ETV Bharat / state

यूपी एमपी सिग्नेचर ब्रिज से वर्ली सी लिंक का नजारा, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से चमकेगी चंबल नदी - Chambal River Signature Bridge

author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 2 hours ago

Updated : 2 hours ago

2 साल के इंतजार के बाद आखिरकार वन विभाग ने चंबल नदी पर बनने वाली नए प्रस्तावित केबल ब्रिज को NOC दे दी है और अब अक्टूबर में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाला चंबल नदी पर बनने जा रहा सिग्नेचर यानी केबल ब्रिज का निर्माण शुरू होगा और ये देखने में बिलकुल मुंबई के बांद्रा वर्ली सी लिंक ब्रिज की तरह दिखाई देगा.

Chambal River Signature Bridge
चंबल नदी पर बनेगा सिग्नेचर ब्रिज (ETV Bharat)

भिंड: चंबल नदी राजस्थान के साथ-साथ उत्तर प्रदेश को भी मध्य प्रदेश से जोड़ती है. यूपी के इटावा से एमपी में एंट्री करने के लिए भिंड में बना चंबल पुल अहम कड़ी है, लेकिन 48 साल पुराना यह पुल अब जर्जर हो चुका है. कई बार मरम्मत के बाद भी वाहनों के आवागमन के लिए यह पुल खतरनाक हो चुका है, जिसे देखते हुए 2 साल पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ग्वालियर से इटावा तक आवागमन को सुरक्षित बनाने के लिए भिंड के बरही स्थित चंबल नदी पर नए सिग्नेचर ब्रिज (केबल हैंगिंग ब्रिज) को स्वीकृति दी थी, लेकिन लंबे इंतजार के बाद आखिरकार इस नए पुल को वन विभाग की एनओसी मिल गई है.

5 साल में 21 बार क्षतिग्रस्त हुआ 48 साल पुराना पुल

वैसे तो चंबल नदी पर करीब 800 मीटर लंबा और 20 फीट चौड़ा पुल बना हुआ है, लेकिन क्षमता से अधिक भार के साथ निकलने वाले वाहनों की वजह से 48 साल पुराना पुल खस्ता हाल हो चुका है. पिछले 5 वर्षों में भिंड में बना चंबल पुल 21 बार क्षतिग्रस्त हो चुका है और हर बार इसे मरम्मत के लिए हफ्तों तक बंद रखना पड़ता है, लेकिन आखिरी बार जब पुल मई 2023 में क्षतिग्रस्त हुआ तो इसकी दोबारा मरम्मत शुरू करने में लगभग डेढ़ साल का समय लग गया. ऐसे में अब शासन का फोकस नए पुल के निर्माण पर है.

डेढ़ साल पुल बंद रहने से व्यापार का नुकसान

बरही स्थित इस चंबल पुल को भारी वाहनों के लिए बंद रहने का सबसे ज्यादा असर व्यापार पर पड़ता है, क्योंकि ये पुल ग्वालियर से भिंड के रास्ते उत्तर प्रदेश के इटावा और उसके आगे आगरा-दिल्ली तक की कनेक्टिविटी का जरिया है. ऐसे में इस रास्ते के लंबे समय तक बंद रहने से व्यापार पर काफी बुरा असर पड़ा. व्यापारियों को मजबूरन लंबे रास्ते से व्यापार करना पड़ा, लेकिन अब नए ब्रिज के जल्द तैयार होने से सभी को इसका लाभ मिलेगा.

2 साल करना पड़ा NOC का इंतजार

चंबल पर बनने जा रहा केबल ब्रिज लगभग दो साल पहले ही स्वीकृत हो गया था, लेकिन चंबल क्षेत्र के चंबल सेंचुरी और वन विभाग से एनओसी मिलने में काफी समय लगा. NHAI के द्वारा लगातार प्रयासों के बाद अब जाकर वन विभाग ने क्लीयरेंस दे दी है. इसके बाद इस पुल के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. NHAI इटावा डिवीजन के अधिकारी और इस प्रोजेक्ट से जुड़े एई गौरव सिंह के मुताबिक ''ये ब्रिज केबल ब्रिज होगा, जो मुंबई में स्थित बांद्रा-वर्ली सी लिंक की तर्ज पर बनेगा. हालांकि यह बिना किसी घुमाव के सीधा होगा.''

130 करोड़ की लागत से बनेगा शानदार केबल ब्रिज

इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में अनुमानित 130 करोड़ रुपए की लागत आएगी. हालांकि यह अनुमानित है और इसका खर्च 300 करोड़ तक जाने की संभावना है. यह एक फोरलेन ब्रिज होगा, जिसकी लंबाई लगभग 1400 मीटर होगी, जो पुराने पुल से 600 मीटर ज्यादा होगा. फोरलेन होने की वजह से इस ब्रिज की चौड़ाई भी लगभग 46 फीट होगी. पूरे सिग्नेचर ब्रिज पर लाइट्स भी लगी होंगी, जिससे इस पर गुजरने वाले वाहनों को रात में रोशनी की समस्या नहीं होगी. ये पुल स्पैन केबल से बनाया जाएगा.

ये भी पढ़ें:

1500 करोड़ से जबलपुर बनेगा फ्लाईओवर सिटी, 4 नए ब्रिज सीधे ले जाएंगे रीवा सतना नागपुर

जमीन के अंदर 17.7 किलोमीटर दौड़ेंगी ट्रेनें, मध्य प्रदेश में सबसे बड़ा ओवर ब्रिज बन रहा

अगले महीने शुरू होगा निर्माण कार्य

एई गौरव सिंह ने बताया कि ''इस नए सिग्नेचर ब्रिज का टेंडर एएससी इंफ्राटेक लिमिटेड को दिया गया है. सभी अनुमतियां और कागजी कार्रवाई कर ली गई है और अब अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में यह निर्माण कंपनी पुल बनाने का काम शुरू करेगी. वन विभाग की अनुमति मिलने के बाद निर्माण कंपनी ने इसे बनाने के काम की तैयारियां भी तेज कर दी हैं.''

भिंड को मिलेगा एक्सप्रेस-वे कनेक्टिविटी का लाभ

इस ब्रिज का सबसे बड़ा फायदा रोड कनेक्टिविटी का होगा, क्योंकि इस केबल ब्रिज के बनने के बाद जहां एमपी-यूपी के बीच भिंड और इटावा तो वापस जुड़ेंगे ही साथ ही यूपी से आने वाले वाहन चालकों को चंबल में प्रस्तावित अटल प्रोग्रेस-वे के लिए भी अटेर होते हुए रास्ता मिलेगा. अटल प्रोग्रेस-वे के जरिये सफर करने वाले यात्री सीधा बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे से जुड़ सकेंगे. ऐसे में कहा जा सकता है कि इस ब्रिज के जरिये भिंड एक्सप्रेस-वे कनेक्टिविटी का लाभ उठा पाएगा.

भिंड: चंबल नदी राजस्थान के साथ-साथ उत्तर प्रदेश को भी मध्य प्रदेश से जोड़ती है. यूपी के इटावा से एमपी में एंट्री करने के लिए भिंड में बना चंबल पुल अहम कड़ी है, लेकिन 48 साल पुराना यह पुल अब जर्जर हो चुका है. कई बार मरम्मत के बाद भी वाहनों के आवागमन के लिए यह पुल खतरनाक हो चुका है, जिसे देखते हुए 2 साल पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ग्वालियर से इटावा तक आवागमन को सुरक्षित बनाने के लिए भिंड के बरही स्थित चंबल नदी पर नए सिग्नेचर ब्रिज (केबल हैंगिंग ब्रिज) को स्वीकृति दी थी, लेकिन लंबे इंतजार के बाद आखिरकार इस नए पुल को वन विभाग की एनओसी मिल गई है.

5 साल में 21 बार क्षतिग्रस्त हुआ 48 साल पुराना पुल

वैसे तो चंबल नदी पर करीब 800 मीटर लंबा और 20 फीट चौड़ा पुल बना हुआ है, लेकिन क्षमता से अधिक भार के साथ निकलने वाले वाहनों की वजह से 48 साल पुराना पुल खस्ता हाल हो चुका है. पिछले 5 वर्षों में भिंड में बना चंबल पुल 21 बार क्षतिग्रस्त हो चुका है और हर बार इसे मरम्मत के लिए हफ्तों तक बंद रखना पड़ता है, लेकिन आखिरी बार जब पुल मई 2023 में क्षतिग्रस्त हुआ तो इसकी दोबारा मरम्मत शुरू करने में लगभग डेढ़ साल का समय लग गया. ऐसे में अब शासन का फोकस नए पुल के निर्माण पर है.

डेढ़ साल पुल बंद रहने से व्यापार का नुकसान

बरही स्थित इस चंबल पुल को भारी वाहनों के लिए बंद रहने का सबसे ज्यादा असर व्यापार पर पड़ता है, क्योंकि ये पुल ग्वालियर से भिंड के रास्ते उत्तर प्रदेश के इटावा और उसके आगे आगरा-दिल्ली तक की कनेक्टिविटी का जरिया है. ऐसे में इस रास्ते के लंबे समय तक बंद रहने से व्यापार पर काफी बुरा असर पड़ा. व्यापारियों को मजबूरन लंबे रास्ते से व्यापार करना पड़ा, लेकिन अब नए ब्रिज के जल्द तैयार होने से सभी को इसका लाभ मिलेगा.

2 साल करना पड़ा NOC का इंतजार

चंबल पर बनने जा रहा केबल ब्रिज लगभग दो साल पहले ही स्वीकृत हो गया था, लेकिन चंबल क्षेत्र के चंबल सेंचुरी और वन विभाग से एनओसी मिलने में काफी समय लगा. NHAI के द्वारा लगातार प्रयासों के बाद अब जाकर वन विभाग ने क्लीयरेंस दे दी है. इसके बाद इस पुल के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. NHAI इटावा डिवीजन के अधिकारी और इस प्रोजेक्ट से जुड़े एई गौरव सिंह के मुताबिक ''ये ब्रिज केबल ब्रिज होगा, जो मुंबई में स्थित बांद्रा-वर्ली सी लिंक की तर्ज पर बनेगा. हालांकि यह बिना किसी घुमाव के सीधा होगा.''

130 करोड़ की लागत से बनेगा शानदार केबल ब्रिज

इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में अनुमानित 130 करोड़ रुपए की लागत आएगी. हालांकि यह अनुमानित है और इसका खर्च 300 करोड़ तक जाने की संभावना है. यह एक फोरलेन ब्रिज होगा, जिसकी लंबाई लगभग 1400 मीटर होगी, जो पुराने पुल से 600 मीटर ज्यादा होगा. फोरलेन होने की वजह से इस ब्रिज की चौड़ाई भी लगभग 46 फीट होगी. पूरे सिग्नेचर ब्रिज पर लाइट्स भी लगी होंगी, जिससे इस पर गुजरने वाले वाहनों को रात में रोशनी की समस्या नहीं होगी. ये पुल स्पैन केबल से बनाया जाएगा.

ये भी पढ़ें:

1500 करोड़ से जबलपुर बनेगा फ्लाईओवर सिटी, 4 नए ब्रिज सीधे ले जाएंगे रीवा सतना नागपुर

जमीन के अंदर 17.7 किलोमीटर दौड़ेंगी ट्रेनें, मध्य प्रदेश में सबसे बड़ा ओवर ब्रिज बन रहा

अगले महीने शुरू होगा निर्माण कार्य

एई गौरव सिंह ने बताया कि ''इस नए सिग्नेचर ब्रिज का टेंडर एएससी इंफ्राटेक लिमिटेड को दिया गया है. सभी अनुमतियां और कागजी कार्रवाई कर ली गई है और अब अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में यह निर्माण कंपनी पुल बनाने का काम शुरू करेगी. वन विभाग की अनुमति मिलने के बाद निर्माण कंपनी ने इसे बनाने के काम की तैयारियां भी तेज कर दी हैं.''

भिंड को मिलेगा एक्सप्रेस-वे कनेक्टिविटी का लाभ

इस ब्रिज का सबसे बड़ा फायदा रोड कनेक्टिविटी का होगा, क्योंकि इस केबल ब्रिज के बनने के बाद जहां एमपी-यूपी के बीच भिंड और इटावा तो वापस जुड़ेंगे ही साथ ही यूपी से आने वाले वाहन चालकों को चंबल में प्रस्तावित अटल प्रोग्रेस-वे के लिए भी अटेर होते हुए रास्ता मिलेगा. अटल प्रोग्रेस-वे के जरिये सफर करने वाले यात्री सीधा बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे से जुड़ सकेंगे. ऐसे में कहा जा सकता है कि इस ब्रिज के जरिये भिंड एक्सप्रेस-वे कनेक्टिविटी का लाभ उठा पाएगा.

Last Updated : 2 hours ago
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.