ETV Bharat / state

45 साल दरी बिछाई, 25 साल लाठी खाई, अब क्यों भूपेंद्र सिंह का दिल टूटने की खबर आई - Bhoopendra Singh Social Media Post

मोहन यादव सरकार में भाजपा के कई दिग्गज नेताओं को हाशिए पर रखा गया है. हालात ये हैं कि बुंदेलखंड के सबसे कद्दावर ब्राह्मण और क्षत्रिय नेता अब खुलकर नाराजगी जाहिर करने लगे हैं. पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह की नाराजगी जग जाहिर है. पिछले दिनों सागर में हुई रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में जिस तरह पूर्व मंत्रियों की नाराजगी सामने आई उसके बाद बीजेपी का शीत युद्ध सतह पर आ गया है.

Bhoopendra Singh Social Media Post
मध्यप्रदेश में भाजपा के दिग्गजों का टूट रहा सब्र (Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 30, 2024, 12:44 PM IST

Updated : Sep 30, 2024, 1:15 PM IST

सागर: इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के बाद भाजपा के अंदर धुरविरोधी कहे जाने वाले गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह की बढ़ती नजदीकियां बताती तस्वीरें भविष्य की राजनीति की ओर संकेत कर रही हैं. यहां तक तो ठीक था लेकिन इस विवाद के बाद एक समाचार पत्र में भूपेंद्र सिंह की नाराजगी को लेकर छपी खबर के बाद भूपेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया पर अपनी पीड़ा जाहिर की है. उन्होंने बताया कि भाजपा को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए उन्होंने और उनके परिवार ने 45 साल तक कितना संघर्ष किया और कितनी यातनाएं झेली हैं. वहीं उन्होंने समाचार पत्र की कुर्सी वाली खबर पर भी जवाब दिया.

सोशल मीडिया पर छलका पूर्व मंत्री का दर्द

दरअसल एक समाचार पत्र में ये खबर छापी गई कि भूपेंद्र सिंह ने इंडस्ट्री कॉनक्लेव में खुद मंच पर अपनी कुर्सी लगवाई थी और बैठक व्यवस्था पर नाराजगी जताई थी. अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में पूर्व मंत्री और खुरई से भाजपा विधायक भूपेंद्र सिंह ने लिखा, " आज एक समाचार पत्र में इस आशय की पंक्तियां पढ़ कर मन व्यथित हुआ, जिसमें लिखा गया है कि सागर इन्वेस्टर्स कॉन्क्लेव के मंच पर अपनी कुर्सी लगवाने के लिए मैंने प्रयास किए या बैठक व्यवस्था से मुझे एतराज था. "

BHUPENDRA SINGH SOCIAL MEDIA POST
सोशल मीडिया पर छलका पूर्व मंत्री का दर्द (Bhupendra Singh Facebook)

संघ-भाजपा मेरे खून में : भूपेंद्र सिंह

पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अपनी फेसबुक पोस्ट में आगे लिखा, " संघ और भाजपा मेरे खून में है और इनके अनुशासन का अनुसरण सदैव मैंने किया है, जिसके लिए विगत 45 वर्षों से मैं कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहा हूं. इन 45 वर्षों में से लगभग 25 वर्ष ऐसे संघर्षों से भरे थे, जिनमें कांग्रेस की सरकार थी. उस समय जन समस्याओं को लेकर आंदोलनों में पुलिस की लाठियां खाईं, अनेक बार जेलों की यातनाएं सहीं लेकिन संघर्ष का मार्ग नहीं छोड़ा और न ही विचारधारा से समझौता किया. "

Khurai MLA Bhoopendra Singh
इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में नाराज होकर कुछ इस तरह बाहर आए थे दोनों दिग्गज (Etv Bharat)

दरी बिछाई, यातनाएं भी झेलीं

भूपेंद्र सिंह ने अपनी इसी पोस्ट में आगे अपने संघर्ष की कहानी बताते हुए लिखा, कांग्रेस के सत्ता काल में अपनी पार्टी के लिए छात्र जीवन से ही दरी बिछाने, दीवाल लेखन करने, सड़कों पर जनसमस्याओं को लेकर आंदोलन करने पर बिना किसी अपराध के जेलें काटीं. तब अनेक दिन ऐसे थे जब जेलों में खाना नहीं मिला, कड़ाके की सर्दियों में दरी और कंबल भी नहीं मिले और जेल के ठंडे फर्श पर बैठे-बैठे ही रातें गुजारीं. तब युवावस्था थी जब कांग्रेस सरकार ने मुझे प्रताड़ित करने के लिए एक वर्ष तक लगातार जेल में रखा और इस दौरान 7 बार जेलें बदलीं पर मैं झुका नहीं. पुलिस ने पीटा, दर्जनों झूठे मुकदमे लगाए.''

Bhupendra singh Gopal Bhargav issue
भूपेंद्र सिंह और गोपाल भार्गव (Etv Bharat)

भूपेंद्र सिंह से जुड़ी दिलचस्प ये खबरें भी पढ़ें.

कुर्सी की चाह होती तो जेल में यातना क्यों सहते?

समाचार पत्र की कुर्सी वाली खबर पर पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने जवाब देते हुए कहा, '' मुझे स्मरण आता है कि मुख्यमंत्री श्री अर्जुन सिंह जी के सागर आगमन पर छात्र आंदोलन हुआ तब उसमें सक्रिय हिस्सा लेने के प्रतिशोध में हमारे परिवार की बहुत सारी बेशकीमती जमीनों के अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू कर दी गई थी. मेरे पूज्य पिता और मुझ पर दबाव डाला गया कि कांग्रेस पार्टी में आ जाएं तो कुर्सी मिलेगी और जमीन का अधिग्रहण भी नहीं होगा. लेकिन हमने कीमती जमीनों का सरकारी दरों पर अधिग्रहण हो जाने दिया लेकिन विचारधारा त्याग कर कांग्रेस में जाने और कुर्सियां लेने के प्रस्ताव को ठोकर मार दी. हजार करोड़ रुपए से अधिक कीमत की हमारी जमीन पर हाऊसिंग बोर्ड की कालोनियां बना दी गईं. पर आज मैं गर्व और गौरव से कह सकता हूं कि 45 वर्षों से राजनीति में होने और विपरीत समय में प्रताड़ना सहने के बाद भी मेरे भरे पूरे परिवार के एक भी सदस्य ने कुर्सी के मोह में भाजपा के अलावा किसी और पार्टी या विचारधारा को अपने जीवन में स्थान नहीं दिया. कुर्सियों का मोह हमने तब नहीं किया तो अब कुर्सियों के लिए मोह और समझौते क्या करेंगे! कुर्सियों की चाह मन में होती तो सारे संघर्ष और जेलों की यातनाएं क्यों सही होतीं ?

सागर: इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के बाद भाजपा के अंदर धुरविरोधी कहे जाने वाले गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह की बढ़ती नजदीकियां बताती तस्वीरें भविष्य की राजनीति की ओर संकेत कर रही हैं. यहां तक तो ठीक था लेकिन इस विवाद के बाद एक समाचार पत्र में भूपेंद्र सिंह की नाराजगी को लेकर छपी खबर के बाद भूपेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया पर अपनी पीड़ा जाहिर की है. उन्होंने बताया कि भाजपा को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए उन्होंने और उनके परिवार ने 45 साल तक कितना संघर्ष किया और कितनी यातनाएं झेली हैं. वहीं उन्होंने समाचार पत्र की कुर्सी वाली खबर पर भी जवाब दिया.

सोशल मीडिया पर छलका पूर्व मंत्री का दर्द

दरअसल एक समाचार पत्र में ये खबर छापी गई कि भूपेंद्र सिंह ने इंडस्ट्री कॉनक्लेव में खुद मंच पर अपनी कुर्सी लगवाई थी और बैठक व्यवस्था पर नाराजगी जताई थी. अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में पूर्व मंत्री और खुरई से भाजपा विधायक भूपेंद्र सिंह ने लिखा, " आज एक समाचार पत्र में इस आशय की पंक्तियां पढ़ कर मन व्यथित हुआ, जिसमें लिखा गया है कि सागर इन्वेस्टर्स कॉन्क्लेव के मंच पर अपनी कुर्सी लगवाने के लिए मैंने प्रयास किए या बैठक व्यवस्था से मुझे एतराज था. "

BHUPENDRA SINGH SOCIAL MEDIA POST
सोशल मीडिया पर छलका पूर्व मंत्री का दर्द (Bhupendra Singh Facebook)

संघ-भाजपा मेरे खून में : भूपेंद्र सिंह

पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अपनी फेसबुक पोस्ट में आगे लिखा, " संघ और भाजपा मेरे खून में है और इनके अनुशासन का अनुसरण सदैव मैंने किया है, जिसके लिए विगत 45 वर्षों से मैं कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहा हूं. इन 45 वर्षों में से लगभग 25 वर्ष ऐसे संघर्षों से भरे थे, जिनमें कांग्रेस की सरकार थी. उस समय जन समस्याओं को लेकर आंदोलनों में पुलिस की लाठियां खाईं, अनेक बार जेलों की यातनाएं सहीं लेकिन संघर्ष का मार्ग नहीं छोड़ा और न ही विचारधारा से समझौता किया. "

Khurai MLA Bhoopendra Singh
इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में नाराज होकर कुछ इस तरह बाहर आए थे दोनों दिग्गज (Etv Bharat)

दरी बिछाई, यातनाएं भी झेलीं

भूपेंद्र सिंह ने अपनी इसी पोस्ट में आगे अपने संघर्ष की कहानी बताते हुए लिखा, कांग्रेस के सत्ता काल में अपनी पार्टी के लिए छात्र जीवन से ही दरी बिछाने, दीवाल लेखन करने, सड़कों पर जनसमस्याओं को लेकर आंदोलन करने पर बिना किसी अपराध के जेलें काटीं. तब अनेक दिन ऐसे थे जब जेलों में खाना नहीं मिला, कड़ाके की सर्दियों में दरी और कंबल भी नहीं मिले और जेल के ठंडे फर्श पर बैठे-बैठे ही रातें गुजारीं. तब युवावस्था थी जब कांग्रेस सरकार ने मुझे प्रताड़ित करने के लिए एक वर्ष तक लगातार जेल में रखा और इस दौरान 7 बार जेलें बदलीं पर मैं झुका नहीं. पुलिस ने पीटा, दर्जनों झूठे मुकदमे लगाए.''

Bhupendra singh Gopal Bhargav issue
भूपेंद्र सिंह और गोपाल भार्गव (Etv Bharat)

भूपेंद्र सिंह से जुड़ी दिलचस्प ये खबरें भी पढ़ें.

कुर्सी की चाह होती तो जेल में यातना क्यों सहते?

समाचार पत्र की कुर्सी वाली खबर पर पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने जवाब देते हुए कहा, '' मुझे स्मरण आता है कि मुख्यमंत्री श्री अर्जुन सिंह जी के सागर आगमन पर छात्र आंदोलन हुआ तब उसमें सक्रिय हिस्सा लेने के प्रतिशोध में हमारे परिवार की बहुत सारी बेशकीमती जमीनों के अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू कर दी गई थी. मेरे पूज्य पिता और मुझ पर दबाव डाला गया कि कांग्रेस पार्टी में आ जाएं तो कुर्सी मिलेगी और जमीन का अधिग्रहण भी नहीं होगा. लेकिन हमने कीमती जमीनों का सरकारी दरों पर अधिग्रहण हो जाने दिया लेकिन विचारधारा त्याग कर कांग्रेस में जाने और कुर्सियां लेने के प्रस्ताव को ठोकर मार दी. हजार करोड़ रुपए से अधिक कीमत की हमारी जमीन पर हाऊसिंग बोर्ड की कालोनियां बना दी गईं. पर आज मैं गर्व और गौरव से कह सकता हूं कि 45 वर्षों से राजनीति में होने और विपरीत समय में प्रताड़ना सहने के बाद भी मेरे भरे पूरे परिवार के एक भी सदस्य ने कुर्सी के मोह में भाजपा के अलावा किसी और पार्टी या विचारधारा को अपने जीवन में स्थान नहीं दिया. कुर्सियों का मोह हमने तब नहीं किया तो अब कुर्सियों के लिए मोह और समझौते क्या करेंगे! कुर्सियों की चाह मन में होती तो सारे संघर्ष और जेलों की यातनाएं क्यों सही होतीं ?

Last Updated : Sep 30, 2024, 1:15 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.