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टीकमगढ़: छुआछूत की समस्या से जूझ रहा है केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटिक का गोद लिया गांव

टीकमगढ़ जिले के गोर गांव में आज भी छुआछूत का बोलबाला है. गोर गांव वही गांव है जो केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक ने सांसद आदर्श गांव योजना के तहत गोद लिया था.

टीकमगढ़: छुआछूत की समस्या से जूझ रहा है केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटिक का गोद लिया गांव
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Published : Mar 2, 2019, 11:55 PM IST

टीकमगढ़। केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक के गोद लिए सांसद आदर्श गांव गोर में आज भी छुआछूत का बोलबाला है. यहां आज भी गरीबों और नीचले तबके के लोगों को दबंगों की तानाशाही का शिकार होना पड़ता है. यहां अलग-अलग समाज के 4 शमशान घाट बने हुए हैं, यहां दबंग नीचले तबके के लोगों को दूसरे समाज के शमशान घाट में अंतिम संस्कार नहीं करने देते हैं.


आज के सूचना और संचार के दौर में बुंदेलखंड अंचल में तानाशाही और हिटल शाही बरकरार है. कहने को तो 4 हजार 5 सौ की आबादी वाले गोर गांव को केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक ने सांसद आदर्श गांव योजना के तहत गोद ले रखा है. लेकिन यहां फैली समाज की विसंगतियों को वे आज तक दूर नहीं कर पाए. ये एक मात्र गोर गांव का मामला नहीं है. बुंदेलखंड अंचल में आज भी ऐसे कई गांव है जहां छुआछूत जैसी कुरूतियां आज भी बखूभी मौजूद हैं.

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वीरेंद्र खटीक, केंद्रीय मंत्री

वहीं जब गांव के नीचले तबके के लोगों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि बड़ी समाज के लोग आज भी उन्हें घृणा की नजरों से देखते हैं. वे दूसरे शमशान घाट में अंतिम संस्कार नहीं करने देते, अगर ऐसा प्रयास किया जाता है तो मारपीट की नौबत आ जाती है.

वहीं जब आदिमजाति और प्रशासनिक अधिकारी से हमारे सहयोगी ने बात करनी चाही, तो कोई भी अधिकारी इस मामले में कैमरे के सामने आने के लिए तैयार नहीं हुआ.

टीकमगढ़। केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक के गोद लिए सांसद आदर्श गांव गोर में आज भी छुआछूत का बोलबाला है. यहां आज भी गरीबों और नीचले तबके के लोगों को दबंगों की तानाशाही का शिकार होना पड़ता है. यहां अलग-अलग समाज के 4 शमशान घाट बने हुए हैं, यहां दबंग नीचले तबके के लोगों को दूसरे समाज के शमशान घाट में अंतिम संस्कार नहीं करने देते हैं.


आज के सूचना और संचार के दौर में बुंदेलखंड अंचल में तानाशाही और हिटल शाही बरकरार है. कहने को तो 4 हजार 5 सौ की आबादी वाले गोर गांव को केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक ने सांसद आदर्श गांव योजना के तहत गोद ले रखा है. लेकिन यहां फैली समाज की विसंगतियों को वे आज तक दूर नहीं कर पाए. ये एक मात्र गोर गांव का मामला नहीं है. बुंदेलखंड अंचल में आज भी ऐसे कई गांव है जहां छुआछूत जैसी कुरूतियां आज भी बखूभी मौजूद हैं.

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वीरेंद्र खटीक, केंद्रीय मंत्री

वहीं जब गांव के नीचले तबके के लोगों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि बड़ी समाज के लोग आज भी उन्हें घृणा की नजरों से देखते हैं. वे दूसरे शमशान घाट में अंतिम संस्कार नहीं करने देते, अगर ऐसा प्रयास किया जाता है तो मारपीट की नौबत आ जाती है.

वहीं जब आदिमजाति और प्रशासनिक अधिकारी से हमारे सहयोगी ने बात करनी चाही, तो कोई भी अधिकारी इस मामले में कैमरे के सामने आने के लिए तैयार नहीं हुआ.

Intro:सांसद के आदर्श गांव में अन्तिमसँस्कार के दौरान छुआछूत का बोल बाला


Body:एंकर इंट्रो / टीकमगढ़ जिले में यहां के सांसद और केंद्रीय मंत्री के गोद लिए गांव में आज भी लोगो को अंतिम संस्कार के दौरान दबंगो की तानासाही का शिकार होना पड़ता है और यहां पर अंतिम संस्कार के लिए अलग अलग समाज के बने है 4 श्मशान घाट जो छुआछूत को देते है बढ़ावा

वाइट /1 कमलेश अहिरवार ग्रामीण गोर गांव

वाईट /2 भगवंत साहू ग्रामीन गोर गांव

वाइट /3 डॉक्टर वीरेंद्र खटीक सांसद और केंद्रीय मंत्री भारत सरकार

ptc / 1 सूर्यप्रकाश गोस्वामी रिपोर्टर टीकमगढ़

वाइस ओबर / आज भले ही हम सूचना और संचार की क्रांति में जी रहे है और भले ही आज का युग बैज्ञानिक युग हो लेकिन फिर भी आज टीकमगढ़ जिले में तानाशाही ओर हिटलर साही आज भी बरकरार है और यह हमें बुन्देलखण्ड के टीकमगढ़ जिले में आज बखूबी देखने को मिलेगी और इसको न तो कोई मंत्री तबिक कर पाया और न कोई सांसद जिससे आज इस जिले में अलग अलग समाज के लोगो के अलग अलग श्मशान घाट है जो छुआछूत को खुलेआम बढ़ावा देते है और कोई कुछ नही कर पाया चाहे शिवराज सिंह की सरकार रही हो या फिर अभी कमलनाथ की सरकार दरअसल यह मामला टीकमगढ जिले के गोर गांव का है इस गांव की आवादी 4500 के दरमियान है और इस गांव में सभी समाज के लोग निवास करते है और यह गांव यहां के सांसद और केंद्रीय मंत्री डॉक्टर वीरेंद्र खटिक ने गोद लिया था जो एक सांसद आदर्श गांव के रूप में जाना जाता है मगर इस गांव में तानाशाही ओर हिटलर शाही खुलेआम देखने को मिलती है इस गांव में 4 श्मशान घाट है जिसमे पहला पण्डित ओर ठाकुरों का ओर दूसरा यादव बुनकरों का ओर तीसरा कुशवाहा विश्कर्मा जाती और सोनी का ओर चौथा दलित अहिरवार ओर बन्स्कार जाती का ओर कोई भी समाज के लोग एक दुसरो के समसान घाटो पर मृत व्यक्तियों का अंतिम संस्कार नही कर सकते है


Conclusion:टीकमगढ़ इस गांव में सेकड़ो सालों से यह छुआछूत चली आरही है वही इस बारे में गांव में दलितों का कहना रहा कि यह बड़ी समाज के लोग हम लोगो से घृणा करते है और हम लोगो को दूसरे श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार नही करने देते है और कई बार हम लोगो ने प्रयास किया तो हम लोगो के साथ मारपीट की गई और शिकायत करने पर कोई सुनाई नही हुई इसलिए हम लोग अब किस्मत मानकर अलग अलग अंतिम संस्कार करते है और अब तो यहाँ के दबंग लोग हमारे श्मशान घाट पर भी कब्जा करना चाहते है जिससे आये दिनों बिबाद होते है वही जब सम्बन्ध में केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक से जानकारी ली तो उन्होंने भी इस गांव में अलग अलग समाज के 4 श्मशान घाट के बारे में स्वीकारा ओर कहा कि मैने तो प्रयास किये है लेकिन इसमें गांव के लोगो को एकजुट होकर इस छुआछूत को दूर करना होगा वही इस गांव के कुछ लोगो का कहना रहा कि यह छुआछूत नही है यह तो हमारे गांव की मर्यादा है जो लोग उसका पालन करते है !लेकिन यह कोई मर्यादा नही बल्कि जुर्म है और इसपर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए छुआछूट करना एक क़ानूनी दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आता है और इस मामले को गम्भीरता से लेकर इस पर कार्यवाही होना जरूरी है जब एक केंद्रीय मंत्री के गोद लिए गांव के यह हाल है तो अन्य शहरो से दूर गावो के हालात क्या होंगे यह किसी से छिपा नही होगा वही इस सम्बंध में आदिमजाति बिभाग के अधिकारी कैमरे के सामने नही आये

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