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धसान के हनुमान जी को खुले में रहना है पसंद, इस अनोखी प्रतिमा से जुड़ी हैं कई मान्यताएं

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Published : Jun 17, 2020, 5:26 PM IST

टीकमगढ़ के बड़ागांव धसान में एक मशहूर हनुमान जी की प्रतिमा है, यहां के लोग इस स्थान को पवित्र देव स्थल मानते हैं.

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हनुमान की अनोखी प्रतिमा

टीकमगढ़। जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर स्थित बड़ागांव धसान में एक हनुमान जी की मशहूर प्रतिमा है. जिसके बारे में स्थानीय लोगों की मान्यता है कि ये प्रतिमा हजारों साल पुरानी है. उनका मानना है कि हनुमान जी यहां खुद प्रतिमा के रूप में प्रकट हुए थे. इनकी स्थापना नहीं की गई है. इतना ही नहीं यहां के लोगों का ये भी मानना है कि हनुमान जी का एक पैर पाताल लोक से जुड़ा है.

हनुमान की अनोखी प्रतिमा

इस देव स्थल से संबंधित लोक कथाएं प्रचलित हैं. लोगों का कहना है कि हजारों साल पहले यहां पर एक चबूतरा था और यहां पर पीपल के पेड़ के बाजू में पाताल लोक से हनुमान जी प्रकट हुए थे और आज भी वे एक पैर पर ही खड़े हुए हैं. कई लोगों ने उनके पैर की सच्चाई जानने की कोशिश की और यहां खुदाई भी कराई गई, लेकिन इस रहस्य से पर्दा नहीं उठ सका.

स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने हनुमान जी की कई बड़ी प्रतिमाएं देखी हैं, लेकिन इस तरह खुले में मूर्ति नहीं देखी. उनका मानना है कि यहां विराजे पवन पुत्र को सिर्फ खुले में रहना ही पसंद है. कई बार मंदिर बनाने की कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली.

एक किस्सा बताते हुए लोगों ने बताया कि एक बार प्रतिमा पर छांव बनाने के लिए टीन शेड लगाए गए थे, कुछ ही समय बाद वे उड़ गए. आस-पास के लोग इसे एक पवित्र स्थल मानते हैं. उनका मानना है कि यहां श्रद्धालुओं के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. लिहाजा हर समय यहां भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है.

टीकमगढ़। जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर स्थित बड़ागांव धसान में एक हनुमान जी की मशहूर प्रतिमा है. जिसके बारे में स्थानीय लोगों की मान्यता है कि ये प्रतिमा हजारों साल पुरानी है. उनका मानना है कि हनुमान जी यहां खुद प्रतिमा के रूप में प्रकट हुए थे. इनकी स्थापना नहीं की गई है. इतना ही नहीं यहां के लोगों का ये भी मानना है कि हनुमान जी का एक पैर पाताल लोक से जुड़ा है.

हनुमान की अनोखी प्रतिमा

इस देव स्थल से संबंधित लोक कथाएं प्रचलित हैं. लोगों का कहना है कि हजारों साल पहले यहां पर एक चबूतरा था और यहां पर पीपल के पेड़ के बाजू में पाताल लोक से हनुमान जी प्रकट हुए थे और आज भी वे एक पैर पर ही खड़े हुए हैं. कई लोगों ने उनके पैर की सच्चाई जानने की कोशिश की और यहां खुदाई भी कराई गई, लेकिन इस रहस्य से पर्दा नहीं उठ सका.

स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने हनुमान जी की कई बड़ी प्रतिमाएं देखी हैं, लेकिन इस तरह खुले में मूर्ति नहीं देखी. उनका मानना है कि यहां विराजे पवन पुत्र को सिर्फ खुले में रहना ही पसंद है. कई बार मंदिर बनाने की कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली.

एक किस्सा बताते हुए लोगों ने बताया कि एक बार प्रतिमा पर छांव बनाने के लिए टीन शेड लगाए गए थे, कुछ ही समय बाद वे उड़ गए. आस-पास के लोग इसे एक पवित्र स्थल मानते हैं. उनका मानना है कि यहां श्रद्धालुओं के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. लिहाजा हर समय यहां भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है.

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