैडियम के लिए आवंटित भूखण्ड पर दबंग-रसूखदारों के अबैध कब्जें के साथ पीएम आवास खड़े होने लगे।Body: हद तो यह कि कलेक्टर द्वारा स्टेडियम के लिए ऐलाॅट जमीन अब एसडीएम, तहसीलदार कार्यालय के सामने ही सरकारी जमीन को अतिक्रमण निगल रही। अबैध कब्जे के कारण 7बर्ष बाद बाद स्टैडियम मूर्त रूप नही ले सका। स्टेडियम की दीवारों से लेकर भवन, पवेलियन तक सब अधर में है। खेल मंत्री जीतू पटवारी जहां प्रतिभाएं अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक उभारने नई खेल नीति लागू करने जा रहे वही प्रतिभाओं का उभरने का मौका नही मिल रहा। निर्माण के साथ ही भ्रष्टाचार का खेल शुरू हो गया। स्थानीय अधिकारियों से लेकर कलेक्टर एवं मुख्यमंत्री तक शिकायतें की गई। जिसमें कई बार पूरे मामले की जांच करने के निर्देश भी दिए। लेकिन दफतरों में यह फाइलों के बोझ में दबकर रह गई।Conclusion:वीईओं-
1-
नगर में एकमात्र स्टैडियम है जो बर्स 2012 में खेल युवा कल्याण विभाग द्वारा 50लाख की लागत से स्वीकृत किया गया था। विभाग ने स्टैडियम के निर्माण के लिए नगर परिसद को निर्माण ऐजेंसी बनाया गया। इस स्टैडियम का निर्माण 4एकड़ की भूमि कलेक्टर द्वारा जमीन ऐलाॅट की गई थी। जिसमें प्रथम किस्त के तौर पर 10लाख की राषि स्वीकृत हुई वही दूसरी किस्त 20लाख रूपयें स्वीकृति हुए जिसका काम अटका पड़ा हुआ है।काम तो शुरू हुआ, लेकिन पूरा आज तक नही हो सका। बीच में ही नप के अधिकारियों और ठेकेदारों के गठजोड़ ने गड़बड़ियों का खेल शुरू कर दिया। स्वीकृति के बाद से ही अतिक्रमण की जद में आना शुरू हुआ जो आज आधे हिस्से पीएम आवास खड़े होने लगे।
2-
हद तो यह कि पांच साल पहले अतिक्रमण हटाने के लिए सरकारी अमले ने तैयारी की थी। बेजा कब्जा चिन्हित कर कब्जे धारियेां को नोटिस जारी किए गए थें। इसके बाद से कई बार नोटिस थमाये जाने की प्रक्रिया देखी जा रही है, लेकिन प्रषासन कब्जे धारियों की एक ईट भी हटाने का सामर्थ नही जुटा पाया। इसे कब्जेधारियों का रौब कहे, अफसरों की लापरवाही या प्रषासन की मौन स्वीकृति खेल प्रतिभाओं पर यह भारी पड़ रही है। समय बीतने के साथ सरकारी भूमि पर अतिक्रमण साल दर साल बढ़ता गया।
3-
कलेक्टर के फरमान भी हुए कुर्वान-
स्टैडियम निर्माण स्वीकृति के एक साल बाद स्थानीय प्रषासन ने भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने की योजना बनाई थी। अतिक्रमण चिन्हित कर कब्जे धारियों को नोटिस थमाकर शासकीय भूमि खाली करने की हिदायत दी। इसके बाद न अधिकारियों ने सुध ली और न अतिक्रमण हटाने कोई सख्ती दिखाई।जब बर्स 2017 में खिलाड़ियों ने स्टैडियम भूमि खाली कराने प्रदर्षन किया। खिलाड़ियेां के विरोध से कलेक्टर ने आनन फानन में स्थानीय अधिकारियों को पत्र जारी कर बेजा कब्जा सख्ती से हटाने निर्देषित किया। लेकिन कलेक्टर का फरमान भी जमीनी अफसरों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया।
4-
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालें खिलाड़ियों कों नगर अध्यक्ष ने जहां विपक्षी ठहराकर कांगे्रसी बताया गया था। जहां अध्यक्ष ने धरने पर बैठे खिलाड़ियों के आरोपों को निराधार बताकर विपक्षी का दर्जा दे दिया था। वही अधिकारियों के लिए लूट का मुफीद अड्डा बन गया। काम तो शुरू हुआ, लेकिन पूरा आज तक न हो सका। बीच में ही नप के अधिकारियों और ठेकेदारों के गठजोड़ ने गड़बड़ी शुरू कर दी।
बाइट- सीएमओं प्रदीप ताम्रकार
बाइट- बब्बू राजा, खिलाड़ी
बाइट- जीतू राजा, खिलाड़ी
बाइट- नंदू चैरसिया, समाजसेवी
बाइट- शाजिद खान
पीटीसी-
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