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टीकमगढ़ः करवाचौथ पर बाजार हुए गुलजार, बिक्री से बढ़ी रौनक

4 नवंबर को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाएगा. करवाचौथ हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं.

Karvachauth
करवाचौथ
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Published : Nov 3, 2020, 10:32 PM IST

टीकमगढ़। करवाचौथ का त्योहार बुधवार को मनाया जाएगा. इसके चलते एक दिन पहले मंगलवार को सभी बाजारों में महिलाएं करवाचौथ के व्रत के सामान की खरीदारी के लिए पहुंचीं. जगह-जगह पर मेहंदी लगाने वालों के पास भी खूब भीड़ जुटी. कोरोना के कारण सुनसान पड़े बाजारों में करवाचौथ पर भीड़ उमड़ आई है. इससे दुकानदारों के चेहरे भी खिल गए हैं. महिलाओं ने करवाचौथ पर सजने के लिए फैंसी कपड़ों की खूब खरीदारी की. ब्यूटी पार्लर में भी खूब भीड़ रही. इसके अलावा मिठाई की दुकानें भी सज गई है.

करवा चौथ पर बाजार गुलजार

श्रृंगार सामग्री खरीद रहीं महिलाएं

ज्वेलरी की दुकानों पर भी महिलाओं ने श्रृंगार का सामान सहित चूड़ियों की खरीदारी की. बाजारों में कोई भी ऐसी दुकान नजर नहीं आई, जिसमें भीड़ न हो. शहर में सबसे अधिक भीड़ बाजारों में श्रृंगार व मनियारी के स्टालों पर देखने को मिली.

कपड़ों की खरीदारी पर मिल रहे उपहार

करवा चौथ पर पति-पत्नी के एक दूसरे को उपहार देने की भी परंपरा रहती है. सबसे ज्यादा बिक्री साड़ियों की होती है. सूट भी काफी महिलाएं खरीदती हैं. साड़ी, सूट की दुकानों पर पिछले सालों की तरह भीड़ देखी जा रही है. करवा चौथ सहित आने वाले दीपावली सीजन को देखते हुए संस्थानों ने कपड़ों की खरीदारी पर आकर्षक आफर भी शुरू किए हैं.

करवा चौथ पूजन विधि

करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से पहले सुबह 4 बजे के बाद शुरु हो जाता है. इस दिन सरगी का खास महत्व होता है. सुहागिन महिलाएं सास से मिली सरगी खाकर व्रत की शुरूआत करती हैं. इस दिन महिलाएं रात में चांद निकलने तक निर्जला व्रत रखती हैं. इस दिन पूजा के लिए शाम के समय एक मिट्टी की वेदी पर देवी-देवताओं की स्थापना की जाती है. चांद निकलने से पहले थाली में धूप, दीप, चंदन, रोली, सिंदूर, घी का दीया रखकर पूजा की जाती है. महिलाएं करवा चौथ की व्रत कथा सुनती हैं. इसके बाद चांद निकलने पर महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं, पूजा करती हैं और पति के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं.

टीकमगढ़। करवाचौथ का त्योहार बुधवार को मनाया जाएगा. इसके चलते एक दिन पहले मंगलवार को सभी बाजारों में महिलाएं करवाचौथ के व्रत के सामान की खरीदारी के लिए पहुंचीं. जगह-जगह पर मेहंदी लगाने वालों के पास भी खूब भीड़ जुटी. कोरोना के कारण सुनसान पड़े बाजारों में करवाचौथ पर भीड़ उमड़ आई है. इससे दुकानदारों के चेहरे भी खिल गए हैं. महिलाओं ने करवाचौथ पर सजने के लिए फैंसी कपड़ों की खूब खरीदारी की. ब्यूटी पार्लर में भी खूब भीड़ रही. इसके अलावा मिठाई की दुकानें भी सज गई है.

करवा चौथ पर बाजार गुलजार

श्रृंगार सामग्री खरीद रहीं महिलाएं

ज्वेलरी की दुकानों पर भी महिलाओं ने श्रृंगार का सामान सहित चूड़ियों की खरीदारी की. बाजारों में कोई भी ऐसी दुकान नजर नहीं आई, जिसमें भीड़ न हो. शहर में सबसे अधिक भीड़ बाजारों में श्रृंगार व मनियारी के स्टालों पर देखने को मिली.

कपड़ों की खरीदारी पर मिल रहे उपहार

करवा चौथ पर पति-पत्नी के एक दूसरे को उपहार देने की भी परंपरा रहती है. सबसे ज्यादा बिक्री साड़ियों की होती है. सूट भी काफी महिलाएं खरीदती हैं. साड़ी, सूट की दुकानों पर पिछले सालों की तरह भीड़ देखी जा रही है. करवा चौथ सहित आने वाले दीपावली सीजन को देखते हुए संस्थानों ने कपड़ों की खरीदारी पर आकर्षक आफर भी शुरू किए हैं.

करवा चौथ पूजन विधि

करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से पहले सुबह 4 बजे के बाद शुरु हो जाता है. इस दिन सरगी का खास महत्व होता है. सुहागिन महिलाएं सास से मिली सरगी खाकर व्रत की शुरूआत करती हैं. इस दिन महिलाएं रात में चांद निकलने तक निर्जला व्रत रखती हैं. इस दिन पूजा के लिए शाम के समय एक मिट्टी की वेदी पर देवी-देवताओं की स्थापना की जाती है. चांद निकलने से पहले थाली में धूप, दीप, चंदन, रोली, सिंदूर, घी का दीया रखकर पूजा की जाती है. महिलाएं करवा चौथ की व्रत कथा सुनती हैं. इसके बाद चांद निकलने पर महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं, पूजा करती हैं और पति के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं.

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